सतर्कता
अपनें हाथों खड्ग उठाकर,
करें जगत संहार,
महामारी के काल में,
करों उचित व्यवहार।
गलत धारणा धर्म की,
गलत भाव विचार,
लोकाचार के अपवादो से,
बिखर गया संसार।
रोगी को ना दवा मिलें,
ना वैद्य को मिलें उपचार,
अनियमितता अव्यवस्था से,
भ्रमित हुआ घर बार।
मरघट पर मेला लगें,
जले लाश का ढेर,
फिर भी जग को समझ नहीं,
व्यर्थ हृदय में बैर।
मानवता का अंत निकट,
निकट पतन का काल,
परिस्थिति विकट यहाँ,
सब जन है बेहाल।
हाथ जोड़ विनती करूँ,
करों जतन सब लोग,
नियमों का पालन करों,
दूर करों यह रोग।
©loveneetm
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loveneetm 3h
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loveneetm 3h
कृष्ण भाव
गोविंद कहों गोपाल कहो,
कहों उसे घनश्याम,
जो जिस भाव से प्रेम करे,
उस भाव के दाता श्याम ।
सखा कहों या भ्रात कहों,
कहों जगत के नाथ,
नृप कहों,तन प्राण कहों,
कहों पिता या मात।
हर रूप में बनवारी,
सदा निभाएँ साथ,
भक्ति भाव हृदय रहें,
तो गोविंद थामें हाथ।
प्रेम कहों,स्वामी कहों,
कहों गुरू भगवान,
पुत्र समझ कर लाड़ करों,
मेरे भोले है घनश्याम।
राधे उनकी प्रेयसी,
यशोदा उनकी मात,
नंदलाल के राजकुँवर,
भक्त के रहते साथ।
मथुरा रहें या द्वारका,
या रहें प्रभु गोलोक,
भक्त की खातिर मधुसूदन,
हर ले संकट रोग।
©loveneetm -
loveneetm 5h
यशोदा-देवकी
सुनों देवकी महारानी,
कहें यशोदा मात,
मैं ग्वालन वृंदावन की,
करूँ आज फरियाद।
जब से जाना कृष्ण मेरा,
तेरी है संतान,
तब से मन आहत मेरा,
लगें कही ना ध्यान।
कह दो तुम अपने मुख से,
कि झूठी है यह बात,
कान्हा मेरा लाला है,
और मैं ही उसकी मात।
दंड दो या प्राण हरो,
सब मुझको मंजूर,
पर कह दो हे!महारानी,
यह सत्य करें मजबूर।
मैंने अपने लाला को,
किया प्रेम भरपूर,
तुम ही कहों कैसे उसको,
कर दूँ खुद से दूर।
रो रोकर मुर्छित हुई,
नंदरानी कह बात,
सुन व्यथा तब देवकी,
समझे सब हालात।
कहें देवकी बहन सुनों,
मैं ही कान्हा की मात,
पर मुझसे ज्यादा हक तेरा,
सब जानें यह सच बात।
मत आहत हो बहन प्रिय,
मैं समझू तेरी पीड़,
मैंने भी विरह सहा,
चुभा काल का तीर।
इस कारण जग यह कहें,
कान्हा है नंदलाल,
उसकी मात यशोदा है,
और कान्हा उसका गोपाल।
©loveneetm -
loveneetm 9h
तन्हा ख्वाब
सिमटते ख्वाब देखें है,
दबी आँखों से ऐ!हमदम,
अंधेरा ही अंधेरा था,
जहान में ऐ! मेरे हमदम।
तुझे मालूम था सबकुछ,
कि हम नाकाम है तुम बिन,
सहारा बनके क्यूँ मेरा,
छोड़ा साथ ऐ!हमदम।
ना जी पाएँ,ना मर पाएँ,
ना कोई आस बाकी है,
तन्हा ही जीना था,
तो आएँ पास क्यूँ हमदम।
रह लेते अंधेरों में,
बिना तेरे सहारे के,
अब मुश्किल है जी पाना,
तेरे बिन ऐ!मेरे हमदम।
©loveneetm -
loveneetm 21h
कृष्ण अनुरोध
दो आज्ञा अब राधिका,
यह अंतिम अपनी भेट,
कर्तव्यो का बोध है,
पर जीवन से है खेद।
हम दोनों एक प्राण है,
फिर भी ना दोनों साथ,
कर्मो ने है बदल दिए,
हम दोनों के हालात।
वृंदावन की स्मृतियो की,
मन चला रहा बारात,
जाने दो हे! राधिका,
छोड़ दो मेरा हाथ।
राधा सुन पत्थर भई,
हृदय उठे जज्बात,
क्या बोलें श्री कृष्ण अभी,
समझ ना आएँ बात।
गर चाहें तो प्राण ले,
पर ना छोड़े हाथ,
विरह का ही सोचकर,
काँप रहा मन आज।
दोनों के मन रो रहें,
जैसें बरसे बरसात,
इस युग में हे!राधिका,
इतना ही था यह साथ।
कल्पना कर दृश्य वो,
रोए मन दिन रात,
सृष्टि के दो सकल रूप,
राधा वल्लभ श्री नाथ।
©loveneetm -
loveneetm 22h
इंतजार
हर गुजरते वक्त के साथ,
गुजरता है एक पल इंतजार का,
ना जाने क्यूँ, किसलिए,
बेइंतिहा मोहब्बत करता है दिल तुमको,
कि ना कटते दिन है सुकून से,
ना चैन रातों को है,
अलग ही माहौल है आजकल,
फुर्सत मिलें तो सोचने बैठूँ,
मेरे जहन से तो तू कभी,
गया ही नहीं,
संभल जाती हूँ खुद बा खुद,
हर गुजरते वक्त के साथ,
गुजरता है एक पल इंतजार का।
@लवनीत मिश्र -
loveneetm 1d
मन पंछी
मैं पंछी बन उड़ रही,
चली गगन की ओर,
खुला गगन बोलें मुझसे,
दुःख व्याधि सब छोड़।
पंख लगाकर सपनों के,
घूम रहीं हर ओर,
मंजिल की बस चाह हृदय,
जो बंधन दे सब तोड़।
खुला गगन अविरल धारा,
दिखे कहीं ना छोर,
थके पंख तो सोचे मन,
कहाँ है इसका ठौर।
तभी हृदय द्रवित होकर,
मुडे धरा की ओर,
अपनों का संग डाल है,
जैसे रजनी भौर।
सपनों का आदर करों,
पर दो मत अपने छोड़,
सबको लेकर संग चलो,
नवजीवन की ओर।
©loveneetm -
loveneetm 1d
गोवर्धन
दानघाटी से अनुमति लेकर,
चलें भक्त गोवर्धन को,
परिक्रमा कर गिरिराज का,
सब जन चाहें मोक्ष मिलें।
अनयोर में पहुँच श्रद्धालु,
गोविंद सुरभि कुण्ड गए,
गोवर्धन के आराधन से,
मन आनंद संतोष जगे।
ऐरावत नारद अप्सरा कुण्ड,
प्रतिक है भक्ति के,
कृष्ण प्रेम लीला सुनकर ही,
वैष्णव तन को प्राण मिलें।
पुछरी के लोठा मे हनुमंत,
लिखें हाजिरी आने का,
मुखारविंद के दर्शन से ही,
जीवन को आनंद मिलें।
श्रीनाथ की पावन भूमि,
अद्भुत रूप श्रृंगार वहाँ,
जतीपुरा से राधाकुण्ड तक,
मन के भीतर प्रेम खिले।
राधाकुण्ड से मानसी गंगा,
चल श्रद्धालु नमन करें,
पूरी कर के फिर परिक्रमा,
भक्तो को आनंद मिलें।
©loveneetm -
loveneetm 1d
काली माँ
माँ काली तेरे उग्र रूप में,
मुझको दिखता प्यार है,
बच्चो के लिए मात भवानी,
तू ही तो संसार है।
सौम्य रूप धर ममता करती,
उग्र से करें संहार है,
हे! जगजननी मात भवानी,
करती बेड़ा पार है।
कृष्ण वर्ण गले मुण्ड माला,
हाथ खड्ग तलवार है,
सुनों अर्ज जगदम्ब भवानी,
विनती बारम्बार है।
रक्त रंजित नयन विशाला,
अधर पर गरज पुकार है,
नमन करों स्वीकार भवानी,
तू ही तो संसार है।।
@लवनीत मिश्र
©loveneetm -
loveneetm 1d
चैत्र नवरात्रि
हृदय कमल पर बैठी माता,
हे!जगजननी दया करों,
कृपासिंधु देवी भवतारिणी,
कमल आसिनी दया करों।
चैत्र मास का यह नवरात्रा,
नव दुर्गा को अति प्रिय,
नमन करों स्वीकार भवानी,
हे!दुःख हारिणी दया करों।
कलश कलवा रोली मोली,
नव कन्या का रूप धरो,
नवमी के दिन हे!जगतारिणी,
भक्तो के दुःख दूर करों।
देव ऋषि यहाँ सब जन गाए,
महिमा तेरी अति प्रिय,
माँ तुम हो ममता की मूर्त,
हे!भव मोचिनी दया करों।
@लवनीत मिश्र
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deepajoshidhawan 11h
हालातों का असल जायज़ा ख़बरे और आंकड़े नहीं दे पाएंगे।
कोरोना को पूरी दुनिया में शायद दो ही पक्ष सौ फीसदी सही
से समझ पाए है।
पहला वो जो इस माहौल में ,मौत की ओर तिल तिल बढ़ते
मरीजों की आंखों में खौफ़ और बाहर इनकी सलामती की
दुआ माँगते परिवारीजनों के चेहरों की दहशत के बीच की
कड़ी हैं यानी कि अस्पताल कर्मी,
और दूसरा वो जिन्होंने इस बीमारी में कोई अपना खोया है।
इसे मज़ाक समझना छोड़ दें। घर पर रहें, सुरक्षित रहें
#hindiwriters @hindiwriters @hindinamaबिन पतवार कश्तियां खुद करते हो हवाले तूफ़ां के
और शिकायत समंदर से कि तुमको डुबोता क्यों है
©deepajoshidhawan -
ब्रह्मचारिणी
घनाक्षरी छंद :-
माँ ब्रह्मचारिणी देवी, आये है शरण तेरी,
श्रद्धा सुमन लाई हूँ, हे माँ स्वीकार करो।
कर जोड़ नमन है , भोग प्रसाद लाई हूँ,
करो स्वीकार हे दाती , ये मनोहार करो।।
अर्पण मन की माला, तुम सा धैर्य नही है,
तप चारिणी, वैरागी, मेरा उद्धार करो।
दाएं हस्त जप माला, बाएं हाथ कमण्डल,
दु:ख हर लो ऐ माता, सुखी संसार करो।।
लोभ मोह मे न डालो, तन-मन पवित्र हो,
दुनिया भव सागर , इससे पार करो।
तेरे चरणों की दासी , गुणगान करु तेरा,
अनुराग मिले तेरा , इच्छा साकार करो।।
जो धर्म की राह छोड़,चल पड़े कुर्माग पे,
उन्हें सदबुद्धि देके, हे माँ सुधार करो।
दुराचार फैला देखो, पाप पांव पसारे है,
चरम पे है क्रूरता , अब संहार करो।।
©archanatiwari_tanuja -
rangkarmi_anuj 1d
"सड़क जो सोती नहीं"
आवाजाही की रफ़्तार में
मुसाफिरों की इफ़्तार में,
जुगनू जैसी गाड़ियों की
भागती हुई शरारा में,
नींद जिनकी कभी पूरी होती नही
एक तरफ सड़क जो सोती नहीं।
हादसे की गवाह बनके
ज़िंदगी की परवाह करके,
साइरेन की गूंजती आवाज़
से सबको आगाह करके,
बख्तरबंद गाड़ियों की सलामी होती नहीं
एक तरफ सड़क जो सोती नहीं।
मील का पत्थर गुज़रे
सिर का गठ्ठर गुज़रे,
ठेला, रिक्शा, तांगा, टेम्पू
लोगों से सटकर गुज़रे,
लेकिन कहानी भी खत्म होती नहीं
एक तरफ सड़क जो सोती नहीं।
शोर शराबे आगे पीछे
तंगहाली को धागे खींचे
धक्का परेड की कतारें
जल्दबाजी पकड़ने भागे पीछे
सिलसिले की विदाई कभी होती नहीं
एक तरफ सड़क जो सोती नहीं।
©अनुज शुक्ल "अक्स"
PC- Google/RightfulOwner
@hindinama #hindinama #hindiwriters @hindiwriters©rangkarmi_anuj
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सावरिया रे
मन की वाटिका मे तोहे ढूंढूं सांवरिया रे,
विरह वेदना मे तेरी मै भयी बावरिया रे।
श्याम सुंदर इक झलक दिखला जाओं,
तुम बिन सूनी लागे है सगरी नगरिया रे।।
©archanatiwari_tanuja -
कब तक..
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प्रतिक्षण टूटी आशाओं का, रुदन सुने न कोई,
टूट गई रति माल अंततः, थी अनुराग पिरोई..
महि की प्यास बुझाने को क्यों, फूट के रोता अम्बर?
कब तक गालों की लाली... छीनेंगे अश्रु निरंतर?
नयन उपेक्षा सायक कब तक, भेदेंगे इस मन को?
चिंता कब तक झुलसाएगी.. शुष्कपत्र-से तन को?
कब तक ईश परीक्षा लेंगे कब तक लौ फड़केगी?
कब तक सांसों की सांसे घुट-घुटकर यूं तड़पेंगी?
बहुत हुई दुःख पराकाष्ठा, कथा को अब परिणाम मिले!
या तो नयनों को चिरज्योति, या फिर चिर विश्राम मिले!
✿_अंशुमान___
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archanatiwari_tanuja 1d
@hindiwriters@hidinama@rekhta_#mirakee
13/04/2021
चैत्र नवरात्रि के साथ साथ हिंदू नववर्ष 2078 की और बैसाखी की आप सभी को बधाई एवं शुभकामनाएंमाँ शैलपुत्री
घनाक्षरी छंद:-
माँ शैलपुत्री नमन, आरुढ़ वृष वाहन,
हरती दु:ख संताप , माँ अभयदान दो।
छाया घोर अंधेरा है,कष्टों ने डाला डेरा है,
हे शैलसुता कल्याणी, भक्ति वरदान दो।।
दाएँ हाथ त्रिशूल है, बाएँ मे कमल साजे,
सती नाम विख्यात है, मुझे स्नेह मान दो।
सौम्य मृदुल मुस्कान, दमकती छवि तेरी,
शान्ति का बनू प्रतीक,श्रिया और शान दो।
श्वेत वस्त्र धारती हो, तामस हर लेती हो,
अज्ञान मिटा मन का, मै मूढ़ हूँ ज्ञान दो।
हमारा कल्याण करो, जीवन उद्धार करो,
मनोकामना पूर्ण हो, जग मे सम्मान दो।।
©archanatiwari_tanuja -
जिसके चेहरे पर ही झूठ का नकाब हों
भला वो क्या ही असली चेहरा पहचानेगा !
©अshyboy -
gunjit_jain 1w
कुछ यूं उनकी हर दफ़ा हिफाज़त करते हैं हम
मोहब्बत नहीं, आज कल इबादत करते हैं हम
फ़िर कुछ बेवजह❤️✨कभी खामोश रहता हूँ, कभी कह जाता हूँ
तुम्हारे बगैर भला यार, मैं कहाँ रह पाता हूँ
लोग कहते रहते हैं अक्सर आवारा मुझको
पर तुम्हें देख जान की एहमियत जताता हूँ
बेवजह मेरे अशआरों पर वाह करते हैं सब
मैं कुछ नहीं लिखता, तुम्हें लिखता जाता हूँ
मेरे ज़हन से जाते नहीं कभी ख़याल तुम्हारे
इन्हीं ख़्यालों में मैं दिन रात वक़्त बिताता हूँ
मोहब्बत की भी एक अलग दास्तान होती है
बस यही दास्तान हर पल दिल को सुनाता हूँ
कई वजहें रही होंगी मुहब्बत करने की गुंजित
इसलिए तो आज कल, बे'वजह मुस्कराता हूँ
©गुंजित जैन -
हम आवाज़ न दें , तो पुकारते वो भी नहीं
सौदा है सब , दिल के ये मस'अले नहीं
~आभा
©abhawrites -
बंदगी का मिलता यारों क्या सिला तुम देख लो,
इश्क़ में बस दर्द ही सबको मिला तुम देख लो
©naushadtm
जीस्त का मशहूर सा ये सिलसिला तुम देख लो
बज़्म में गैरों की सबका काफ़िला तुम देख लो
©gunjit_jain
