तू ही बता जिन्दगी तू चाहता क्या हैं।
आफ़ताब गुलशन से माँगता क्या हैं।
जुगनुओं को उजाले समझा हैं कोई,
शाम होते बदल जाना माजरा क्या हैं।
तू ही बता जिंदगी तू चाहता क्या हैं।।
©ro_hits
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