कुछ बदला नहीं दिल अब तलक तेरा तलबगार है,,,,,
खामोशीयाँ बस मेरा आखिरी हथियार है,,,,,,,,,,,
जज्बातों का सैलाब चरम पर पहुँचकर थम गया,,,,,,
शायद वक़्त- ए -हालात की यही दरकार है,,,,,,,,,,,,
©drusha
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drusha 34w