ना चूडियों की खन-खन, ना पायल की झंकार,
आखिर शायर करे किसपे शायरी,
मिर्ज़ा ग़ालिब भी बैठें हैं होकर उदास ।
©kumar_manoj
kumar_manoj
-
-
-
-
कुछ बेवजह सवाल
कुछ था दरमियाँ , जो शायद अब नही,
अब नही, तो क्या गम है उस बात का ?
अगर हाँ, तो वो साथ क्यों नही,
अगर ना, तो आखिर गम क्यूँ ?
क्या यूँही रहेगी ज़िन्दगी हमेशा ?
अगर हाँ, तो क्या ठीक है ?
अगर ना, तो क्या बदलेगा आखिर ?
इन सवालों के कुछ जवाब हैं?
अगर हाँ, तो कौन देगा ?
अगर ना, तो कैसे मिलेगा ?
क्या इस पहेली का कोई अंत है ?
अगर हाँ, तो क्या ?
अगर ना, तो क्यूँ ?
©kumar_manoj -
kumar_manoj 2w
थोड़ा काम करता है, थोड़ा आराम करता है,
वो तो आशिक़ है सच्चा,
छिप-छिप कर, थोड़ा-थोड़ा प्यार करता है ।
©kumar_manoj -
पूरी रात लिखा तुझे, पन्ना अभी भी कोरा है,
ईश्क़ इतना आसान कहाँ, इसे तो रहना आधा-अधूरा है ।
©kumar_manoj -
kumar_manoj 3w
हो गई है आदत तुम्हारी, अब कैसे छोड़ दूँ,
हुई हो मुक्कम्मल, मेरे ख्वाब से,
आखिर ख्वाब, भला अब कैसे तोड़ दूँ ।
©kumar_manoj -
kumar_manoj 3w
हर रोज सुबह से शाम होता है,
तेरी यादों से, पर कहाँ आराम होता है ।
क्या लिखूँ, किसको लिखूँ, कुछ समझ नही आता,
ये कुछ ऐसे ज़ख्म है,
मरहम जिसका, नही आम होता है ।
©kumar_manoj -
kumar_manoj 4w
कुछ लफ्ज़, क्या बयाँ करेंगे उसके प्यार को,
जो कर चुका है, अपना हर सुबह-शाम, उसी के नाम को ।
©kumar_manoj -
kumar_manoj 5w
कितना छिपाओगे, की इश्क़ कहाँ छिपता है,
इकरार कर नही पाओगे, पर आंखों में सब दिखता है ।
©kumar_manoj -
kumar_manoj 6w
लोग मोहब्बत में समय ना मिलने पर नाराज़ खड़े हैं,
खुद किसी का समय बन जाए, क्या ये मोहब्बत से कम है ।
©kumar_manoj
-
श्रीकृष्ण
छंद - चामर
मेघ गात पीत वस्त्र मोरपंख शीश हैँ l
आदिदेव अक्षरा अनंत पूर्ण ईश हैँ l
वंदना करें समस्त देवता मुनीश हैँ l
कंज पाद वासुदेव द्वारिका अधीश हैँ l
पार्थ मित्र दीन बंधु हींन के सखा सदा l
कंस काल सृष्टि पाल पूर्णकाम सर्वदा ll
श्री बृजेश नेह वेश दिव्य रूप सुक्खदा l
मोक्षदा दया निधान दिव्य ज्ञान चक्षुदा ll
ज्ञान सिंधु पाप शत्रु श्री दयानिधान हैँ l
राधिका हिये बसे मराल के समान हैँ l
भावना अधीन श्याम नेह के विधान हैँ l
चित्त चोरश्री किशोर कृष्ण'रिक़्त'प्रान हैँ l
©संजीव शुक्ला 'रिक़्त '
. -
lata999 2w
दिल से
पुरानी होली का थोड़ा सा गुलाल रखा है,
तुम्हारा इश्क मैंने यू संभाल रखा है.....
©lata999 -
kavya_sansar 5w
शिव
ना मुझे जाना काशी नगरी, न जाऊँ मैं कैलाश।
भक्ति मेरी सच्ची है तो, शिव आयेंगे पास।
कटने लगे भ्रम जाल सब,और लोभ मोह का फांस।
अंतर मेरे जब हुआ, शिव शक्ति का अहसास।
प्रसरित चहुँ दिश उर मेरे, ये कैसा दिव्य प्रकाश।
तेज पुंज के तेज से, सकल कलुष तम नाश।
न भूलूँ शिव नाम मैं, जब तक घट में स्वांस।
शिव सुमिरत सब दुख मिटे,उर जगे नवल उल्लास।
एक लालसा बस यही, और न दूजी आस।
जनम जनम शिव कीजिए, मेरे हृदय निवास।
©kavya_sansar -
zaayuu 3w
कछुए बैठा पृथ्वी पर,
कछुए पर नीला आकाश।
इतने बड़े बोझ के नीचे ,
दबी नहीं, छोटी-सी घास।। -
आँखों की क्या मजाल है कि देख ले उसे
अक्ल से परखे उसे या छेंक ले उसे
जितना करीब वो कि बस उतना ही दूर है
वो आग है जनाब कि सब कुछ ही ख़ाक है
©sachin_pandey -
jazz_baaatt 3w
टांके जो उधड़े जज़्बातों के दर्जी हो रहा हूँ
आदमी था काम का कभी फर्जी हो रहा हूँ
©jazz_baaatt -
क्रोध हमारे अंदर रहे
तो हमे जलाता है,
और बाहर निकले तो
दूसरों को जलाता है,
परिणाम निश्चित है
पश्चाताप रह जाता है,
©radhika_1234569 -
शे'र
लगता है डर मुझको अब थोड़ा अच्छा बनने में,
कहीं फ़िर ना बिखर जाए , दिल बच्चा बनने में।
©dipps_ -
_ruchik_ 5w
घर तो बहुत है मोहल्ले में पर नजर सिर्फ उसकी खिड़की पर जा ठहरी
गांव लौटने पर मैने बचपन के नाम से उससे पुकारा और वो मेरे घर आ ठहरी
©_ruchik_ -
_ruchik_ 6w
मेरे जहन तक उतर कर मुझसे जुदा होने की बात करती है
मेरे दिल लगाने के बाद मुझसे दिमाग से सोचने की बात करती है
©_ruchik_
