ये हाल - ए -अक़ीदत, ये शाम -ए -परवाना.
होती नहीं हर एक के मुयस्सर में.
जिसे होती है ज़हे मुयस्सर ज़िन्दगी में.
बीतती है हर एक रात अक़ीदत -ए -तकलीफ में.
©akshikatiwari
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akshikatiwari 92w