ये रिश्ते.
यूँ गहराइयों में तो ना गिरी थी.
जब गिरी तो सारे रिश्ते समझ आ गया.
यूँ दोस्ती में ये दिल इस कदर तो ना डूबा था.
डूब जाने पर सारे यार का मतलब समझ आ गया.
यूँ वर्षो से भ्रम में पली थी रिश्ते होते हैं दिल से.
पर यहाँ तो पैसों का व्यापार समझ आ गया.
यूँ हर रिश्ते बनने लगे अब औकात देखकर.
तू गरीब है तो गैर है अमीर हुआ तो हर लबो पर तेरा नाम आ गया.
यूँ मन में एक उमंग भरा चाहत जगा.
चला ये दिल इन फ़रेबियो के मेलों में ढ़ूढ़ने कोई अपना
फिर इन चाहतों ने चाहतों को गलत ठहरा दिया.
यूँ गहराइयों में तो ना गिरी थी.
जब गिरी तो सारे रिश्ते समझ आ गया.
©akshikatiwari
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akshikatiwari 105w