ये 'राग' कई हिस्सों में बँटा है
आपको जो मिले उसे पाकर खुश रहिए।
©sonugangwar(Raag)
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मैं तेरे शहर आया और तू मिला ही नही,
सीधे आ जाऊं घर इतना हौसला ही नही,
बस मलाल है मुझे कभी इश्क़ था तुझसे
वरना तो मुझे तुझसे कोई गिला ही नही,
सुना हैं वक़्त आने पर चीज़ मिल जाती है
पर तेरे बाद ये वक़्त कभी चला ही नही,
तुम रो रहे हो की आँधियाँ बुझा रही हैं
मुझसे पूछो जिसका चराग़ जला ही नही,
सब पूछेंगे किसने दिया तो क्या बताऊंगा
रखा हुआ है तेरा लहज़ा मैंने सिला ही नही,
माँ ने एक बार क्या की दुआ मेरे हक में
'राग' मंज़िल पर है जो कभी चला ही नही।
©sonugangwar(Raag) -
दुआएँ देनी हैं तो मरने की दीजिये
वरना ऐसा करिये आप रहने दीजिये,
इश्क़ है तो सरेआम मेरा हाथ थामो
जमाना जो कहता है कहने दीजिये,
तुम कब तक ही दोगे साथ हमारा
हमारे दुःख हमको ही सहने दीजिये,
ये ऊँची इमारतें खा गईं सूरज मेरा
ये आंधियों से ढहती हैं तो ढहने दीजिये,
ख़्वाब,जान,वक्त,ख़ुदा किस-किस से लड़ें
अब हमें सोना है हमें सोने दीजिये,
सुना है इससे दर्द हल्का होता है
'राग' आँखों से आँसूं बहने दीजिये।
©sonugangwar(Raag) -
क़िस्मत से कब तक गिला करेंगे
हम कब तक छिप कर मिला करेंगे,
तू कब तक रहेगा ख़फ़ा हमसे
कब तक दोस्त हमारी सुलह करेंगे,
तू सरेआम कब थामेगा हाथ मेरा
ये लोग कब हमसे जला करेंगे,
कब होगी हमारे इंतज़ार की सुब्ह
हम कब तक अंधेरो से डरा करेंगे,
क़बूल कब होंगे मेरे सज़दे 'राग'
नवाज़ कब वो संग अदा करेंगे।
©sonugangwar(Raag) -
तेरे निशाँ मेरे ज़ेहन पर छाने लगे है
हाथ थाम ले वरना हम जाने लगे हैं,
जिसे चाहिए वो ले ले मेरी आँखों से
वरना ये ख़्वाब हम जलाने लगे हैं,
जरूरतें बहुत कम हो गयी हैं मेरी
पैसे जब से ख़ुद कमाने लगे हैं,
मुझको न तुमसे एक बात कहनी थी
यार हम तुमको चाहने लगे हैं,
अपने इश्क़ का सबूत क्या दूँ मैं
मुझे लोग तेरे नाम से बुलाने लगे हैं,
तू मुझको ख़ुद में छिपा कर रख ले
लोग बहुत मेरे नज़दीक आने लगे हैं,
'
राग' तुझे सच में हो गया है इश्क़
तेरी आँखों में आँसू आने लगे हैं।
©sonugangwar(Raag) -
हासिल जो भी था सब गवा चुके हैं
हम थक हार कर घर आ चुके हैं,
पास इनके रोने के सिवा बचता क्या है
कच्चे मकान बारिश से दिल लगा चुके हैं,
मेरी बातों पर तुझे यक़ीन क्यों नही आता
हम तो क़सम तेरे सर की भी खा चुके हैं,
अब जिसकी मर्ज़ी आकर रहे इसमें
तेरे बाद दिल के दरवाज़े हटा चुके हैं,
तेरा हाथ अच्छा लगता है बस मेरे हाथ में
तुझको ये बात कितनी मर्तबा बता चुके हैं,
यार तुम अपना नाम तो बताना हमको
वो क्या है अब हम सब कुछ भूला चुके हैं,
तुम हमसे मिलने अब आये हो 'राग'
जब हम ख़ुद से बहुत दूर जा चुके हैं।
©sonugangwar(Raag) -
एक शहर में हैं फिर भी कहाँ मुलाकात होती है
पहले बातें होती थीं उनसे अब बस बात होती है।
©sonugangwar(raag) -
अश्क़ अब आंखों में सम्भालने पड़ेंगे
ग़ज़ल लिखना है तो ग़म पालने पड़ेंगे,
आज आया है ख़्याल रोने का हमको
अलमारी से तेरे खत निकालने पड़ेंगे,
कहानी में अब वो मज़ा नही आ रहा
इसमें क़िरदार अब नये डालने पड़ेंगे,
शज़र-ऐ-सब्र से गर फ़ल चाहिये तो
'राग' तुमको पत्थर उछालने पड़ेंगे।
©sonugangwar(raag) -
पलकों पर जो आँसू आने लग जायें
दिल के कई दर्द ठिकाने लग जायें,
तू हमको इतने प्यार से मत देखा कर
ऐसा न हो हम ख़ुद को चाहने लग जायें,
मैं उस सुबह बहुत देर से उठता हूँ
जिस सुबह तेरे ख़्वाब आने लग जायें,
तुम तब करना मोहब्बत का दावा जानां
जब लोग तुम्हें हमारे नाम से बुलाने लग जायें,
इश्क़ को एक पल में छोड़ देना
गर दांव पर तुम्हारे याराने लग जायें,
तुम इतना सच भी मत बोला करो 'राग'
कि लोग महफ़िल से उठकर जाने लगे जायें।
©sonugangwar(Raag) -
लम्हें थोड़े हैं इन्हें काम में लिया करो
सारा मयख़ाना एक जाम में लिया करो,
देखना ये फिर और भी लगेगा खूबसूरत
तुम अपना नाम मेरे नाम में लिया करो,
यार दिन भर मुझे काम बहुत रहता है
तुम मेरा हाल-ख़्याल शाम में लिया करो,
ये लोग फिर तुम्हें और भी शौक़ से सुनेंगे
तुम अपने दर्द को क़लाम में लिया करो,
उसके होकर तुम कहीं के भी नही रहे ना
मैंने कहा था फैसले आराम में लिया करो,
इश्क़ तुम्हें बहुत सस्ता पड़ जायेगा 'राग'
इस इश्क़ को तुम नीलाम में लिया करो।
©sonugangwar(Raag)
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फरेब का हुनर
चलो आज फरेब का हुनर सीख लिया जाए
बईमानी के पौधे को घर में रोप लिया जाए
सच्चाई को फैलने से रोक लिया जाए
अपनो के पीठ पर खंजर भोक दिया जाए
चलो आज फरेब का हुनर सीख लिया जाए
अपना बनकर भीड़ में घुसा जाए
फिर उस भीड़ में आग लगाई जाए
उस आग पर अपनी रोटियाँ सेंकी जाए
बाद में बर्बादी का तमाशा देखा जाए
चलो आज फरेब का हुनर सीख लिया जाए
सच को दबा दिया जाए
झूठ को सजा दिया जाए
पैसो को खुदा बनाकर
सच्चे को भरे बाजार में बदनाम किया जाए
चलो आज फरेब का हुनर सीख लिया जाए
सच बोलकर बहुत देख लिया
थोड़ा सा झूठ भी बोल लिया जाए
सच्चाई लिखने से दुश्मन बढ़ रहे है
पंछी , झूठ को लिख कर
लिखे सच को मिटा दिया जाए
चलो आज फरेब का हुनर सीख लिया जाए
©anushka_singh_panchhi -
aka_ra_143 1w
कोशिश बहुत की उन लकीरों को मिटाने की
जिस पर एक तेरा नाम नही लिखा
©aka_ra_143 -
shyaryaa 1w
कैसे कहें क्या है सितम, सोचते है अब ये हम
कोई कैसे कहें वोह है या नहीं हमारे !!
#nav_noor #mirakee #mirakeeworld
@writersnetwork @mirakee @mirakeeworld @readwriteuniteखामोशी-शोर
हम यार कुछ एसे अलग हूए..
वो खुद को खुद की खामोशी में खोजता रहा।
जब मैं उसे मुझे मेरे शोर मे खोजने का इंतजार करती रही ।।
©shyaryaa -
चित्रकार
मयूर के सप्तरंगी पंखों के सुंदर रंग
उस पर थिरक-थिरक करे आकर्षक नृत्य
कोयल की मधुर-मधुर कूंक प्यारी लगे है
जहां मे भरा रंग जिसने वो श्रेष्ठ चित्रकार है।।
नीला-नीला अंबर हरी-भरी धरती
चहकती, उड़ती चिड़ियों का शोर
कल-कल करती निर्झर बहती नदियाँ
गीत सुना करती सदा सबका मनुहार है।।
आम,महुआ, जामुन की लगी मंझरिया
बिखेरती हवाओं मे मादक,मोहकम सुगंध
खेतो मे सरसों के पीले-पीले पुष्प लहराते
गेहूं की बालियों की सुरम्य,हल्की झनकार है।।
पर्वतों, चट्टानों की गगनचुंबी ऊंचाई देखो
झर-झर बहते झरनों की अनुपम सुंदरता
मनोरम दृश्य ये हृदय को करता अलहादित
रचा जिसने ऐसी छटा अद्भुत वो कलाकार है।।
कोमल माटी के पुतले मे जो साँसें भरता
सोचने समझने की जो आलौकिक शक्ति देता
जड़-चेतन सबही में जो रचता बसता है
पर नजर आता न वो छलिया कैसा चमत्कार है??
अर्चना तिवारी तनुजा
©archanatiwari_tanuja -
ग़ज़ल
छुप के निकल पड़ा हूँ मोहब्बत के सफ़र में,
देखें कोई मिलता है क्या चाहत के सफ़र में।
कोरा न उसको छोड़ा, रंगीन कर दिया,
लफ़्ज़ों की लाश मिलती कागज़ के सफ़र में।
मुश्किल घड़ी को कैसे आसां करे कोई,
दुश्वारियां बहुत हैं राहत के सफ़र में।
रह गयीं सिमट के सब मनमर्जियाँ मेरी,
ज़िम्मा कोई सज़ा है आदत के सफ़र में।
मुझको न जैसे बख़्शा बरबाद कर दिया,
लाये कोई तूफां भी आफ़त के सफ़र में।
क़िरदार में रहा मैं शूली में टँग 'डिअर',
कहता भी कैसे कुछ भी नाटक के सफ़र में।
प्रखर कुशवाहा 'Dear' -
gunjit_jain 1w
साँसों में जिसकी ख़ुश्बू, गुलाब है वो
इश्क़ की मेरी मुक़म्मल किताब है वो
©naushadtm
ज्यादा दिमाग मत चलाने लगो
फ़क़त ख़यालों का सराब है वो
#nayab_naushadखूबसूरत सा मेरा, कोई ख़्वाब है वो
मोहब्बत के आसमाँ में महताब है वो
सालों की बंजर ज़मीं पर, बारिशों सा
हरेक पल खुशनुमा करता आब है वो
रखता हूँ संभालकर जिसको पन्नों पर
खुशियों का मेरी, सिमटा हिसाब है वो
नज़रें झुकाकर बातें करता हूँ उससे मैं
मगर मेरे लहज़े का, इक रुआब है वो
संभाले रखता है वो ख़्वाब मेरे गुंजित
इन आँखों के ऊपर लगा हिजाब है वो
- गुंजित जैन -
rangreziya 1w
रब की बंदगी में बैठे मैंने घंटो क़सीदे पढ़े
तू रूठा था मुझसे, इश्क़ रूठा था
रब के हर दर पर सिर झुकाया मैंने
हर दर पर रब को इश्क़ के आगे नमाज़ी होते देखा
©रंगरेज़िया -
ishq_allahabadi 1w
फ़क़त = सिर्फ़
कुल = पूरी
#mirakee #writersnotes #sad #writersnotes #sad #ghazal #keepwriting #writersnotes#mirakeeworld#lekhni # hindinamaछाई/چھائ
مری آنکھوں میں چھائ خاموشی ،
مرے دل کی زبان رکھتی ہے۔
اک فقط تو نہیں سمجھتا اسے،
بات دنیا یہ کل سمجھتی ہے۔
मिरी आँखों में छाई ख़ामोशी ,
मिरे दिल की ज़बान रखती है।
इक फ़क़त तू नहीं समझता इसे,
बात दुनिया ये कुल समझती है।
©ishq_allahabadi -
ग़ज़ल
इस बरस मौसमों में अच्छी फसल होगी
यही उम्मीद दहकान की मुसल्सल होगी
हम भी हो जाएंगे सुर्ख-रु तब खियाबां में
जब मेरी ख्वाहिशें कलियों सी क़त्ल होगी
महज़ स्याही से कहाँ कागज़ पे उतरती है
लहू दिल का हो तो ग़ज़ल सी ग़ज़ल होगी
जिनको बेचैनियों ने रात भर सोने ना दिया
सोचिए उनके सीने में कितनी हलचल होगी
©my_sky_is_falling -
iamfirebird 1w
खामोशी है एक शख़्स के अंदर
लगता है , तूफ़ान आने वाला है
#arungagat
वो समेट कर ले गऐ हैं मोहब्बत अपनी
अब मेरी मौत का सामान आने वाला है
©iamfirebird
