इन मुस्कानों की परछाई में,
आसुओं के दाग़ बड़े गहरे हैं।
आजादी जैसी दिखने वाली सहर,
के चारो ओर बड़े पहरे हैं।
उड़ते परिंदो से जो दिखाई देते हैं,
उनसे पूछो, मुद्दतों से ठहरे हैं।
शांत आंखें जो समंदर सी दिखती है,
उसके अंदर भी आसुओं की लहरे हैं।
ये जो भोले भोले से दिखते है,
ये बेहद खौफ़नाक चेहरे हैं।
कभी ना आना रातों की दिलचस्प बातों में
उसके आगे दर्द ,भारी सहरें हैं।
जो ये करते नहीं वो कह रहे हैं....
जो ये करते हैं हम वो सह रहे हैं........
तो भी इस ही जहां में रह रहे हैं...........
©fuel_for_life
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fuel_for_life 125w
@mirakee @thoughtfull_writer @jiya_khan @vandi123 sorry for being absent
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