बड़ी मनमोहक बड़ी सुहानी
है ये राधा श्याम की प्रेम कहानी
मिलन अधूरा एक दूजे का
पर फिर भी है राधा प्रेम दिवानी
बड़ी मनमोहक बड़ी सुहानी
है ये राधा श्याम की प्रेम कहानी
राधा है रानी बरसाने की
श्याम स्लोना लाडला मईया का
दिन भर जप्ती रहती है राधा
नाम सांवले कृष्ण कन्हैया का
होई फिरत है प्रेम मस्तानी
बड़ी मनमोहक बड़ी सुहानी
है ये राधा श्याम की प्रेम कहानी
बांसुरी वाला रंग का है काला
पर मीरा का श्याम बड़ा मतवाला
एक बोल में चली आये गइयाँ
ऐसा जादूगर है यशोदा का नंदलाला
जाने कैसा जादू डाले सब पर रूहानी
बड़ी मनमोहक बड़ी सुहानी
है ये राधा श्याम की प्रेम कहानी
हर पल गोपियों को बहुत सताता
गोकुल का नन्द फिर भी सबके मन भाता
मधुर बांसुरी की धुन गूंजे वृन्दावन में
प्रेम जगाये जो हर जन के तन मन में
ब्रिज की होली देख हुई हर रूह दिवानी
बड़ी मनमोहक बड़ी सुहानी
है ये राधा श्याम की प्रेम कहानी
©rajput_pankaj
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भारत माँ
मैं तेरी मिट्टी से बना
एक अदना सा पुतला हूं भारत माँ
चुभती हो दुश्मन को तेरी ये सादगी बेशक
मगर बस्ता है तेरे भीतर हमारा तो पूरा जहान
मैं तेरी मिट्टी से बना
एक अदना सा पुतला हूं भारत माँ
अथाहा प्रेम मिलता है
तेरे इस महोब्बत के दामन में
हर गली हर कुंचा अपना सा लगता
खूब चाहत भरी है तेरे इस प्यारे आँगन में
रंग बिरंगे तेरे ये रूप कितने न्यारे लगते हैं
बेशक ना हो एक माँ के मगर सब लोग प्यारे लगते हैं
सुबह का सूरज उगते ही चह चहाना ये चिड़ियों का
रात के दामन में खूबसूरत ये चाँद सितारे लगते हैं
अलग अलग है बोलियां बेशक
पर प्यार की एक ही भाषा आती है
नफरतों के इस दौर में भी यहां सबको
मिल जुल कर रहने की अदाएं भाती हैं
कभी कभी घर से दूर रह कर भी
यहां अपने पन का एहसास रहता है
बुरा हो वक़्त चाहे कितना भी
साथ हैं तेरे अपना सा यहां हर शख्स कहता है
एक है भारत कश्मीर से ले कर कन्या कुमारी तक
रंक की झोपड़ी से ले कर राजा के तख़्त हजारी तक
खुदगर्ज से ले कर किसी ईमानदार की खुद्दारी तक
वाक़िफ़ हैं दुनिया पूरी ज्ञान की कला हमारी तक
कहीं पहाड़ो से शुशोभित है तेरा प्यारा बदन
विशाल बगीचों से महका है तेरा प्यारा चमन
सीमा पर खड़े हैं रक्षा को तेरी कहीं सपूत तेरे
सिर कटाने को त्यार हैं तेरे खातिर मेरे प्यारे वतन -
rajput_pankaj 14w
दुनिया में चली एक रित निराली
बात बात में देते है गाली
वहां कैसे बेटी होगी सुरक्षित
जहां चोर बैठे हैं पैसों की रखवाली
श्याम बिना अधूरी है राधा
कहां राम बिन पूरी है सीता
हनुमत बिना क्या रामायण होगी
कृष्ण बिना अधूरी है गीता
भाई बिना क्या रहना जग में
बहन बिना क्या राखी की महिमा
माँ बाप की सेवा ही प्रभु सेवा है
रिश्तों से ही घर की शोभा है
अपने पन बिन है ईंटो की चार दीवारी
प्यार से सजा के जो घर है बनता
बेटी होती है शोभा ख़ुशहाली की
धन्य है वो घर जो बेटी को है जन्नता
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औरत
ए औरत तु महारानी है
जग में तेरी अलग कहानी है
कभी धरा की तु माँ जननी है
कभी दरिंदो की नजर में तेरी जवानी है
ए औरत तु महारानी है
जिस घुंघट को तु कहे बंदिश
कभी वही तेरे हुसन की रौनक थी
तेरी लाज शर्म से यहां शुशोभित
कभी तेरे बाबा की चौखट थी
जिस्म की नुमाइश ने घेरा ऐसा
संस्कारों की कहां बाकि निशानी है
ए औरत तु महारानी है
लाज शर्म के वो गए ज़माने
बे-हया हुई आज की पीढ़ी है
कभी जिस शर्म के खातिर जौहर किया
आज वही बेशर्मी की पहली सीढ़ी है
अब वफ़ा का कोई नाम बचा ना
हर बाजी राव की अनेको मस्तानी है
ए औरत तु महारानी है
भूल गयी तु शक्ति खुद की
अब बहकी बहकी रहती है
कभी झाँसी की रानी थी जो
जाने कितने सितम आज वो सहती है
भूल गयी अब वो लाज शर्म तु
कभी जिस के खातिर दी जिंदगी की कुर्बानी है
ए औरत तु महारानी है
जग में तेरी अलग कहानी है
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बेटियां
नशीब वालों के घर पैदा होती हैं बेटियां
बदनसीब होती है वो कोख जो खोती है बेटियां
जरा सी तकलीफ जो हुई पिता को कभी
फिर दिल की गहराईयों से रोती हैं बेटियां
बहुत सी ख्वाहिशेँ नहीं रखती बस जीना चाहती हैं
भाई की कलाई पर राखी देख ख़ुश होती हैं बेटियां
अगर मिले परवरिश अच्छी तो बेटा नाम रोशन करता है
मगर बिना किसी ज्ञान के भी बुद्धिमान होती हैं बेटियां
बचपन में बाबा के आँगन की रौनक होती हैं बेटियां
भाई की इज्जत की शान होती हैं बेटियां
शादी के बाद ससुराल में पति का मान होती हैं बेटियां
कभी माँ बाप कभी भाई कभी सास ससुर
तो कभी पति की जान होती हैं बेटियां
बदनसीब होती है वो कोख जो खोती हैं बेटियां
मगर सच्च पूछो तो ख़ुशी की पहचान होती हैं बेटियां
चाँद पर जाने का हुनर भी रखती हैं बेटियां
जिंदगी के खट्टे मीठे एहसास भी चखती हैं बेटियां
युद्ध के मैदान में दुश्मन को भी घेरती हैं बेटियां
दुनिया चाहे कुछ भी सोचे इनके बारे
पर कहां कभी अपनों से मुँह फेरती हैं बेटियां
आँगन को महकाने वाली फुलवारी हैं बेटियां
जग में खुदा की बनाई मूर्त न्यारी हैं बेटियां
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बेटी
ज़ब उसने पिता से पूछा तो उन्होंने आरती को कहा के बेटा ये तो समाज के लगाए रीती रीवाज है, निभाने ही पड़ते हैं.मगर आरती को कहीं ना कहीं ये बात अंदर ही अंदर झकझोर गयी थी,के एक बेटी होना भी गुनाह है.माँ बाप चाहे कितना भी काबिल बना दे मगर लड़की की हैसियत और इज्जत सिर्फ दहेज़ से तय की जाती है.
और आज ज़ब आरती को खुद के घर बेटा पैदा हुआ,तो उसको बेटा पैदा होने की ख़ुशी से ज्यादा कहीं ना कहीं उस बेटी के बाप की फ़िक्र सता रही थी,जो अपनी बेटी की शादी के लिये फिर से एक बार टूटेगा.घर में बेटा हो या बेटी ख़ुशी दोनों के जन्म पर एक समान होती है.मगर बेटी बोझ तब लगती है ज़ब ये नकली समाज अपने झूठे दिखावे के लिये लड़की के बाप से अच्छे खासे दहेज़ की उम्मीद करता है.
इसी वजह से घर में बेटा पैदा होने की जितनी सबको ख़ुशी थी, कहीं ना कहीं आरती को उतना ही भय सता रहा था.इसी लिये उसका मन व्यथित था, व्याकुल था,किसी गहरी सोच में डूबा किसी बेटी के भविष्य की कल्पना कर रहा था.
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बेटी
बेटा हुआ है बहुत भाग्यवान है,सब औरतें एक दूसरी के साथ दबी आवाज़ में यही बातें कर रही थी.अभी शादी को एक साल ही तो हुआ है और देखो बेटा भी हो गया,इस से ज्यादा भाग्यशाली इन्सान और क्या होगा.आस पड़ोस के सभी बधाई देने आ रहे थे आज सुबह से और रिश्तेदारों के भी फ़ोन पर फ़ोन बज रहे थे.घर के अंदर उत्सव सा माहौल बना हुआ था.सब के सब ख़ुशी से फुले नहीं समा रहे थे.कितनी भाग्यवान बहु आयी थी घर में,आते ही घर खुशियों से भर गया था.मगर एक मन व्यथित है,व्याकुल है, गहरी सोच में डूबा हुआ जाने क्या सोच रहा है.
आरती अपने माँ बाप की 3 सन्तानो में सबसे छोटी थी.2 भाईओं की अकेली बहन.ज़ब पैदा हुई तो माँ बाप बहुत खुश हुए थे.2 बेटे होने के बावजूद एक बेटी की चाहत थी मन में वो जो पूरी हुई थी.बचपन से ही घर में सबकी लाडली थी आरती.माँ बाप भी बहुत प्यार करते और भाई भी.
समय एक ऐसा परिंदा है,जिसका पता ही नहीं चलता कब उड़ जाता है.आरती बचपन से ही बहुत होनहार और समझदार लड़की थी.पढ़ाई लिखाई मर भी बहुत होशियार रही हमेशा ही.वक़्त अपनी चाल से चलता रहा और अब आरती पढ़ाई लिखाई खत्म करके शादी के लायक भी हो गयी थी.घर में अब उसकी शादी को ले कर अक्सर बातें होती.उसके पिता भी अब आरती के लिये एक सुयोग्य लड़के की तलाश में लगे हुए थे.और कहते हैं ना के ढूंढने से तो इन्सान को भगवान भी मिल जाता है तो उनको भी आरती के लिये एक सही रिश्ता मिल गया.जो रिश्ते में आरती के मामा ने बताया था.लड़का भी अच्छा पढ़ा लिख कर अच्छी नौकरी कर रहा था.लडके का परिवार आरती के परिवार से कुछ ज्यादा समृद्ध था. मगर आरती के पिता को लड़का पसंद आ गया और रिश्ते की बात भी पक्की हो गयी.
अब घर में एक और नई बात चल रही थी.लडके वालों की समृद्धि की.बड़ा घर था तो शादी भी उसी हिसाब से करनी पड़ती. आरती के पिता बेटी के अच्छे भविष्य की सोच कर सब कुछ कर रहे थे. वक़्त बिता और शादी का दिन भी आ गया.सब कुछ बहुत धूम धाम से हुआ.शादी में लडके वालों को एक अच्छी खासी रकम दहेज़ में दी गयी.मगर बेटी हमेशा अपने पिता के चेहरे की मायुशी पढ़ लेती है.
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भिखारी
मैं भिखारी हूं जात का
खाता हूं मैं मांग कर
रग रग मेरी शर्म बसी
बिगाड़ोगे क्या लाठी भांज कर
हूं इतना ढिट मैं
हर रोज तमाशा नया कर बैठूं
घर बना रहा हूं रिस्वत से
दुश्मन से ले ले कर ईंट मैं
कभी किसानों के नाम के हला
कभी आरक्षण की नौटंकी करता हूं
मुझे मतलब नहीं
देश में होने वाले कोहराम से
बस मैं घर अपना अपना भरता हूं
है अनपढ़ मुर्ख लोग यहां
जो मेरी बातों में आ जाते हैं
अपनों के ही बन बैठे है दुश्मन सब
अपनों के ही घर जलाते हैं
अब बैठा हूं सड़कों पर
नाम किसानों का ले रखा है
पर सच्च तो ये ही है सारा
के मैंने जमीर गिरवी दे रखा है
मुझे फर्क नहीं किसी के मरने से
मतलब है बस खुद की जेबें भरने से
कभी भूख हड़ताल पर बैठूं
कभी देश बंद का आह्वान देता हूं
मगर मुफ्त में कहा कुछ करता हूं
मैं देश बेचने का पैसा दुश्मनों से लेता हूं
अपमान सहा तिरंगे ने
वो सब मेरी ही रचि कहानी है
तोड़ रहे थे नियम जो सारे
वही तो भटकी हुई जवानी है
सब चोर हुऐ है इकट्ठे एक जगह
वास्तव में यही एक सच्चे राजा की निशानी है
समय बदला युग बदले बदल गया माहौल भी
दिन दूर नही रहा अब वो भी
ज़ब खुल जाएगी चोरों की पोल भी
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मेरी गुड़िया
ज़ब वो पैदा हुई तो चारो तरफ,सुनाई देती उसकी किलकारी थी
अजब थी वो नन्ही सी परी उसकी, उसकी सब ही बातें न्यारी थी
फुल खिला था जिस आँगन में,वो मेरे घर की ही क्यारी थी
बहुत दूर चली गयी आज वो नन्ही परी,जो मुझको जान से भी प्यारी थी
कुछ समझ ना पाया कोई,इस से पहले ही वो अलविदा कह गयी
दिल में जो हसरतें थी,वो सारी की सारी दिल में ही रह गयी
भूल नहीं पाउँगा वो पल वो घड़ियां,जो उसने मेरे साथ गुजारी थी
बहुत दूर चली गयी आज वो नन्ही परी,जो मुझको जान से भी प्यारी थी
माँ के आँचल में छुप कर,उसका वो रोना याद आएगा
कभी मासूम से चेहरे से,खिलखिला कर हंसना बहुत रुलाएगा
अजीब सी मासूमियत थी उसमे,उसकी हर झलक सबसे न्यारी थी
बहुत दूर चली गयी आज वो नन्ही परी,जो मुझको जान से भी प्यारी थी
कुछ सपने बाबा के भी टूटे हैं,उसके इस कदर जाने से
जिसकी सारी थकावट उतार जाया करती थी,बस उसके एक मिठ्ठे मुस्कुराने से
बाबा नें उसके हर सपने को सजाने की,कर रखी हर तयारी थी
बहुत दूर चली गयी आज वो नन्ही परी,जो मुझको जान से भी प्यारी थी
कश ऐसा हो के फिर से खिल जाये,वही फूल बनके मेरे आँगन में
खुशियां ही खुशियां भर से आकर,फिर से सब के दामन में
बहुत ऊँची उड़ान भरने की,कर जिसने रखी हर तयारी थी
बहुत दूर चली गयी आज वो नन्ही परी,जो मुझको जान से भी प्यारी थी
नानी ने भी उसके लिये आँखों में,कुछ सुनहरे ख़ाब सजाये थे
माँ नें भी कुछ एहसास उसके लिये,अपनें दिल में बसाये थी
पर आज सबके दिल में,बस उसे एक बार देखने की बेक़रारी है
बहुत दूर चली गयी आज वो नन्ही परी,जो मुझको जान से भी प्यारी थी
©rajput_pankaj -
rajput_pankaj 40w
मैं बुरा हूं
मैं बुरा हूं इस लिये
क्योंकि हर किसी के बुरे वक़्त में काम आता हूं
ज़ब निकल जाये मुझसे मतलब
फिर होके सबसे बदनाम आता हूं
मैं बुरा हूं इस....
हैं आदते बुरी मुझमें भी
की मैं हर किसी की बातों में आ जाता हूं
दिन के उजालों से मतलब नहीं ऱखता
बनके दिया करने उजाला अँधेरी रातों में छा जाता हूं
किसी के सुःख में जाता नहीं बिन बुलाये मैं
मगर गमों में खुद ही चला सरे आम आता हूं
मैं बुरा हूं इस...
कभी कभी मुझे भी महसूस होता है
की कोई काम ना आया मेरे ज़ब भी मन मायूस होता है
मगर समझा लेता हूं खुद को ही
की इन्सान ही तो हूं तभी इंसानों के काम आता हूं
मैं बुरा हूं इस....
मुझे आता नहीं औरों की तरह मीठा बन जाना
मैं जैसा हूं वैसा ही खुद को दिखाता हूं
खुद के आंसू छुपा कर आँखों में
लोगों को हंसाने के अफसाने हर दफा सुनाता हूं
मैं बुरा हूं इस....
मतलब से मैंने कभी कोई रिश्ता बनाया ही नहीं
एक कमी ये भी है के बेवजह रूठे को कभी मनाया ही नहीं
मैं तो दिल की ख़ुशी के खातिर मिट जाता हूं
कभी सोच कर किसी के पास कहाँ अंजाम आया हूं
मैं बुरा हूं इस....
दिखावे के रिश्ते समझ नहीं आये मुझे
मैंने जलाये है सबकी राहों के दिये जो थे बुझे
कोई लाख गिनवाये गुनाह मेरे बेशक
मगर मैं बदले में फिर भी करके सलाम आता हूं
मैं बुरा हूं इस....
मैं शुक्र गुजार हूं उनका
जिन्होंने मुझको मुझसे ज्यादा जाना है
समझते हैं जो खुद को खुदा वो लोग और हैं
मैं तो मिट्टी का एक कतरा हूं और मिट्टी में मिल जाता हूं
मैं बुरा हूं इस लिये
क्योंकि हर किसी के बुरे वक़्त में काम आता हूं
©rajput_pankaj
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Aurat
Itna aasan nhi h kirdar ek aurat ka neebhana... Sfed chaadar h or daag paani se bhi lg skta h...
©gtagra -
Mothers' day
Dear books , I love you
But I love my mother more because she made me a reader
©lahirunee -
ऐ ज़माने,
एक गैर दुआ अपनी दुआ में,
शामिल करले ......
क्या पत्ता श्मशानो का धुंआ,
कब्रों की खुदाई ......
कुछ कम हो जाये.....
©shonaya -
आंसूओं को काजल से छुपा लेना ,
एक प्यारी मुस्कान अपना लेना,
कह देना सबको आज मैं खुश हूँ,
अकेले अँधेरे में दर्द बहा देना,
सबको अपने हाल मत बता देना,
कमजोर खुद को मत दिखा देना,
हसेंगे सब दर्द पर नमक डाल कर,
किसी को दर्द की मरहम मत समझ लेना,
©shonaya -
garima_mishra 65w
ना ही देश द्रोही ,ना ही गद्दार हूँ,
कुछ ज़िम्मेदारीया हैं कन्धे पर ,निभाने में लाचार हूँ,
यूँ उछालना नहीं हमें भी देश की गरिमा को,
क्या करें साहब बेबस हूँ,बेरोजगार हूँ||
©garima_mishra -
pankaj_rathore 67w
I am back
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chouhanmamta 74w
जब मिलती हैं बहने
उफ्फ! कितना हंसती हैं,
गालों में दर्द होने लगता है,
क्योंकि आदत नहीं रही ना,बेवजह खिलखिलाने की।
जब मिलती हैं बहने
कितनी जोर जोर से बोलती हैं।
शोर सा मच जाता है,
क्योंकि आदत नहीं रही ना ,बात करने की।
जब मिलती हैं बहने
बस एक दूजे के चेहरे और,
सेहत की ही बात करती हैं।
क्योंकि आदत नहीं ना ,खुद को आइने में निहारने की।
जब मिलती हैं बहने
कितनी हल्की हो जाती हैं,
उड़ेल कर अपनी दुविधाएं एक दूजे पर,
पूरे अधिकार और विश्वास से।
क्योंकी अब वक्त नही है ना किसी के पास उनकी परेशानी जानने का।
जब मिलती हैं बहने
कितनी रौनक अा जाती है चेहरे पर।
हल्की फुल्की सी , उड़ती उड़ती, गुनगुनाती,
वापस आती हैं अपने अपने घर।
देखकर उन्हें लोग जल भुन जाते हैं।
©chouhanmamta -
chouhanmamta 71w
इश्क़ को अपने ऐसे अंजाम तक लेकर जाना है
सदियों तक कहावतें हो एक ऐसा नाम देकर जाना है
खुदा की रहमत मानते है जो तुझसा यार मिला है
जिंदगी को उम्मीद से भी ज्यादा तुझसे प्यार मिला है
इश्क़ को जन्मों जन्मों के लिये खुदा का नाम देकर जाना है
रूठ भी जातें है कभी कभी कुछ बेवजह की बातों से
मगर डर लगता है कहीं छूट ना जाये हाथ कभी तेरे हाथों से
©chouhanmamta -
chouhanmamta 70w
घर की चक्की ही तो है,
ज़्यादा चल गयी तो क्या?
रोटियां सेकना काम है उसका,
उँगलियाँ गर जल भी गयी तो क्या?
अपना घर छोड़ के जाना होगा,
ज़िन्दगी जो पूरी बदल गयी तो क्या?
पति है परमेश्वर, कुछ भी कहे,
ज़ुबान ही तो है, चल गयी तो क्या?
तुमको चलना है बच बच कर,
आदमी की नीयत मचल गयी तो क्या?
ग्रहस्थी संजोना देखो संभल कर,
पुरुष से फिसल गयी तो क्या?
गाड़ी दो पहियों पे है चलती,
मेरी एक पे चल गयी तो क्या?
उसकी उम्र बढ़ाने को रखना व्रत,
तुम्हारी अपनी उम्र निकल गयी तो क्या?
सुनो वो थक जाता है ऑफिस के काम से,
तुम दिन भर खट के ढल गयी तो क्या?
पैदा तुमने किया, बच्चे पालो भी तुम,
बिन सोये कई रातें निकल गयी तो क्या?
कल तक चलती थी पति की,
अब बच्चों की चल गयी तो क्या?
घर की लक्ष्मी हो, है घर ये तुम्हारा ,
घर के बाहर " नाम की तख़्ती " से,
ओंस बनके पिघल गयी... तो क्या???
सुनो, हो कौन तुम? क्या पहचान है?
Mrs.....बनके ही दुनियां से निकल गयी तो क्या?
Happy women's day
©chouhanmamta -
chouhanmamta 70w
पापा की परी,,
पापा मैंने कभी आपको देखा नहीं है
प्यार की धूप को आपकी कभी शेका नहीं है
मगर कुछ कुछ मेरी शकल आप सी दिखाई देती है
आज भी पुराने घर में आपकी आवाज़ सुनाई देती है
आपके बारे में हमें अक्सर माँ बताया करती थी
आपकी तरह ही बने हम भी बातें सिखाया करती थी
कभी कभी तो महसूस आपकी बहुत कमी होती है
अकेले बैठे इन आँखों में हर पल नमी होती है
सोचती हूं फिर किसी जन्म में आपकी बेटी बनुंगी
उसी आँगन में उसी माँ की कोख से जनूंगी
फिर से बचपन तेरे आँगन में बिताऊंगी
एक उम्मीद है पापा फिर से तेरी ही बेटी बनके आउंगी
तब सारे दिल के अरमान तेरी गोद में खेलने के होंगे
थक हार कर जब तेरी बाहों के झूले में सोऊंगी
तू प्यार से आँखें पोंछ कर चुप करा देना पापा मूझे
खेलते खेलते गिर कर जब भी कभी में तेरे पास आ कर रोउंगी
बस अगर एक यही तमन्ना पूरी करदे वो खुदा मेरी
जितनी हूं बदनसीब इस जन्म में अगले जन्म उतनी ही खुसनसीब होउंगी, miss u papa
©chouhanmamta
