मंज़र
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नाउम्मीदियों का आलम है वीरान सा शहर।
उदासियों का मंज़र जहाँ तक हद-ए-नज़र।।
उन ख़ुश्क निगाहों में 'अयन' झाँक तो लिया।
कुछ पामाल तमन्नायें थीं बिखरी इधर उधर।।
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©deovrat 'अयन' 11.03.2022
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