बेच आया रूह अपनी, उसकी एक मुस्कान पर
परवरिश अच्छी थी सबकी, क्यु बने हैवान पर
सब बचे थे सोच वाले, मैं रहा नादान पर
क्या करे कोई यक़ीन अब, यहां के इंसान पर
अपनी मंजिल खुद बना, उठा उंगली जहान पर
मोह है माया है सब, रख यक़ीन भगवान पर
©100rabh__007
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