हाँ! बुरा लगा मुझे कि तुम समझ सके ना मुझे,
सज़ा मिली उन गलतियों की जो की ही नहीं मैने!
कुछ वक्त का साथी बनकर इतनी चोट दे गए,
हाँ! बुरा लगा मुझे जो तुम छोड़ कर चले गए!
अब और गवाही खुद के लिए ना दे पाऊंगी,
तुम्हें जाना है तो जाओ अब रोक नहीं पाऊंगी!
खो दिया तुम्हें अब फिर तेरी चाह नहीं मुझे,
कुछ और दर्द मेरे हो गए क्या फर्क पड़ेगा तुझे!
अब तेरे दर पर भुलकर भी ना आऊंगी कभी,
जो नज़र ना आउ कहीं फिर भी नज़र ना आऊंगी!
खुश रहना तुम इन आशुओं के साथ कह रही मैं,
पर हाँ! बुरा लगा मुझे जो तुम समझ ना सके मुझे!
©innerthoughts_