रंजिश के साए को ओढ़कर हाँ
हमें तुमसे यूँ दूर जाना नही था
मगर हमको तुमपे वफ़ा का कोई हक़
कभीभी कहींभी जताना नही था ।।धृ।।
सताया था तुमने मना भी न पाए
हाँ इस बात को हम बता भी न पाए
सताए हुए हो ज़माने के तुम भी
हमें और तुमको सताना नहीं था ।।१।।
खोकर के बैठे है, चैन और नींदें
इस बात की तो शिकायत नहीं है
मगर खोके गैरत और शर्मो हया को
कभीभी हमें तुमको पाना नहीं था ।।२।।
©jyotibonge
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त्या एकांती पाय सोडुनी पाण्यामध्ये बसलो होतो
मुखात नव्हता शब्द एकही गालामध्ये हसलो होतो
त्या एकांती कुठेच नव्हत्या आपल्या त्या वेड्या तक्रारी
भाळावरच्या आठ्या देखील झाल्या होत्या जणू फरारी
त्या एकांती वाऱ्यावरती मंद मंदशी गाणी होती
खळखळणाऱ्या धुंद नदीची झुळझुळ मंजुळ वाणी होती
त्या एकांती तुझी सखे ती नजर अशी नजरेला भिडली
क्षणात एका शतजन्मांची प्रीत तुझ्यावर माझी जडली
त्या एकांती हळूच जुळल्या दोन मनांच्या रेशीमगाठी
मना उमगले, मला बनवले केवळ केवळ तुझ्याचसाठी
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jyotibonge 106w
मुश्किलें गर सामने है,
तो समझ अवसर है कोई
रौनकें तो बस भरम है,
राह का पत्थर है कोई
भीतर ही उजियारा जगा के,
राहों को रोशन बना दे
लब से ना कह! के करम से,
दासताँ अपनी सुना दे
मुमकिन है हर एक चीज,
गर दिलजान से तू ठान ले
बात इतनी मान ले,
क्या ज़िंदगी है जान ले !
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jyotibonge 106w
हम अपनी ही कहने में
यूँ गुम हुए थे
के आवाज अपनों कि
ही सुन न पाए
जो खोया है उसको यूँ
गिनते रहे के
जो पाया है उसको ही
हम गिन न पाए
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jyotibonge 106w
तेरी कही हुई हर बात मुझे ज़ुबानी याद है
तेरी लिखी हुई हर एक कहानी याद है
उस रात की सौंधी सी खूशबू
तुम्हारे प्यार की हर निशानी याद है
बातें तो होती रहती है रोज़ नई
फिर भी ज्यादातर हमें पुरानी याद है
भेजे है उसने कुछ कदरदान जिंदगी में
किस्मत की हमपे वो मेहरबानी याद है
©jyotibonge -
jyotibonge 106w
मेरे घर के सामने
पड़ी हुई एक डगर
जो पहुंचती है तुम्हारे शहर
अक्सर कहती है,
चल शुरू कर सफर
मिलने के लिए उसको
जिसकी राह तुम
देख रहे हो इधर
हम कहतें है हमें
उन राहों की क्या गरज़
जो फिर से हमें,
हमारे घर लौटा दे
हमने तो मन में ही
बसाया है उनका नगर
जो रहेगा संग मेरे पूरी उमर
जहाँ हमेशा साथ रहेगा
मेरा कभी वापस
न लौटनेवाला हमसफ़र
©jyotibonge -
jyotibonge 106w
किसी की आँखे, पुस्तक है
किसी की बातें, पुस्तक है
ये दिन रातें,पुस्तक है
धूप बरसातें, पुस्तक है
दुनिया की आँखे, है पुस्तक
अनुभव की बातें, है पुस्तक
सुख दुख के साथी, है पुस्तक
दिव्य ज्ञान देती, है पुस्तक
पुस्तक और जीवन का
मेल ये पावन है
जीवन एक पुस्तक है
पुस्तक से जीवन है
- ज्योती बोंगे
©jyotibonge -
घर में रहकर, हाँ जंग ये लड़नी है हमको
दूरी रखकर, पर संग ये लड़नी है हमको
के वक़्त ही ऐसा आया है सारी दुनियाँ अंधियारे में
हम तुम मिलकरही ला सकते है इसको अब उजियारे में
घर में रहकर, हाँ जंग ये लड़नी है हमको...
बदलाव का इस कुछ कारण है,कोई ना कोई मतलब है
सोचो इसके पीछे शायद कुदरत का कोई मक़्सद है
बरसों हमने यूँ सींचा है जर्रे जर्रे को वादी के
और ले आए आबादी को नजदीक ही हम बरबादी के
अब वक़्त है ये सब बदलें हम
अब वक़्त है के जरा सुधरे हम
घर में रहकर, कितना कुछ हम कर सकते है
घर में रहकर, एक जंग बड़ी लड़ सकते है
अब ज्यादा दूर नहीं मंजिल देखो अँधियारे जाएंगे
फिर से चहकेंगी ये गलियाँ फिर से उजियारे आएँगे
धीरज का दीप जलाकर हम घर में रहकर ये जंग लड़े
कुछ दिन के लिए हम औरों से रहे अलग अलग पर संग लड़े
घर में रहकर, हाँ जंग ये लड़नी है हमको....
- ज्योती बोंगे -
इस खेल में तुम ना रहे
पर संग हमारे रहोगे सदा
लाखों दिलों के अम्बर में तुम
बनकर सितारे रहोगे सदा
©jyotibonge -
jyotibonge 106w
लोकराजा
करवीर नगरीत ऐसा होता एक राजा
खूप दयाळू,मायाळू,कनवाळू, नेक, राजा!
मनी समभाव त्याच्या कधी नाही भेदभाव
एका पारड्यात ठेवी सिंहासन आणि प्रजा
दोन्ही हाती केलं दान उभा कराया समाज
गावोगावी शिक्षणाचा त्याने मांडला जागर
गोरगरिबांचा वाली, बळीराजाचा आधार
त्याचे ध्येय फक्त एक बहुजनांचा उद्धार
त्याच्या साधनेचे फळ पिढ्यापिढ्यास मिळाले
आली समृद्धी अज्ञान दूर दूर ते पळाले
त्याच्या कालच्या यत्नाने आज सुरक्षित माझा
थोर भाग्य की मिळाला आम्हा ऐसा 'लोकराजा'
- ज्योती बोंगे
©jyotibonge
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servant_of_words_csk2 166w
@writerstolli #writerstolli #marathi #mirakee
@shubhangiokhade @jyotibonge @raaj_kalam_ka @vishalkikahani_qalamkijubani
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Loose Hindi Translation
अगला कदम (हिंदी भावानुवाद )
ठहरो ! अच्छी तरह सोच लो, अगला कदम उठाने से पहले
पलभर के लिए लौट जाओ, यह फैसला करने से पहले
ठुकराकर इस वैभव को, दर दर की ठोकरे खाने से पहले
निर्धनता के बोझ तले दब कर झुकने से पहले
कोमल काया तुम्हारी, मैं क्यों उसे यातनाएँ पहुँचाऊँ?
शोषित पीड़ित हूँ मैं स्वयं, क्यों मैं तुम्हें पीड़ा पहुँचाऊँ
ऐश्वर्यमय तुम्हारा जीवन, सुख हाथ जोड़कर खड़े हरदम
छोड़ दो यह पागलपन और पीछे ले लो अपना कदम
सपनों की लहरें हकीकत की चट्टानों से टकराएँगी
अरमानों की पहाड़ियाँ पलभर में ही ढह जाएँगी
अभिलाषाओं की इमारतें आँखों के सामने धराशायी होंगी
यौवन की कोमल आयु अभाव की अग्नि में झुलसेगी
जैसे आगे बढ़ी हो, पीछे चली जाओ, पागलपन मत करो
काट दो यह मोह के धागे, इस प्रकार का हठ मत करो
मुझे अपना अतीत जानो, कभी भूले से भी याद न करो
शुष्क-कंटकाकीर्ण वृक्ष हूँ मैं, मेरे लिए बिल्कुल तड़पा न करोपुढचं पाऊल(Marathi)
पुढचं पाऊल
थांब जरा! विचार कर, पुढचं पाऊल टाकण्यापूर्वी
क्षणभर परत फिर, असा निर्णय घेण्यापूर्वी
ऐश्वर्य हे झुगारून दारोदार भटकण्यापूर्वी
दारिद्रयाच्या ओझ्याखाली दबून जाऊन झुकण्यापूर्वी -१
सुकुमार देह तुझा, कष्ट का मी देऊ त्यास
गांजलेला हा मी असा, तुला नाहक देऊ त्रास
वैभवशाली तुझे जीवन, तुझ्या नशिबी सुखांची रास
पाऊल तुझे मागे घे, सोड हा वेडा हव्यास -२
स्वप्नांच्या लाटा वास्तवाच्या पाषाणावर आदळतील
आकांक्षांचे तकलादू दुर्ग क्षणार्धात ढासळतील
इमले तुझ्या अभिलाषांचे डोळ्यांदेखत कोसळतील
यौवनाचे कोमल क्षण अभावात होरपळतील -३
आल्या पावली मागे पलट, वेडेपणा करू नकोस
काप हे मोहाचे धागे, हट्ट असा धरू नकोस
मला ठरव भूतकाळ, चुकूनही स्मरू नकोस
शुष्क-काटेरी वृक्ष मी, माझ्यासाठी झुरू नकोस -४
©servant_of_words_csk2 -
dil_ke_bol_alfaaz 169w
है शर्मसार हर मुसलमाँ तेरी हरकतों पे "जैश -ए -मोहम्मद"
ना जैश तू है और ना ही काबिल -ए - नाम - ए- मोहम्मद
©dil_ke_bol_alfaaz -
sanjanaj 170w
Pyaar ya darr??
Alankaar aisa joh waqt bhula de,
Dekhbaal khudki aisi ki joh auron ko bhula de.,
Khud ki pasand aisi joh auron ki pasand se sehmat na ho,
Khudki na pasand aisi joh auron ko hi gair bana de.,
Khudpar kharcha itna ki khudki hi banayi huyi wazan ko ghatana pade,
Aur auron ki madad sirf naam ke liye karna pade.,
Kya faida aise khud se pyaar ka, jab khud pe musibat aane par apna roop tak badalne tayyar ho?
Aur kya faida aise pyaar ka jab khud ke naam se darr lagne lage.??
Pyar sirf achche haalat mei khud se hoti hai.,
Takleef mein toh khud ka chehra dekhna bhi Gawara nahi..
Aur khudke Wajood se bhi darr lagne lage..!!
©sanjanaj -
Act according to your nature,
And react according to the weight of your signature.
©Raju Ranjan -
Humiliation is the mother of innovation
बेइज्जती ही आविष्कार की जननी है!
©pragatisheel_sadhak_bihari -
गुरुर जब उनका न रहा.........जो बर्षों बर्ष यार रहे पर कभी बेजान किये,
तो फिर जुम्मे जुम्मे महीनों के जुड़े रिश्तों से क्या गिला,
सिला बदजुबानी के टूटेंगे और वो भी एक दिन मेरे आँगन फिर से गिरेंगे।
©pragatisheel_sadhak_bihari -
sanjanaj 170w
Guess who?
He cares for me, without me knowing it,
He loves me, without me noticing it,
He makes efforts in making me smile, without me feeling it.,
May not he texts me or rings me everyday,
But I can be sure of him thinking about me atleast once in a day...
May he not plans how our future moments to be,
But am sure he always giggles thinking about the moments we spent..
He's the one who never judges me with the things I wear or things I eat
He only judges me on every unnecessary tear I shed
Things about us are special coz he's none other than my bestie ❤
©sanjanaj -
sanjanaj 170w
Worry??
Worry?
Worry is not at all a worry!
Until you worry about it and make it a worry.
As you allowed the worry of outside to your inner being,
Same way allow your inner senses to see the greatest companion you Have with all the time and above all!!
Beautiful is an island when you are a distant from it, above it
But same is annoying when you allow it to touch your existence!
Smile is just a distance away in worry
So is the worry in times of joy and happiness
But knowing how much distant you ought to maintain makes the difference;
Blind fold the outer eyes and jump into the inner being of YOU
Then will the worry not worry you!!
©sanjanaj -
दोहा
साधक तुझ बिन मृत नहीं,निज प्रीत मेरा मोल,
बाधक बन मत करो वध.....मेरे अविरल बोल।
©pragatisheel_sadhak_bihari -
odysseus_2 177w
@hindiwriters @panchdoot @readwriteunite @writersnetwork #piaa_choudhary @classii_mashmallow @bleed_in_ink
#writerstolli @laughing_soul
That's me,
attached yet detached...
gragarious and social,
yet a loner in my own way...
न तो किसी खेमे का न कारवाँ का हिस्सा हूँ
पढ़कर भूल जाने लायक मामूली सा किस्सा हूँ
(but my dear daughter @bleed_in_ink wanted me to change the last line... So I made it... फिर भी याद रखने लायक एक अनोखा किस्सा हूँ)
Embarked on a journey,
I'm alone on a crowded path...
Thousands of commuters
around, yet no companions...
I'm not exctly silent
or tightlipped...
I am not averse to smiling
or happiness...
I do converse with those
who talk to me,
I smile and even laugh, but
rare and brief are
such occasions...
My feet don't stop and
I have no destination
There are carnivals
all around but I am
seen in none
I have no expectations
from hearts
And no attachment
to faces
No craving for promises
and no memories
lingering enough to
bring me to a halt
And part of no camp
or faction I am...
A forgettable story?
perhaps that's what I am
(not a translation...)सफर
अकेला ही चल पड़ा हूँ, भीड़ भरी डगर है
न हमकदम न हमसफर, तन्हा मेरा सफर है
कभी कोई बात करे तो मेरा दिल बहलता है
मीठे बोल सुन लूँ तो चेहरा पलभर खिलता है
घड़ी भर का साथ है, तुरंत छूट ही जाता है
तन्हाई से भरा सफर यूँ ही चलता रहता है
कदम मेरे रुकते नहीं, मेरी कोई मंज़िल नहीं
हर तरफ मेले हैं, पर मेरी कोई महफिल नहीं
दिलों से उम्मीद नहीं, चेहरों से लगाव नहीं
वादों की दरकार नहीं, यादों में पड़ाव नहीं
न तो किसी खेमे का न कारवाँ का हिस्सा हूँ
फिर भी याद रखने लायक एक अनोखा किस्सा हूँ
©servant_of_words_csk
