मिरे लहज़ों में नज़ाकत , खुमारी या मस्ती ना ढूँढो
मैं न तो बुलबुल-ए-चमन हूँ और न शाख़-ए-गुल !
©yusuf_meester
मिरे लहज़ों में नज़ाकत , खुमारी या मस्ती ना ढूँढो
मैं न तो बुलबुल-ए-चमन हूँ और न शाख़-ए-गुल !
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