"हिज़्र की रातें"
तेरा इंतेज़ार, जैसे सदियाँ हज़ार..
जैसे होती है घनघोर बारिश, ऐसे ही हम ज़ार ज़ार रोये..
सारी रात करवटे बदलते है, राम क़सम कभी चैन से नहीं सोये..
"अंशुल"
©anshul
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