बहोत सोचा गया है तुमको,
लिहाज़ से,
ऐतिहात से,
किसी रात बेसब्री से,
किसी बरस बहोत सब्र से;
परत दर परत,
लम्हा दर लम्हा,
फ़िर सीढ़ियां बनाकर तहख़ाने तक जाने की कोशिश भी की गई;
इस उम्मीद में कि शायद कोई सुराख़ हो,
उस गहराई में,
जिससे इस कहानी को समझा जा सके;
उन एहसासों को ,
कोई अर्थ पिरोया जा सके,
कोई माला किसी परिभाषा की,
जो किरदारों को जान दे सके;
उस हँसी के बीज ढूंढे जा सके,
या उन इम्तहानों के फल ढूढें जा सके;
किसी रात न सो पाने की बेबसी समझी जा सके,
या किसी रोज़ के नींद की बेफ़िक्री समझी जा सके,
पर बीते हर लम्हे ने बस यही समझाया की,
तुम(कहानी),
एक अपवाद हो.....!
या शायद और कुछ जिसे समझने में वक़्त लगेगा
©ayushsinghania
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ayushsinghania 55w
Hoping same that you and family is safe and sound.
Stay safe . Keep smiling :) ❤️