मैं किसी धान के खेत सा लहलहा जाऊँ,
जो हवा के झोंके सा तू एक बार आ जाए।
©travelling2hell
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कई बार बहुत मुश्क़िल लगता है मुझे शब्दों में जज़्बातों को उतारना। मैं बरसाती पानी में किसी काग़ज़ की कश्ती सा बहता जाता हूँ।