अंधेरो में रौशनी ढूंढते
कब जाने तुम बिखर गए
खो गए चाँद सितारे आँखों से
सिशो में भी कहा मिले
मंजीर या समां
मंजिल या मज़ा
आतिशबाजियो में ढूंढता सनाटा
अब मेरी खामोशियों में भी कहा मिले
उस आकांशा का अंश
गिरती बूंदो का मन
पथरो की आहटें
मासूम मुस्कानो की खिलखिलाहट में भी कहा मिले
जागे हुए कागज़ो की चीखे
सोये हुए दरवाज़ों की दस्तके
मरती उचाईयों की कसके
जीने की गूँज में कहा मिले
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vatsal_ 50w