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monikamalvigoonj
monika malvi 'goonj' www.instagram.com/goonj _alfazz_ki
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monikamalvigoonj 93w
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monikamalvigoonj 93w
ये बेरूख़ी सी अदा
पहली दफा तो नहीं
इम्तिहान तेरी मोहब्बत ने
अक्सर लिए है....
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 93w
कान्हा की राग मे
इरा सी हो जाऊं
मैं, इश़्क की हवा में
मीरा सी हो जाऊ
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 114w
थक गई हूं समझदार रिश्तों के रास्ते पर चलकर
अब जिद्द है गिर जाने की, नासमझ नजरों में
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 133w
खामोश जो रहूं ....
तो शब्दों का दम घूटने लगता है
और जो बोल दिया
तो जज्ब़ातों के मायने खत्म हो जाते है
हाथ थाम ले जो वक्त मेरा
तो परिस्थिति का दम घूटने लगता है
और जो छोड़ दे,
तो कोशिशों के मायने खत्म हो जाते है
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 133w
मै जिन रास्तों पर चलूँ
ऐ जिंदगी....
ना उम्मीद हो
ना आसरा हो
ना फास़ला हो
ना सहारा हो
ना कोई मेहरबां हो
सिर्फ विश्वास हो
और मेरे अपनो का साथ हो
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 133w
तकरार प्रत्येक शख़्स की
सोच में जायज़ है...
पर समझ से भी न संभले,
ऐसी कोई उलझन नहीं
उतार चढ़ाव तो पड़ाव है
इस जीवन के...
साथ दे, सहारा दे क्या
रिश्तों में अब ऐसा संगठन नहीं
अड़कर किसी मस़ले पर
उसको पत्थर का न बना
कट जाए ये पत्थर,
रिश्तों की डोर के रेशे इतने सघन नहीं
जो बड़े है उनमें बड़प्पन नहीं,
छोटो में झुकने का चलन नहीं
क्या प्रेम, स्नेह, आदर का
रिश्तों में अब संतुलन नहीं...
'रिश्तें पर गुरुर होने से...
रिश्तें में मगरूर होने तक का सफ़र......'
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 134w
वक्त बोलता है तो दुनिया में सब सुनते है
तब शब्द शख्सियत का मजबूत चोला बुनते है
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 134w
कितना वक्त लगता है
सोच बदलने में...।
एक गलती हुई नहीं
के लोग व्यक्तित्व तौलने लगते है
©monikamalvi'goonj' -
monikamalvigoonj 134w
मैं अपने सच की पैरवी करती रह गई
उसका झूठ फैसला अपने हक में ले गया
©monikamalvi'goonj'
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भारत-4
हिमाद्रि तुंग सी शिखा
कश्मीर कांत शक्ल सा,
वालांगू से सरक्रीक तक
फैली प्रबल असीम भुजा,
लक्षद्वीप और अंदमान
विराजते यूं लटकन कड़े का,
कुमारी अंतरीप पग अडिग
हिंद सिंधु है पखारता........१
आर्यावर्त आर्यों की धरा
यहाँ कण-कण में ज्ञान भरा,
अद्भुत दर्शन, वेद,वेदांत
संस्कृति सज्जित सुमनस सदा,
विदित लोक-परलोक तक
संस्कृत मुख्य मधुरिम भाषा,
हर प्रदेश की अपनी अलग छटा
कोई शैल श्रेणियों से घिरा
कोई दर्शाये बर्फीली मनोहारी दृश्यता.......२
गर्भ में भारत के अथाह सम्पदा
रहस्यमयी भारतीय वसुंधरा,
खनिज तेल विविध अनमोल वस्तु
हिंद सिंधु में छिपा पड़ा,
यूं ही नहीं चीन नज़र गड़ाये खड़ा
आस्ट्रेलिया ने भी किया समझौता
सैन्य हवाई अड्डे का,या अमेरिका पीछे पड़ा,
यूं ही नहीं है भारत सोने की चिड़िया,
विश्व गुरु, विश्व विजेता रहा
और रहेगा भारत, भारत सर्वदा........३
©prakriti_iipsaa -
सांझ
देखो देशवासियों सांझ हो चली है,
सलामी देने की बेला हो चली है।
सूखे रक्त की मिट्टी को
प्रणाम करने की तैयारी है,
होने दो तिरंगे को भावुक
आज उसने नज़र उतारी है,
याद कर लें उन वीरो को
हम भारतीयों की ज़िम्मेदारी है।
देखो देशवासियों सांझ हो चली है,
सलामी देने की बेला हो चली है।
चलो चलें हम सब अमृतसर
जलियांवाला बाग देख आते हैं,
नम आखों से शहीदों को
हम नतमस्तक कर आते हैं,
वीरगति प्राप्त उस धरती में
पुष्प अर्पित कर आते हैं।
देखो देशवासियों सांझ हो चली है,
सलामी देने की बेला हो चली है।
वीरता निडरता की मूर्ति देखने
हम अलफ्रेड पार्क चलते हैं,
तर जाएंगे स्थान को देखकर
आज़ाद स्मृति देख लेते हैं,
राजघाट पर सूत चढ़ा कर
बापू को धन्यवाद दे देते हैं।
देखो देशवासियों सांझ हो चली है,
सलामी देने की बेला हो चली है।
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को पढ़कर
आज़ादी को समझ लेते हैं,
चलते हैं लाहौर सेंट्रल जेल
इंकलाब की गूंज सुन लेते हैं,
और बैरकपुर शिवपुरी ग्वालियर में
मंगल तात्या लक्ष्मीबाई इनकी गाथा सुन लेते हैं।
देखो देशवासियों सांझ हो चली है,
सलामी देने की बेला हो चली है।
©rangkarmi_anuj -
डर कर सहम कर देख अपनी माताओं को,
वे वीर भारत को स्वतंत्र कराने लगे थे,
हटा दिया वीरों ने डर अपनी माताओं के हदय से,
और कर दिया भारत स्वतंत्र अपनी जान न्योछावर कर के।।
कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्यौछावर कर के।।
आज ये आजादी याद करती हैं उन्हें,
उनकी ही आत्म कथाओं से,
आज उनकी वीरांगना कर रही हैं सलाम उन
वीरों को,
जिनमे थे उनके भी प्राण हज़ारो में,
आखिर कर दिया भारत स्वतंत्र जान न्योछावर कर के।।
कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्यौछावर कर के।।
मिट्टी से लेकर आसमा की लाली तक,
आज औढ रखी हैं सुरक्षा की चादर हमने,
भटकता भिकारी भी स्वतंत्रता से मांग रहा हैं
जीवन दान अपने।
आखिर कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्योछावर कर के।।
कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्यौछावर कर के।।
देख होशले की ताकत ये,
आज गिद्ध गिद्ध हो उठा हैं उस,
शहीद का भी हदय,
आख़िद सपनो से जीतकर कर दिया
भारत स्वतंत्रत जान न्यौछावर कर के।।
कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्यौछावर कर के।।
देख होशले उन वीरांगनाओं के,
हर औरत पहुँच गयी हैं अपनी
मंजिल की राह में,
छोड़ समाज को रच रही हैं,
इतिहास अपना, इस स्वतन्त्र भारत की किताबों में,
आखिर पंछी को उड़ता देख कर,
कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्यौछावर कर के।
।कर दिया भारत स्वतन्त्र जान न्यौछावर कर के।।
©भावनापंवार -
याद--
तेरा गम दूर कर रहा हूँ, खुद के अशआर से सनम,
आँखों से अश्क़ गिर रहे है,बड़े रफ़्तार से सनम,
कहने को मेरी तबियत ठीक-ठाक हैं,
पर अंदर से लग रहे है,हम बीमार से सनम,
ख़ंजर तो बहुत दूर की चीज़ हैं मेरी जान,
घायल हूँ तेरे यादों की ,तेज धार से सनम,
जब भी देखों तेरा इंतजार ही इंतजार ,
हम बन के रह गए ईद के त्यौहार से सनम,
सांसें रुकी-रुकी मन खोया-खोया सा ,
आ गए है हम मरने के कगार पे सनम,
तुझे भी मेरी याद सताती तो होगी मेरी जान,
तुम बच नही सकोगे, विपिन"बहार"से सनम,
विपिन"बहार"
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©vipin_bahar -
यादें
जुड़ी थी तुझसे जो वो हर याद बिसारी है
हमने ज़िन्दगी बड़ी मुश्किल में गुज़ारी है
दिल के पिंजरे में यादों को हलाल करता है
वक़्त भी देखो बड़ा ज़ालिम सा शिकारी है
देखा किये थे साथ कभी चाँद तारे बैठकर
बेगैरत छत ने माँग ली वो अपनी उधारी है
हकीकत से क्यों अनजान बना फिरता है
दिल को चढ़ी न जाने कौन सी खुमारी है
आगे बढ़ें या लौटें दोनों सूरतों में चैन कहाँ
चल रहे हैं जिस पर हम तलवार दुधारी है
जान देने का वादा किया था जिसने कभी
उस शख़्स ने ही अब दिल से बात उतारी है
दोगलेपन की सी महक आती है ज़माने से
यकीन है हमको इसमें सभी की शुमारी है
©deepajoshidhawan -
bhawnapanwar 93w
थोड़ा अतरंगी हैं अपना ये इश्क़
पर अपने आप मे सतरँगी हैं ये इश्क़।।
©bhawnapanwar -
hemlatajain 133w
लेख
बिन कागज बिन कलम
जगत का खेल
कर्मो का लेखाजोखा लाजवाब ।
बिन लाठी, बिन फटकार
वक्त की मार बेहिसाब।
सन्न से पडे, मार में आवाज नहीं।
कर्माष्ठता की पृकाष्ठाता
न कोई सजावट
न शब्दों की लिखावट।
किस्मत है कर्मों का संचय
कर्मों की ताकत
वास्तविक जीवन का लेख।
कर्मो के नुसार
पाप पुण्य का बटवारा
शब्दों का अर्थ
सार्थक जीवन रहे शब्दार्थ।
©hemlatajain -
akhilsharma 136w
©akhilsharma
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bal_ram_pandey 133w
आलम जो आज है साथ, कल रहेगा नहीं
आंख को कर ले पत्थर ,आंसू बहेगा नहीं
तितलियां क्या पकड़ता है,यादों के पगले
बहारों में भी कभी सूखा फूल खिलेगा नहीं
इतनी चिंगारियां हैं क्यूं, शक की इश्क़ में
लकड़िया गीली है जानां,चुल्हा जलेगा नहीं
आओ बैठ जाते हैं इस दरख़्त की छांव तले
तन्हा धूप में चलने से मौसम बदलेगा नहीं
ज़िंदगी गुजरी है फिक्र ए आलम में जनाब
ज़माने से कोई खिताब पता है मिलेगा नहीं
चंद लम्हों के इम्तिहान से डरकर ना भाग
वतन से गया दूर तो वजूद भी बचेगा नहीं
©bal_ram_pandey -
agrawal_diary 133w
कहाँ किसी में फ़र्क होता है,
कोई कुरेदता दिल है तो,
किसी के पास नमक होता है...
©meenuagg
