छाई/چھائ
مری آنکھوں میں چھائ خاموشی ،
مرے دل کی زبان رکھتی ہے۔
اک فقط تو نہیں سمجھتا اسے،
بات دنیا یہ کل سمجھتی ہے۔
मिरी आँखों में छाई ख़ामोशी ,
मिरे दिल की ज़बान रखती है।
इक फ़क़त तू नहीं समझता इसे,
बात दुनिया ये कुल समझती है।
©ishq_allahabadi
ishq_allahabadi
" Ehsas-e-guftagu"
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ishq_allahabadi 36m
फ़क़त = सिर्फ़
कुल = पूरी
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हुए
लोग आए थे बुरे जो वो सभी ख़्वार हुए,
इस तरह ज़िल्लत-ओ-रुसवाई से दो चार हुए।
कार-ए-दिल इश्क़ था जब तक थे मिरे साथ में वो।
हिज्र के बाद के इस कार में बेकार हुए।
शिद्दत-ए-ज़ुल्म समेटे है ख़ुदी में ये असर,
फूल जितने थे बदलकर के सभी ख़ार हुए।
हक़ शमा का था मिरी जाँ पे अदा ऐसे किया,
शम्मा परवर थे शमा पर ही जाँ निसार हुए।
"इश्क़" ख़ाली है मददगार से दुनिया सारी,
तिरे इस दर्द के कितने ही मददगार हुए?
©ishq_allahabadi -
माँ/ماں
ماں تیری دعاؤں کا اثر ایسا ہوا کچھ،
توفاں نے مجھے خد ہی کنارہ دکھا دیا۔
माँ तेरी दुआओं का असर ऐसा हुआ कुछ,
तूफ़ां ने मुझे ख़ुद ही किनारा दिखा दिया।
©ishq_allahabadi -
वजह/وجہ
ہمارے پاس جینے کی وجہ کچھ اور بھی تو ہو،
تمہارے ہجر نے ہم کو اے جانا مار ڈالا ہے-
हमारे पास जीने की वजह कुछ और भी तो हो,
तुम्हारे हिज्र ने हम को ऐ जाना मार डाला है।
©ishq_allahabadi -
ishq_allahabadi 1w
मुसव्विर = चित्रकार
फ़िक्र ए पूर जमाल = ख़ूबसूरती से भरी सोच
फ़हम = समझ
दर दिल-ए-मन = मेरे दिल में
अलम = दर्द
मिस्ल ए जबल = पहाड़ की तरह
हुस्न ए ला ज़वाल = वो सुन्दरता जो कभी न ढ़ले।
#mirakee #writersnotes #sad #ghazal#keepwriting #writersnotes#sad #ghazal#hindinama #poetryजमाल/جمال
اک مصور کی حسیں فکر پر جمال ہے تو،
فہم انساں بھی ہے عاجز کی وہ کمال ہے تو،
در دل من ہے محبت کا الم مثل جبل،
اک قیامت ہے مچی حسن لا زوال ہے تو۔
एक मुसव्विर की हसीं फ़िक्र-ए-पूर-जमाल है तू,
फ़हम-ए-इन्साँ भी है आजिज़ कि वो कमाल है तू,
दर दिल-ए-मन है मुहब्बत का अलम मिस्ल-ए-जबल,
एक क़यामत है मची हुस्न-ए-ला-ज़वाल है तू।
©ishq_allahabadi -
ishq_allahabadi 1w
उल्फ़त= मुहब्बत , चाहत
हुस्न-ए-दर्द = दर्द की ख़ूबसूरती(pleasure of pain)
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اک تیر شوق عشق کا الفت کی کماں میں،
مت پوچھ حُسنِ درد ، ہوا جو جگر کے پار۔
एक तीर शौक़-ए-इश्क़ का उल्फ़त की कमाॅ में,
मत पूछ हुस्न-ए-दर्द, हुआ जो जिगर के पार।
©ishq_allahabadi -
पार/پار
کیسا ہی شناور جو نہ دریا سے ہوا پار,
وه عشق ہی کیا گر چہ نہ اترے جو دل یار۔
कैसा ही शनावर जो न दरिया से हुआ पार,
वो इश्क़ ही क्या गर चे न उतरे जो दिल-ए-यार।
©ishq_allahabadi -
ishq_allahabadi 2w
गर चे = अगर
शीरीं = बहुत मीठा
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پیالہ مہ پہ مرے کرتا ہے سوال ہی کیوں،
گر چہ مرنا ہے تو اس شوق میں مر جانے دے۔
موت شیریں ہے محبت میں سنا ہے میں نے،
ہے حقیقت تو مجھے اس سے گزر جانے دے۔
प्याला-ए-मय पे मिरे करता है सवाल ही क्यों,
गर चे मरना है तो इस शौक़ में मर जाने दे।
मौत शीरीं हैं मुहब्बत में सुना है मैंनें,
है हक़ीक़त तो मुझे इस से गुज़र जाने दे।
©ishq_allahabadi -
रिदा/ردا
میں نے جس روز سے اوڑھی ہے محبت کی ردا،
پاس اب کچھ نہ بچا بس کہ لٹا دل ٹھہرا۔
मैंनें जिस रोज़ से ओढ़ी है मुहब्बत की रिदा,
पास अब कुछ न बचा बस के लुटा दिल ठहरा।
©ishq_allahabadi -
ishq_allahabadi 3w
सबब= वजह
तबस्सुम = मुस्कुराहट
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ترے ہر ایک تبسم پہ میں جاؤں صدقے،
اے مری جان مرا دل مری سانسوں کا سبسب۔
तिरे हर एक तबस्सुम पे मैं जाऊँ सदक़े,
ऐ मिरी जान,मिरा दिल मिरि साँसों का सबब।
©ishq_allahabadi
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iamfirebird 7h
खामोशी है एक शख़्स के अंदर
लगता है , तूफ़ान आने वाला है
#arungagat
वो समेट कर चले गऐ मोहब्बत अपनी
अब मेरे मरने का सामान आने वाला है
©iamfirebird -
ग़ज़ल
इस बरस मौसमों में अच्छी फसल होगी
यही उम्मीद दहकान की मुसल्सल होगी
हम भी हो जाएंगे सुर्ख-रु तब खियाबां में
जब मेरी ख्वाहिशें कलियों सी क़त्ल होगी
महज़ स्याही से कहाँ कागज़ पे उतरती है
लहू दिल का हो तो ग़ज़ल सी ग़ज़ल होगी
जिनको बेचैनियों ने रात भर सोने ना दिया
सोचिए उनके सीने में कितनी हलचल होगी
©my_sky_is_falling -
दिल के जज़्बातों अब दबाया नहीं जाता
हाल-ए-दिल को अब समझाया नहीं जाता
दिल के खिलौनों को बाजार में सजाया नहीं जाता
मेरी यादों को ऐसे सरेयाम भुलाया नही जाता
ग़म का नज़्म महफ़िल में ऐसे बजाया नहीं जाता
तमाशा-ए-जिन्दगी पत्थरों पर खुदवाया नहीं जाता
हर ज़ख्म पर मरहम लगाया नहीं जाता
वक़्त को वक़्त पर ही छोड़ दो कि घायल दिलों को और आग लगाया नहीं जाता
©sweta_singh99 -
lafze_aatish 2h
चमन मे बखुदा शबनम नहीं है,
यहाँ दामन निचोड़ा है किसी ने!
तापस की तीलियाँ रंगीन क्यों है,
यहाँ पर सर को फोड़ा है किसी ने!
जुंबिश :- एहसास,feel,
बज़म :- महफ़िल, conference
अत्तिश :- आग, fire
दाश्त-ओ-सेहरा:-रेगिस्तान,field, prairie and desert
अंजुमन :- महफ़िल, gathering of poet's
उदू :-दुश्मन, rivalपे-बंद
पेबंद ज़ख्मो का ज़ख्म पर लगाया है किसी ने,
हमदर्दो के शहर लाके छोड़ा है किसी ने!
खून के थक्के जु़बान पर बेस्वाद लगने लगे,
आवाज़ को मेरी मुझ ही से छीना है किसी ने!
हाल-ए-नि:शब्द अब बयां और नहीं होता,
मुझे मुझ-ही से रूस्वा किया है किसी ने!
हाथों की जुंबिश अब कहां रही पहले जैसी,
चिराग बज़्म-ए-आतिश में बुझाया है किसी ने!
महफ़िल-ए-उदू सजती मुझ से बेहतर अब,
दश्त-ओ-सेहरा मे अंजुमन लगाया है किसी ने!
नि:शब्द
©lafze_aatish -
जो बीत गया उस वक़्त का हिसाब क्या दुं
तेरे अजीब सवालों का मैं जवाब क्या दुं ?
#arungagat
तेरे हर सवाल में थे चाहे वो अजीब ही सही
तू मेरे हर जवाब में था , चाहे नसीब में नहीं
©iamfirebird -
zindagiekkavita 2d
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222ग़ज़ल
किया बर्बाद यूँ ख़ुद को यहाँ झूठी ख़ुदाई पर
रहा रुसवा ज़माने से क़यामी बेवफ़ाई पर
ज़माने ने बहुत खेला हमारे नाम से साथी
रुला कर दूसरों को हँस रही क़िस्मत जुदाई पर
नयापन है लिबासों में मगर आदत पुरानी है
यहाँ दौलत बहुत हावी रही देखो रसाई पर
बना कर घर नज़र में बन गया भगवान वो यूँही
मगर सोचो ग़रीबों को मिले सब घर तराई पर
बग़ावत है भड़कती सिर्फ़ सच्चाई छुपाने को
बग़ावत क्यों नहीं होती रिवायत की बुराई पर
जहाँ तारीफ़ के बदले तरक़्क़ी प्यार मिलता है
वहाँ मिलती शिकस्ती जो बताओ कुछ भलाई पर
©® तरुण पाण्डेय
©zindagiekkavita -
ग़ज़ल
कोई समझ गया सब कुछ फ़िर समझने की कोशिश में
किसिसे हुई गलतियां किसीको समझने की कोशिश में
ख़्वाब देखता और ख़्वाबों में जीता रहा हर कोई यहां
नींद भी ना हुई नसीब, हकीक़त बदलने की कोशिश में
लगाया दिल किसीसे, किसीको भुलाने के खातिर यहां
कि बार बार बिखरा दिल फ़िर संभलने की कोशिश में
एक उम्र बित गई फ़िर इस दिल को दिल बनाने में यहां
पत्थर हो गया था ये मोहब्ब्त में धड़कने की कोशिश में
©dipps_ -
ग़ज़ल
मैं गया तो था लौटकर ना आने को
पर वो आ गया ख़्वाब में मनाने को
बहुत मुश्किल से लबों पे हँसी लाए
वक़्त तैयार खड़ा है फिर रुलाने को
उसकी हर याद मिटा दी मेरे दिल से
बस कुछ खत रह गए है जलाने को
इतने ना-समझ तो नही थे तुम कभी
दवा समझ के ज़हर लाए पिलाने को
अभी-अभी तो हमनें दरिया में उतारी
औऱ तुम आ गए कश्तियाँ डुबाने को
©my_sky_is_falling -
क्या करें गर लाख शिद्दत भरी मुहब्बत उस ने की हो।
ऐतबार क़त्ल हो जाए तो रानाईयां अच्छी नहीं लगती।
©iamfirebird -
rahat_samrat 1w
रिश्तों की तीर में,तड़प की पीर,, क्या करू दास्तान- ए - ईश्क बयाँ मैं,
वो सहमी सी नजरे, बेबस कली,बिना बोले दिल- ए- हाल, जा खड़ी हुई पीहर के पार.
©rahat_samrat
