जागते है ख्वाब और यूँही रात निकल जाती है,
फिसले गर जुबान तो गलत बात निकल जाती है!
देखते ही हम उसकी....आँखों में डूब जाते हैं,
और देखते ही देखते मुलाकात निकल जाती है!
जिन्दगी में जिनकी न-दस्तयाब होती किस्मतें
इक आशियाँ बनाने में उनकी हयात निकल जाती है!
मुकद्दर में मेरे गमों की एतिहादत तो देखो,
दस्तक देते ही खुशियों की सौगात निकल जाती हैं!
मज़हमत है जिन्दगी में गुजरा हर वाकिया 'आभा'
मेरी जीत के सदके में भी किसीकी मात निकल जाती है!
©undying_emotions
-
undying_emotions 109w
मजहमत*-opposite,contrary
एतिहादत*- togetherness
न-दस्तयाब-non available