इश़्क
इश्क में हम इतने मग़रूर हो गए।
जितने भी गु़रुर थे, सारे चूर हो गए।।
हमारी दिल्ल़गी ने, उनकी बेव़फाई में जब दम तोड़ा।
तो भरी महफ़िल में हम भी मश़हूर हो गए।।
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