"दिलों में दूरियाँ हों तो,
एक कमरे का फ़ासला तय करने में भी,
सदियाँ लग जाती हैं..."
©harshikaaasija
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harshikaaasija 52w
"ऐसे ही कोई हाल- चाल नहीं पूछता,
और जो हाल- चाल पूछता है,
वो ऐसे ही कोई भी नहीं होता..."
©harshikaaasija -
harshikaaasija 68w
~ राहत: एक नाम
~ ख़ुद- ब- ख़ुद: अपने आप
@mirakee @mirakeeworld @writersnetwork @writer_bychoice"कह देते आँखों में चुभने लगे हैं,
सच बतायें राहत,
हम ख़ुद- ब- ख़ुद ग़ायब हो जाते..."
©harshikaaasija -
"ज़िद्द नहीं करेंगे अब तुम्हें पाने की,
अगर क़िस्मत में हो,
तो ख़ुद-ब-ख़ुद क़रीब आ जाओगे.."
©harshikaaasija -
"रंग सारे ख़त्म हो गए,
अब बेजान है ये दिल,
तरसता है तुम्हें देखने को,
पर नाक़ाम है ये दिल..."
©harshikaaasija -
गलती
"हमारी गलती बस इतनी सी थी कि,
हमने उसे हमारा समझा..."
©harshikaaasija -
"ना ये वो रात है, और ना ये वो हम,
ना ये वो चाँद है, और ना ये सितारे तुम..."
©harshikaaasija -
"थाम ले मेरा हाथ कि अब,
थकान बहुत हो चुकी है..."
©harshikaaasija -
harshikaaasija 90w
"खो जाएँगे एक दिन,
इन्हीं बादलों में कहीं,
क्या तुम हवा का झोंका बनकर,
मिलने आओगे?"
©harshikaaasija -
harshikaaasija 102w
"छोड़ दिया मैंने उसको,
उसके लिए अकेला,
ताकि वो ख़ुद के साथ जीना सीख ले..."
©harshikaaasija
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वो सारे जहां की खुशियां,
वो तेरा मुझे "तु मेरी है" कहना। -
reetey 212w
तुम चाँद और मैं धूपघड़ी
हम इश़्क सा सूरज बाटेंगे
©रीतेय -
लोग कुछ तो कहेंगे मेरे बारे में,
मुझ सी ख़ामोश नहीं है शख़्सियत मेरी।
©रीतेय -
वक़्त
वक़्त लेकर गया है पीछे फ़िर,
उधार उसका कुछ होगा मुझपर।
©रीतेय -
कुछ रिश्ते,
ताउम्र के नहीं होते।
पर,
ज़रूरी होता है,
उसका होना और फ़िर
नहीं होना।
हिज्र और वस्ल
दूरी दोनों से बराबर की,
और तटस्थ दोनों से।
ठीक वैसे...
जैसे
पेड़ की कोई टहनी
करती है इंतजार
हरे पत्ते की,
बेसब्री से।
और फ़िर कर देती है अलग
वक्त आने पर।
वाकई,
ज़रूरी होता है पतझड़
और,
ऐसे सारे रिश्ते...!
©रीतेय -
तुमने ख़त्म कर ली जो कहानी,
मैं उसका किरदार बनता जा रहा हूँ।
©रीतेय -
बहुत क़रीब से देखा है चाँद को मैंने,
बख़ूबी जानता हूँ मैं कि बदलना क्या है।
©रीतेय -
reetey 187w
एकतरफ़ा मोहब्बत है ज़िंदगी मेरी,
इसमें जितना भी हूँ, सिर्फ़ मैं ही हूँ।
©रीतेय -
ज़िन्दगी साथ दे रही है और
निभाना सीख रहा हूँ मैं भी।
- रीतेय -
ज़रूरत है वो जगह शायद,
जहाँ ख़्वाब दफ़्न होता है।
© रीतेय
