जाम
एक और दिन खत्म
एक और हसीन शाम बाकि है
लबों पे तेरा इश्क लिए और एक जाम बाकि है
तेरी आँखों से जो तुने कहाँ वो काम बाकि है
तेरा इश्क अपने दिल में लिए अभी एक जाम और बाकि है
यूँही तुझे देखतीं रहूँ मुझमें तेरा नाम बाकि है
तेरी मुस्कुराहट देख लूँ ,अभी वो इनाम बाकि है
तु जो देख ले मुडकर एक बार,
उसके तलब की एक जाम बाकि है
तेरे आवाज़ की सरगम सुन, मुझमें जान अब भी बाकि है
तेरे इंतज़ार की घड़ियाँ खत्म तो नहीं ?
अभी ये शाम और एक जाम बाकि है।
©manshigupta
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manshigupta 66w
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