मन की आग जब कागज़ पर उतर जाती है,,
मानों पवित्रता से शब्दो की आरती हो जाती है,,
जल रहा है भीतर मेरा प्रत्येक अंग,,
क्रोध की अग्नि में..
और तब तक ये अग्नि जलेगी जब तक मैं अग्नि द्वारा मृत्यु सय्या पर शीतल नहीं हो जाती...
जब आऊंगी नजदीक तुम्हारे पूछूँगी हर प्रश्न..
©happy81
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happy81 63w
के अगर मेरे टूटने से किसी को फर्क पड़ा होता
तो बातें चुटकी में सुलझती कहा मैटर बड़ा होता..