जो आपके नाम से चले वो धड़कन मेरे यार है
आप में हम जो हैं देखते कुछ नहीं वो प्यार है
बेताब दिल की आरज़ू आज यूँ पूरी हो गयी
वो सामने जो आ गये महक गया इंतज़ार है
हमारी ख़्वाहिशों को ज़मीं कभी मिल जाएगी
बारिश के बाद आ रही ये खुशबू ए बहार है
ज़माना जिसको ढूँढ़ता मिला नहीं सुकून वो
जो आप हमको मिल गये आ गया क़रार है
मिट भी जायें दौलतें मिट भी जायें शोहरतें
आँखों को जो चाहिए वो उनका ही दीदार है
फ़ासला अब कुछ भी हो हमें कोई न फर्क है
दिल से दिल तक जा रही दिल की पुकार है
इक अजीब सा दर्द जो हमारे दिल में है आज
इसे और कुछ न जानिए ये इश्क़ का खुमार है
न रहेगा ज़िस्म ये जो वक़्त ए क़ज़ा आएगा
मुहब्बत बचेगी बाद भी बस यही ऐतबार है
- हिमांशु श्रीवास्तव
officialhimanshu
Himanshu Shrivastava | 5 August | Delhiet | Convenor : Raajpath Sahitya & Guftaar Instagram :- @himanshutheofficial
-
-
चाहे बुलंदी पर भी पहुँचे
झूठ लेकिन झूठ रहता है
- हिमांशु श्रीवास्तव -
ज़िन्दगी लाचार है आज
मुस्कुराती मौत के सामने
- हिमांशु श्रीवास्तव -
रातों के अंधेरे से लड़ झगड़ कर
दिन के अंधेरों में घिर गए हैं हम
- हिमांशु श्रीवास्तव -
सुनाई नहीं देती मग़र दूर तक हैं जाती
वो चीखें जो सिर्फ दिल में उठा करती हैं
- हिमांशु श्रीवास्तव -
तेरे बिना नहीं हमें गंवारा कुछ भी
इक तेरे सिवा नहीं हमारा कुछ भी
- हिमांशु श्रीवास्तव -
अगर आप लोगों को मूर्ख बनाना जानते हो, उनसे काम निकालना जानते हो, काम निकलने पर उनको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंकना जानते हो और यदि आप लोगों को उनकी हैसियत देख कर रिश्ते बनाना और अहमियत देना जानते हो तो आप एक अच्छे नेता हो और राजनीति बहुत अच्छे से सीख गये हो।
- हिमांशु श्रीवास्तव -
मैं ज़मीन तू मेरा आसमां
तेरे बिन मैं जाऊँगा कहाँ
- हिमांशु श्रीवास्तव -
जब देश में नेता चुनाव लड़ेंगे धर्म और जाति पर। जनता वोट देगी धर्म और जाति पर। फिर किसान और मजदूर की परवाह किसे होगी। धर्म और जाति का ही झुनझुना बजाते रहो। यही आपकी औकात है। यही आपका भविष्य होगा। खाना, नौकरी और अच्छी ज़िन्दगी पर आपका कोई हक नहीं होना चाहिए।
- हिमांशु श्रीवास्तव -
मुहब्बत को कोई ऐसा अब आयाम मिल जाये
तेरी बाहों में बैचेन दिल को आराम मिल जाये
बरसों की इस दूरी को मिटा देना तू एक दिन
जैसे दुनिया में कहीं सुबह से शाम मिल जाये
- हिमांशु श्रीवास्तव
-
Lonliness
A kid who lost his mom at 1 year old of his age, now it's 5 years have been passed for such incidence, the locality where he live have no any frnd to play, but the kid is so so creative, chanchal n sweet also.
Today
My heart was cry out by seeing a kid lonliness, he was sit at his home stairs, on one hand he has phone which he let it near his ears n talk very smartly like a boss act as talking with his any frnd... I was just surprised by way of his talking , I go near him take his phone, I found there was no any call on the way, I ask him kisse baat kr rhe the ??
He was laugh softly with his heart catching face... & Said to me hahahaha appi ko बुद्धू bna diya....I was also laugh at his act
But I go through this litle kid heart inside I found he full of lonliness, he wanna frnz zone of his age, he wanna a mother to love him, to hug him, he don't know the word mother as he lost her at so little age, but somewhere it's lack he feels ..he need a listener like a mother who answr all his innocent creative questions.
He has toys, phone games, bicycle....n everything but I found he is alone inside , he need a mother hug.
lonliness sucks a mind very badly.
©chahat_samrat -
वो दो सड़कों का जोड़ था
जहां दिल मेरा तोड़ा गया
©iamfirebird -
✍️
वक्त ने गिरा कर वक्त ने ही संभाला है!
लहरों ने डुबो कर लहरों ने ही निकला है।
लूटा है जिन्होंने , लुटाकर फिर वही लुटेरे
लूटी काफिले में उन्होंने खुदा की माला है|
जोड़ हाथों ने आदर्श बनाई तस्वीर जो,
उन्ही हांथो ने बुना उस तस्वीर में जाला है।
खुशियों से भरा था कल जो वो आंगन,
आज उस चौखट धूल , दरवाजे ताला है।
बड़े ना होते वो बच्चे भी उमर से पहले,
छीनता न अगर उसके मुंह जाता निवाला है!
पेट काट मौत से दो- दो हाथ को तयार खड़ी,
यूं ही नहीं भूखी मां ने किसी लाल को पाला है।
गलती करना जब इंसानी फितरत में है जब्त,
चाहत ने दोष फिर कब इंसानों पर डाला है।
©chahat_samrat -
iamfirebird 4w
...
-
ये अजि़य्यत कैसी है हबीब, मैं कोई गम बता भी नही सकती,
अब तुम्हें दिल में नही रख सकती, और मिटा भी नही सकती।
अपने अहद में था,इक़ दूसरे की याद को जला देना जिहन से,
और इक़ कम्बख्त मैं हूँ, तिरी इक़ तस्वीर हटा भी नही सकती।
©parle_g -
उनसे जो अभी तक होती हमारी, जाने ये वफ़ा कब तक है,
कि उनकी बातों का लहज़ा बताता है,वो ख़फ़ा अब तक है।
©rani_shri -
bagdi_kanya 6w
*अन्नदाता*
अन्नदाता थे तब तक बहुत किया तुम्हारा सम्मान
क्यों देश कि आन बान को हाथ लगाते नहीं डोला तेरा ईमान।
सत्ता से लड़ाई में साथ तेरे था पूरा हिंदुस्तान
फिर क्यूं तूने गिराया देश का आत्मसम्मान।
सुनते आए थे बचपन से जय जवान जय किसान
जवानों पे कोई प्रश्न नहीं कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
उन पर है समूचे भारत को अभिमान।
किसान की उस दिन परीक्षा थी पर क्या सच में यही था वो किसान??
कैसा है छाया देश में कोहराम,
ये किस डगर पर चल दिया हिंदुस्तान..
दो बेटे है भारत माता के एक जवान, दूजा किसान।
वो रक्त से सींचते इस धारा को और यहाँ पसीने का होता बलिदान दोनों ही अनमोल रत्न है।
तो कैसे मान लूं वो झुका देंगे मां का स्वाभिमान..
मां के आंचल को दाग लगाया मुझ पर नागवार है यह इल्ज़ाम।
भारत मां के दोनों बेटों में 26 जनवरी को मचा था संग्राम यहाँ, 138 करोड़ देशवासियों की गरिमा को धाराशायी कर गया कौन था वो शख्स वहाँ??
जी नहीं माफ कीजिएगा लाल किले पर जो चढ़ा था..वो नहीं था मेरे देश का किसान।
जाते जाते ये भी कहुगी तिरंगे से बड़ा नहीं यहाँ कोई निशान
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हम सब से ही बना ये देश महान।
तिरंगे से ही विश्व में है हमारी पहचान
उससे ऊपर नहीं इस देश में कोई इंसान।
जय हिन्द
जय जवान जय किसान
©bagdi_kanya -
2122 1212 22
अब मिरी आँख में नही है तू
दिल किसी आग में नही है तू
यूं वफ़ा से न देख अब मुझको
जख्म, इस दाग़ में नही है तू
ज़िन्दगी तोड़ कर लुटाता मैं
ज़िन्दगी, बाग में नही है तू
भूल जाते कभी तिरी बातें
आज इक़ बात में नही है तू
इक़ ख़ुदा जिक्र पे नही लौटा
माँ, इसी राग में नही है तू
©parle_g -
parle_g 7w
जो मिरी शबों के चराग़ थे जो मिरी उमीद के बाग़ थे
वही लोग हैं मिरी आरज़ू वही सूरतें मुझे चाहिएँ।
~~ ऐतबार साज़िद
@officialhimanshu आपकी नजर में कुछ गुस्ताखी !!
अच्छा लगे तो.... बतलाना जरूरअर्ज़-ए-मुज़्तरिब !
कुछ भी तो नही अहबाब बस कभी अर्ज-ए-मद्दुआ नही समझा,
यहाँ इक़ कम-बख्त मैं ही था,जो ता-उम्र तिरी वफ़ा नही समझा।
यूं तो मिरे भी मिज़ाज में नही आ'ता मुड़के देख लेना किसी को,
तुमसे हजारों मीलों का फासला रखा है, म'गर जुदा नही समझा।
तिरे इल्ज़ाम रख लिए, बेवफाई रख ली,तो क्या बचा था माशूक़,
अब तो ख़ुदा के वास्ते कुछ मत कहो,कि तुम्हें ख़ुदा नही समझा।
आज भी ज़िंदगी नही दिखती मुझ'में,मिरी नब्ज देख लो आकर,
आओ कोई लम्हा बतलाओ,जब तिरे जहर को दवा नही समझा।
मुना'फ़िक़ सब कुछ है यहाँ, तू भले यकीं ना करे मिरी बा'तों का,
तू फिर आग तक सम'झ जाता है,और मैं कभी हवा नही समझा।
फाएदा क्या है, देर त'लक तुम्हें इक़ तस्सवुर में बिठाए रखने का,
फाएदा क्या है,इक़ हफ्ता भी तू मिरे जेहन की स'दा नही समझा।
किसकी हिदायतें है तुम'को,दर्दों की जमा'खोरी पर लगे हो मियाँ,
लानत है, तू भी कभी इंसाँ के इरादों की बंद-ए-कबा नही समझा।
लुटाने को क्या है दर'मियाँ, मिज़ा से मिरे ख़्वाब तोड़ लो अख्तर,
ये अच्छा नही रहा, मैं कभी जफ़ा नही समझा सफ़ा नही समझा।
मुझे नही मिला कोई रम्ज,क्यों दश्त-ए-सहरा आज वीराँ है इतने,
गालि'बन मैं ही हूँ, जो कभी तबी'अत से कोई फ़ज़ा नही समझा।
सितारों की कोई उम्र नही होती,फ़क़त आसमाँ चलाता है सबको,
मि'री माँ, मैं जब तक तिरे आँचल में रहा, बस क'जा नही समझा।
©parle_g -
सच कहुँ
मैं सच कहुँ तुझसे तो
तुझे देखकर मेने खुद को जाना
मुझे खुशियाँ बेहिसाब दी तूने
मेरे गमों को यूँ ही अपना माना
तुझे देखकर मेरे होंठ अपने आप मुस्कुराते है
जिन्दगी तो तुझमें जीती हूँ मैं
वरना लोग तो कई आकर चलें जाते है
मुझे आदत किसी की न थी
जो अब तेरी हो चुकी है
ये आँखे तेरे सिवा कुछ और
देखने का हक़ खो चुकी है
ख्वाहिश है
एक रोज़ तुझे जी भरके देख लूँ
तेरी ख़ुशी है जिसमें
वो सब कुछ करके देख लूँ
नजाने क्यों इतना मुश्क़िल है
अपने जज्बातो को समझाना
मैं सच कहुँ तुझसे तो
तुझे देखकर मेने खुद को जाना
©kashishverma77
