था कुछ इस तरह से मुझपर उसका साया.
जैसे तपती धूप में पेड़ों की छाया.
खुद को भुला कुछ इस तरह उसे चाहा.
बस यही बात अपनों को न भाया.
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akshikatiwari 105w
था कुछ इस तरह से मुझपर उसका साया.
जैसे तपती धूप में पेड़ों की छाया.
खुद को भुला कुछ इस तरह उसे चाहा.
बस यही बात अपनों को न भाया.