व्यक्तित्व
स्त्री की हंसी में भी एक लाज है
उसकी ममता भरी आवाज है
शर्म का पर्दा है आँखों में,इसलिए
उसको अपने व्यक्तित्व पर नाज है
ह्रदय में अपार स्नेह लिए रहती है
होंठों पर मुस्कान सजी रहती है
कभी मन की आँखों से देखो उसे
वो भावनाओं का सुन्दर ताज है
माँ जिसकी तुलना किसी से नहीं
बहन से प्यारा कोई रिश्ता नहीं
बेटी से रौनक है घर ऑंगन की
पत्नी पति की गहरी हमराज है
©kamini_bhardwaj1
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