.बीती यादें..
नहीं है तेरे लौट आने की आरजू -ए -तमन्ना.
बस यही है मंजर-ए -दिल को समझना.
नहीं चाहती अब तेरे यादों में बसना.
बस यही दुआ है दूर रहुँ तेरी यादों से जीतना.
नहीं देखना चाहती अब वो बड़े ख्वाबों का सपना.
क्यूंकि हर ख्वाब का है टूट के बिखरना.
नहीं थी कोई चाहत तुझसे बस ये समझना.
बस चाहिए थे दो कदम तेरे साथ चलना.
अब क्या लिखुँ तेरी यादों का वो हर लम्हा.
शब्द कम पड़ जाए तेरी यादें हैं इतना गहरा.
©akshikatiwari
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akshikatiwari 93w
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