ऐ खुदा तेरी दी हुई साँसों की नेमत की,
किश्त कुछ यूँ अदा कर रहा हूँ मैं,
तोहमत न लगे तेरी नेमत पर,
रोज न जाने कितनी मौत मर के,
फिर नई उम्मीद से जिंदा हो रहा हूँ मैं।।
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