// Tu dil ki sachhi hai Sugayani //
// Aadat teri bachhi hai Sugayani//
जब कपड़ों के साथ करती हो सिलाई मशीन
पर कलाकारीयां,दिखाती हो कम्प्यूटर के की-बोर्ड
पर टप-टप करती मोनिटर पर रंगीन कलाबाजियां
फिर भी अपने भीतर की इन कलाओं को भुल कर
स्वीकार कर लिया है तुमने सुबह-शाम खाना बनाना
और खिलाना, नहीं कहता बुरा है यह पर मार देना
खुद को यह भी तो अच्छा नहीं ना !!
// Duaon Me Umeed Logo ko rabb se hoti
dost, Meri Umeed Tum sabse hoti hai dost //
Happy birthday Lado
rupanshu_saneedip
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rupanshu_saneedip 2w
यारा यारी अपनी पीर पराई लगती है
दुआएं मैं भेजता हूं बलाएं तुम भेज दो
दर्द में मुस्कुराने की जो आदत है तेरी
हिस्सा हमें भी हंसने-हंसाने की कुछ
खुबसूरत कलाएं भेद दो !!
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दुआओं का होगा असर रफ्ता रफ्ता, इशानी
प्रिया, प्रीति, साक्षी से रहे तेरा उमर भर राब्ता
!!!!!!!!!!
लोग पढ़ते होंगे अल्फाजों को तेरे कविता
समझकर, पर शब्द जो पुरा करते हैं कुछ
अधुरे ख्वाहिशों को तेरे, थाम-हथेली
सांत्वाना की और लगाती हो पूर्ण विराम
गहराते दुख पर अक्सर !!
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तमाम दुआ तेरे नाम होगी रिश्ता पल दो पल
अजनबी सफ़र के लिए नहीं हमसफ़र ताउम्र
होगी !!
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प्रेम को करूं परिभाषित या प्रेम के लिए
गढ़ रही हो जो समर्पण भाव की उन्हें करूं
सुज्ञानी अभिव्यक्त, चलो कह दूं रिश्ता कोई
भी हो तेरे लिए मनचलों जैसा क्षणिक सुख
आधार नहीं !!
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नज़रों से नाराज़गी ज़ाहिर हो
लबों पर खुशी जग-जाहीर हो
!!!!!!!!!!@dark_and_deep @pritty_sandilya @priya_sandilya @ishanvisingh @tiwari_sakahi -
rupanshu_saneedip 5w
सबसे पहले उन सभी प्रिय जनों का सहृदय आभार
व्यक्त करता हूं , जिन्होंने अपने बहुमूल्य वचनों से
मेरे जीवन के एक पड़ाव को अपने आशिर्वाद और
दुआओं से सजाया ।
Mirakee हमारे लिए बस लिखने का माध्यम नहीं है।
यहां मैंने खुद को सम्हाला है तो बहुत सारे दोस्त बनाऐ
हैं और मेरे लिए मेरे सबसे करीब मैने बहन पाए हैं जो
आज मेरे लिए मेरे परिवार का जैसे हैं।
बहुत दिनों बाद कुछ लिखने का कोशिश कर रहा हूं
अब आप सबके पास आया हूं तो कुछ सिखने का
कोशिश कर रहा हूं।
कविता .....
मेरी कविताओं में अब जज़्बात नहीं
टुटते कभी तो जुड़ते शब्द मात्र रहे
अर्थ बेअर्थ क्षणिक अल्पविराम रहे
कविता...
कविता मेरे लिए अल्फाजों का ढेर नहीं
मासूम बच्चे की मुस्कान है तो वृद्ध का
हकलाता दोहराता भगवान राम-नाम है
कविता....
गहरी चंचल हंसी के पिछे छिपा नितांत
असहनीय दुःख तो चांद को कोशता तो
कभी मोहब्बत लिखा हुआ प्रेम-पत्र है
कविता....
कविता को मैं नहीं कविता ने मूझे लिखा है
पंक्तियों को नहीं अन-बुझ अन-बन अबोध
मन की अकुलाहट को पढ़ता हूं
ऐ जिन्दगी
तुझसे अब और मोहब्बत की नहीं जा सकती
खुद को दर्द सहने की ताकत नहीं दि जा सकती
ऐ जिन्दगी
जानते हैं उम्मीद का किरण ढल रहा मुझ पर
फिर भी तर्क अब वफ़ा की दि नहीं जा सकती
ऐ जिन्दगी
हवस पैसे की लगी शहर को और इसमें किसी
सुरत पर क़ीमत वक़्त की अदा की नहीं जा सकती
ऐ जिन्दगी
जिन्हें हम अपना समझे उन्हें हम अपना क्यूं ना लगे
बिझडने के लिए इजाज़त तुझसे ली नहीं जा सकती
ऐ जिन्दगी
तेरे दर पर शौक इबादत खुदा का रखता हूं ख्वाहिशें
जो रह गई अधुरी तो मन्नतें-मंजिल बदली नहीं जाती
ऐ जिन्दगी
कहते हैं दरअसल दर्द बांटने से दर्द कम होते हैं
यारों दर्द तेरे हैं तेरे दर ही रहेंगे, खुशियों से
ज्यादा आज-कल लोगों को घाव दिखते हैं
@रुपान्शु
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man_ki_pati 5d
"किरदार"....
मैं.., मैं.. नहीं...
मैं हूँ सिर्फ एक "किरदार"..
जीती हूँ किस्तों मे..
बेटी..
बहन..
पत्नी..
माँ..
या.... क्यूँ कि मैं हूँ एक औरत.."औरत एक किरदार"
©man_ki_pati -
man_ki_pati 1w
हाँ मैं मुस्कुराती बहुत हूँ...,
लेकिन सच कहती हूँ...,
मैं अन्दर से टूटी बहुत हूँ ....।
©dard_aasu_muskurahat -
lafze_aatish 1w
दशत-ए-तन्हाई-ये-हिज़रा मे खड़ा सोचता हूँ,
हाय क्या लोग...... मेरा साथ निभाने निकले!मालूम
ये जो चेहरे है कही तो देखे हुवे मालूम पड़ते है,
याद नहीं आ रहा ज़ख़्मी है या ज़ख्म देने आये है!
निःशब्द
©lafze_aatish -
इश्क़ - नामा
हमने कलम-ऐ-बिनाई दे दी, रगों का लहू स्याही दे दी,
कागज़ तुम मेरे जिस्म का मुकर्रर कर लो,
हीर लिखो - ससी लिखो - लिखो मिर्ज़ा बदनसीब को ,
याँ फिर लिखो चनाब मे बहती सोनी-महीवाल को!
घर वालो से नज़रे छुपती ताज़ा ही गुल से बनी गुलनार को,
शर्म-ओ-हया झुकती आंखे लटो से खेलती उगलियों को!
लहू लिखो - ज़ख्म लिखो - लिखो इबादत-ए-आशिक़ी को,
याँ फिर लिखो उसकी जानिब जाती हर एक राह को!
मेरे ख्यालों को मेरे ही लहू से लिखो रूह पे छपे जो कुछ ऐसी गज़ल-ए-इबादत लिखो, गज़ल-ए-इबादत लिखो!
नि:शब्द
©lafze_aatish -
किसी "प्रतिमा" में देवी तलाश न कर
"प्रति माँ" में ही देवी का वास होता है
"प्रतिमा" वरदान का निर्जीव ताज होता है
प्रति माँ में हर दुआओं का आज होता है
©mrig_trishna_ -
asma7khan 1w
जितनी उम्र गुजारी है मैंने
मैं बस इतना जान पाया हूँ
कि शहर में धूप बहुत है
और गांव में मा रहती है
©asma7khan -
सोचा था एक रोज़ ख्वाब देखूंगा और वो हकीकत बन जायेगा
उसका नाम लिखूंगा हथेली पर और वो मेरी किस्मत बन जायेगा
©asma7khan -
asma7khan 5d
मैं महज नाम था उसके लिए जो गुम हो गया
वो जख्म है मेरा, मैं कुरेदता रहता हूँ उसे
©asma7khan -
I couldn’t hide my tears,
my frustration with no gain.
What was the meaning behind all this pain?
To say I survived and I’m stronger today?
I wish that it was all I could say.
©the_hiddenpoet -
raakhaa_ 5w
Dear Madhav...
Help me out of the chaos I am engulfed within. The fear of falling back threatens me day and night. I fear, what if I fall and I break myself to pieces..Pieces which can never be rejoined to make the former self again... Will you be there to hold me back? If not help me to rise, will you be there to atleast take me in your shelter and let me rest there..In extreme peace?
Will you guide me like you did to Arjuna , will you forgive me like you did to shishupal , will you make me feel beloved and important again like you did to Draupadi?
Will you make me happy again if I shed my life long held tears in front of you.
Will you understand me if I tell you that I myself don't know the reason of why am filled with anxiety and sort of pressure... Will you be there to give me my luck??
I know the answers , or maybe not. Maybe I want to be assured of , or maybe not.
But I know ... I trust you more than anything.... And I know I trust myself too (,or maybe not!!)
~ RAAKHAADear Madhav!!
For you have always listened to the untold stories and the hidden words of mine✨
©raakhaa_
