दर्द-ए-दिल की दवा करें तो क्या करें
तेरे बग़ैर हम करें भी तो क्या करें
ज़माने की बेतरतीब तरीकों से परेशान
कोई हमें ही आँख दिखाए तो क्या करें
जिनका दीन-ओ-ईमान से रिश्ता ही नहीं
वो ही गर सज़ा सुनाने लगे तो क्या करें
इस शहर में सच की कोई कीमत नहीं
झूठ पढ़ कर सब जवां हुए तो क्या करें
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