फकत दो चार पन्ने छोड़ दो खाली किताबों के,
ज़रूरी है मुकम्मल हो तभी किस्सा मुकम्मल हो?
_अंशुमान__
फकत दो चार पन्ने छोड़ दो खाली किताबों के,
ज़रूरी है मुकम्मल हो तभी किस्सा मुकम्मल हो?
_अंशुमान__