गुमां
बनकर कली बाग़ में जिन्हें सँवरते देखा है ,
उम्र के साथ उन्हें भी जमीं पे बिखरते देखा है।
कौन है ये लोग गुमां में लबालब डूबे हुये ,
हमने तो चाँद को भी ग्रहण लगते देखा है ।
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