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©stardust_16
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stardust_16 48w
बस इसी इंतजा़र में रात गुजर जाती है।
कि खाली कमरे में सुबह धूप तो भर जाती है।।
माना कि इन अंधेरों के हम मुसाफिर हैं।
पर जिंदगी हमें दूर तक नज़र आती है।।
वो जो बेकार सा, भटकता रहता है सड़कों पर।
उसी से पूछते हैं सब, ये सड़क किधर जाती है।।
इश्क़ का ऐसा है असर, कि उनसे मिलने पर।
शक्ल का क्या ही कहना, परछाई भी निखर जाती है।।
Kya baat hai