बचपन एक याद
बचपन को भूलना क्या इतना आसान
वो भी क्या दिन थे दिल था नादान
गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाना
सबके साथ मिलकर वह खिलखिलाना
ना भूले हैं अबतक ना भूलेंगे कभी तक
यादों के सिक्के खनकते हैं आज तक
स्टापू खेलना और गिट्टे बजाना
पूरा दिन मस्ती में बिताना
हाथ होंगे सख्त चूड़ी भी ना आएंगी
मां का प्यार से यह सब समझाना
क्या याद करूं क्या भूलने की बात करूं
हर छोटी छोटी बात पर बचपन तुझे याद करूं
पता है ना लौटा है हर बीतने वाला पल
बस अब यादों में ही जी लो जो बीत गया पल
बचपन की यादों के अब सपने सजाते हैं
चलो बचपन को अपने बच्चों में लौटा लाते हैं
सुनते थे दादी नानी के अजूबे से किस्से
जिंदगी के बन गए आज खूबसूरत हिस्से
उन हिस्सों में फिर पल-पल दिन बिताते हैं
चलो बचपन की यादों को फिर से लौटा लाते हैं
©anusugandh
आप सभी का तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया