वो असल दर्द, वो असल प्यार कहाँ हैं
अब दीदा-ए-नम होने को तय्यार कहाँ हैं
है इश्क़ वो इफ़रात, जिनको हुई हासिल
रातों में उनकी, तन्हा इंतेज़ार कहाँ है
बाग़ीचे में अपने, मैं बोता हुं सियाही
मेरे लफ़्ज़ों पे मेरा इख़्तिया'र कहाँ है
ना पूछ मेरे पंख से परवाज़ का पता
ये पूछ मेरे ख़्वाबों की मज़ार कहाँ है
अब जो छुरा मारते हैं, उफ़्फ़ नही करते
अब के जुग में, सादिक़ सियार कहाँ हैं
हिम्मत जुटा के दोस्त कभी मेरे माज़ी से
ये पूछ मेरे क़त्ल के औज़ार कहाँ हैं
चिलमन में छिप कर, धुंडता हुं दरीचे से
'शाज़ान' रातों में रोश'न, दयार कहाँ हैं।
©Mr_khan
-
mrkhan56 3d
Na kar arzoo, mohabbat ki is qadar
Ye marz aisi hai, iski dawa nhi milti
Malham sukh jaate hai zakhm pe lagke
Mayassar hawa me bhi hawa nhi milti
दीदा-ए-नम :- tearful eyes
इफ़रात :- excess
सादिक़ सियार :- good character
माज़ी :- past
चिलमन :- curtain
दरीचे :- window
दयार :- region
#hindiwriters @hindiwriters @hindinama -
गर उसकी आंखों से मोहब्बत का इकरार हो जाए
विरान पड़े मेरे दिल में, दफ़'अतन से बहार हो जाए
सद-हजारां आंखें तकती होंगी उस इक चांद को
ऐ ख़ुदा, मगर, उस चांद को मुझ से प्यार हो जाए
©shazaan_khan -
mrkhan56 2w
Bistar ki silvatoon se ye mahsuus ho raha hai,
Todaa hai dam kisi ne, karvat badal badal k...!
गुबार-आे-गर्द :- dust
फर्द : special
तबस्सुम :- smile
रुखसार :- face
रुख-ए-ज़र्द :- ill face/sad face.उसके हाथों की लम्स तो, उसकी गुबार-आे-गर्द लिखता हु मैं
जो लौटेगा नही, उसके इंतज़ार में, हर रोज़, फर्द लिखता हु मैं
उसकी याद मे बहा कर ख़ून, तन-बदन ओला हो गया है अब
छू कर गुज़रती है जो गर्म हवाएं, उन्हें भी सर्द लिखता हु मैं
दाग़ मेरे पसंद होते उसे, बशर्ते चेहरा गर चांद सा होता मेरा
करके ऐसी बातें जो दर्द देते थे, उन्हें भी हमदर्द लिखता हु मैं
वो गए सो गए, साथ ही ले गए तबस्सुम हमारे रुखसार से
तुम खुश देखते हो मुझे, काग'ज़ पर रुख-ए-ज़र्द लिखता हु मैं
अश्क अपने भर के कलम में, बहा देता हुं कागज़ पर सजा के
कोई ग़ज़ल तो कोई नज़्म पढ़ते हैं,असल में दर्द लिखता हु मैं
©Mr_khan -
mrkhan56 2w
Na Jaam-e-ishrat ka, na kisi fal ke sharbat ka sanam
Aaj chhayega nasha mjhpe, toh mohabbat ka sanam
~shazaan
तरन्नुम-ए-ग़म :- lyricism of sorrow
दफ़'अतन :- instantly
इफरत :- abundance
ज़िया'न :- injuryबिखरे थे जो तरन्नुम-ए-ग़म, उन्हें जोड़ लिया है मैंने
दफ़'अतन ही इश्क़ की गलियों से ख़ुद को मोड़ लिया है मैंने
ओझल हो गया हूं, के गम इफर'त में आने लगे हैं
दर्द के धागों से बना कर लिहाफ, ओढ़ लिया है मैंने
ख्वाहिश किया करते थे वो, चांद तारे मैं तोड़ लाऊ
मेरी ख्वाहिश जो ना की, तो रिश्ता तोड़ लिया है मैंने
ज़िया'न से बहते ख़ून ने, लत लगा दी है लिखने की इस क़दर
स्याही ख़त्म होने को थी तो बचा ख़ून भी निचोड़ लिया है मैंने
मैं तरसता था कि दर्द मिले , तो बनु , शायर मैं भी
दर्द मिला तो ख़ुद को शायर कहना ही छोड़ दिया है मैंने
©Mr_Khan -
mrkhan56 2w
हवा अभी हिला के पर्दे
कमरे से गुज़री है।
नाराज़ है शायद!
तुम्हारी तस्वीर
टेढ़ी कर गई है।
धूप भी उतर रही है,
आंख बचा के हौले से!
बुझ जाएगी
तारों के आते आते।
दरवाज़ा फिर
धाड़ से निकल गया है
तुम्हे ढूंढने,
सिलवटें भी बिखर गई हैं
बिस्तर पर।
पिछली बार समेट गई थीं तुम!
किताबें औंधी पड़ी हैं
फर्श पर
और
ऐशट्रे में बुझाई
सांसों भी खाली करनी हैं अभी।
कितनी फ़सुर्दगी छा गई है अब!
~शाज़ान
#hindiwriters @hindiwriters.
-
mrkhan56 3w
कर लूंगा फ़िर इक दफा मोहब्बत तुमसे ,
बशर्ते मुझसे पहला सा प्यार ना मांगना ।
~शाज़ान
मुझ से पहली सी मोहब्बत
मेरे महबूब न मांग
~अहमद फ़ैज़दर्द अब भी है, हालांकि उन ज़ख्मों के निशा'न नहीं है
की थी इक दफा, दोबारा मोहब्बत करना आसा'न नहीं है
ईमान का सौदा मुसल'सल बेईमानी से कराया मुझसे
तुम्हे फ़िर दे सके, अब बाकी मेरे पास इतना ईमा'न नहीं है
लोग कहते है जिस्म जिसे, मेरे गमों का ढांचा है महज़
करने को तो सब कर रहा हुं, पर बाकी मुझमें जा'न नहीं है
निकल'ते है आंसु, तो छिपाता हुं कि कोई देख ना ले
तुम्हे हर राज़ बता दु अपना, ये दिल इतना नादा'न नहीं है
तेरे दिए हर दर्द को दिल के इक कोने में दफ़न कर लिया मैंने
फिर दोगे दर्द दफनाने को, ये दिल है, कोई कब्रिश्ता'न नहीं है
अब वो खुशी, वो हसी, वो जज़्बात बाकी नहीं है मुझमें
हां इंसान तो वही है, पर अब वो पुराना "शाज़ा'न" नहीं है
~शाज़ान -
mrkhan56 3w
तिरगी :- dark
मुफलिसी :- poverty
लुत्फ़-ए-कलाम :- pleasure of conversation
नासूर :- permanent wound
अहमक :- stupid/foolतिरगी ज़िन्दगी में उसकी, मैं रोश'नी बन के आया तो सही
बेशक दिया धोका उसने, मगर मैनें साथ निभाया तो सही
दर्द पूछ पूछ कर उसके, दर्द सारे ले लिए मैनें
खुद तो रोता रहा लेकिन उसे हर पल हसाया तो सही
मुफलिसी में भी, हर मुश्किल ख़्वाब पूरे किए उसके
भूख मार कर अपनी, उसके सपनों को सजाया तो सही
मेरे रिस्ते हुए ज़ख्मों से , मलहम भी कतरों में बह गया
दर्द मिट गए के उसने मेरे ज़ख्मों पर मलहम लगाया तो सही
माना कि, महज़ अपने मतलब से ही बातें किया करते थे
पर इसी बहाने उनसे, लुत्फ़-ए-कलाम हमने पाया तो सही
के चाहा उन्होंने जब, भुलाना मुझे अपने दिमाग से
ख़ुश हुआ के मै , उनके दिमाग में आया तो सही
टूट करके टुकड़ों में भी, मैं ख़ुश-नसीब समझता हुं ख़ुद को
की उसने मुझे, अपने इश्क़ के लिए आज़माया तो सही
ढूंढ़ने इलाज अपनी चोट का, मै जाता रहा उसके पास
ठीक ना कर सके, मगर मेरे ज़ख्मों को नासूर बनाया तो सही
रो कर के, ना भुला पाया, ना कम कर सका मैं दर्द अपने
झूठी हंसी से कम-आे-बेश, खुद को खुश दिखाया तो सही
अहमक, इश्क़ में पागल, ना जाने क्या क्या कहा लोगों ने
सुन कर ये बातें 'शाज़ान' को जज़्बात लिखना आया तो सही
©शाज़ान -
mrkhan56 3w
एक एहसास है
जो बहुत करीब से
गुज़रा है अभी अभी
के जो एहसान
करते हो तुम मुझसे
बात करके कभी कभीउसी एहसास ने एक सवाल किया है मेरी रूह से
के इन एहसान का बोझ, मैं ख़ुद पर चढ़ाऊ कब तक
हर्फ-दर-हर्फ, हर हर्फ ने पूछा सवाल मुझ से
इन खतो को मैं अपने होंटो से लगाऊं कब तक
रू-ब-रू होंगी अब बातें , जो भी होनी है तुमसे
ये छुप छुप के नज़रें मै मिलाऊं कब तक
ख़ून की धार, मेरे जिस्म से निकलती रही पूछते हुए
मोहब्बत में हर रोज़ , मैं ख़ून बहाऊं कब तक
ये इश्क़ मेरा, अब बे-पैरहन ही ठीक है
इन पे चाहतों के फूल मैं सजाऊं कब तक
चलो आज ये किस्सा ख़त्म कर ही देते है तुम्हारा
के इक इंसा'न के आगे, मैं सर झुकाऊं कब तक
©MrKhan -
mrkhan56 4w
Wo jo sochte the, hum nazm nahi likha krte..
kya maalom unhe, zakhm kuredne ka dard kya hai..
~shazaan
Mutmayin :- free
But-e-bedard :- heartless beloved
Huur-e-jamal :- very beautiful woman
Huur :- Fairyमेरा होना , शायद , अब उसे खलने लगा है
यही सोच कर के , मेरा दिल मचलने लगा है
उसके साथ एक लम्हे में वक़्त थम सा गया था
बग़ैर उसके , वक़्त भी अब चलने लगा है
वो चरााग जो उसके नूर से जल के बुझा था कभी
आज मुझे अंधेरों में देख , वो जलने लगा है
एक अफताब मुझमें जो मुत्मईन था अंधेरों से
राह तकते उसकी , आहिस्ता-आहिस्ता ढलने लगा है
महज़ लम्स से उसके खिल उठती थी कलियां गुलाब की
हर रोज़ देता हूं पानी, फ़िर भी वो गुलाब गलने लगा है
बुत-ए-बेदर्द के दर्द की कुछ इस क़दर आदत सी हो गई
के मरहम भी अब , मेरे ज़ख्मों को मलने लगा है
चाह कर भी भुला ना सका मेहबूब को अपने
ज़िन्दगी से गया तो , ख्वाबों में आकर टहलने लगा है
देख कर उसे , अश्क खुद-ब-खुद सेहम जाते थे
अब तो महज़, उसके नाम पर ही आंसु निकलने लगा है
गिरा था , किसी हुर-ए-जमाल के इश्क़ में एक दफा
अब तो "शाज़ान" , हूर देखकर भी संभलने लगा है
©MrKhan -
mrkhan56 5w
Chaara saazo ki chaara saazi se
Dard badnaam toh nahi hoga
Haan, dawa do magar ye batla do
Mujhe araam toh nahi hoga
~jaun eliya
Maslak-e-ishq :- religion of love
resho :- veins
Rasm-e-adab :- tradition of respect
Be-itaat :- without obedience
Talkh :- bitter
Kaafi dino baad ek nazmArsō bãad ãaj uñse , do pal kī mulãkat huī
Khãmosh rahe hum, māhaz aankhō.n se bãat huī
Mãslak-e-īshq reshō.n me behñe lgī is qãdar
Rasm-e-adãb bhī humāri āaj be-itā.at huī
Tālkh uñke ãañsu mrī āañkho.n se behte haī
In ñam aañkho kī na jāane kitñi vāaqiyat huī
Wāqt bhi bāhut āahista se guzrā tha āaj
Koi shāk ñhi ke āaj, kāafi der se rāat huī
Rāat bhar ñhi soñe diya trī yāadon ke jugñuon ne
Aāj fir saarī rāat teri pārchayī se bāat huī
©MrKhan
-
epicoo 1d
परिंदे सफर में हैं कि घर ढूंढते है,
मुफलिसी में भी वो मगर महल ढूंढते हैं।
सपनों को जरा अपने आसमां तो दिखाओं यारो,
कि चलो आज फिर नए पर ढूंढते हैं। ।
...swati...
©epicoo -
abhi_mishra_ 8h
लहज़ा - Accent, tone
इत्मीनान - धैर्य
गवारा - Acceptable
ज़बान - ज़ुबान
संकरी - Narrow, पतली
#hindi #hindiwriters #abhimishra️
लहज़े में आदमी को, इत्मीनान रखना चाहिए,
गवारा है गर चुप हो, पर ज़बान रखना चाहिए।
बेशक हमसफ़र हो, इस सफ़र का मगर,
गली संकरी है, कम सामान रखना चाहिए।
©abhi_mishra_ -
Are you in love?
Not romantically,But in love with myself, life, waking up in the morning, smiling, laughing, growing, crying through life one second at a time,
Going through a hardships
And still loving life....
©ansari_aliza -
inked_selenophile 13h
#structure #Apriliners
@writersnetwork, thanks for the like (35)✨
and EC tooA poet's heart adorns pain using metaphors.
©inked_selenophile -
©qalm_e_afrah
-
fromwitchpen 1d
Jo aaye tumhari bazm mein
Deewana ho jaaye
Yeh achhi pardadari hai
Yeh achhi raazdaari hai
(Hazarat Bedam Shah Warsi)
________________________________________
Lemon skin wimpish breaths, whacked, death
idyllic conjuror, play with phlegmatic minds
in the flapdoodle of hocus-pocus, tedious
Pinion your proclivity for art and literature
dangle you on the attenuate cords of wants
by contenting your eyes with braid of 'Ala Rasi'
Phantasmagoric blizzard of postulations, qualm
when life is 'maktub' in fibster chalks and spines
so how can you amend a corrigendum, quietus
Homosapiens malaxate treacherous diamonds
by gobbing out equanimity and egalitarianism
quaff tincture of oblivion, apocalypses humanity.
_______________________________
#languageart©fromwitchpen
-
गानों से तुमने,इस दोस्ती के रिश्ते को दूसरा मोड़ दिया
मैंने बस ना समझने का बहाना किया,और तुमने सब वहीं छोड़ दिया?
©सानिया -
तुम बिन कहे समझना,मेरे ना समझाने का राज़।
पूरा दर्द समझा दूंगी,बिना खुद को समझाए।
©सानिया -
sparkling_ 3d
C.I.T.Y
A location with
lakhs of dreams
Thousands of wishes
But not even hundreds of kind souls.
C.I.T.Y
A site with
Opulent materials
High quality of calibre
Pioneering people
But dearth of endearment.
C.I.T.Y
A space with
Lofty buildings.
Cosy houses
But where is home?
C.I.T.Y
A place with so many cars.
And no place for trees.
So many parks.
But is it pollution free?
C.I.T.Y
A place with development.
A place for ensuing.
A place for finer life.
But can we get contentment here?
©Saniya
#cityc ?
@writersbay :) @writersnetwork a read?
Corrections are most welcomeA place with ambitions,
But satisfaction? -
aka_ra_143 1d
दूर जाना आपसे समय की मांग है
हमें हर हाल में बस आपकी मांग है
आप ज़िन्दगी आप ही मेरे जहान हो
आप मेरी हर सुबह की वो अजान हो
©aka_ra_143
