आज़ादी
दो दिन तिरंगा फहरा लिया
गीत देश प्रेम का गा लिया
क्या यही है आज़ादी फ़ख़त
या दिल को बस फुसला लिया
हैं वही पानी, मिट्टी और हवा
फिर भी क्यूँ एक समान नहीं
इन 13२ करोड़ भारतीयों का
क्यूँ मज़हब हिंदुस्तान नहीं
जिस दिन मंदिर जाने की गली
मस्जिद की और भी जाएगी
जब हर रात दिवाली होगी और
हर दिन ईद मनायी जाएगी
जब हरे और भगवे के बीच
की जंग फ़ना हो जाएगी
सच कहती हूँ हाँ उस दिन
आज़ादी गीत सुनाएगी
जब अपनी बात सुनाने को
हिंसा का राह हम छोड़ेंगे
जब होंगे आंदोलन शांति से
कुछ तोड़ेंगे ना फोड़ेंगे
जब बिना आवाज़ उठाए भी
हर बात सुनाई जाएगी
सच कहती हूँ हाँ उस दिन
आज़ादी गीत सुनाएगी
जिस दिन देश की बेटियाँ
सिर उठा के बाहर आएँगी
जब उनकी लज्जा, चरित्र पर
ना उँगलियाँ उठायी जाएँगी
जब जन्म लेने से ही पहले
साँसें ना तोड़ी जाएँगी
जब ना कोई निर्भय की
लाज छीनी जाएगी
सच कहती हूँ हाँ उस दिन
आज़ादी गीत सुनाएगी
जब टूट जाएँगी दीवारें
खिड़कियाँ खुल जाएँगी
जब जातिवाद के नाम पे
चीजें ना बाँटी जाएँगी
जब भारत का नाम सुनते ही
दुनिया अपना शीश झुकाएगी
सच कहती हूँ हाँ उस दिन
आज़ादी गीत सुनाएगी
©monikakapur