पता है, अरसा हो जाता है लेखकों को रोए हुए। कविता में नहीं, आंखों से रोए हुए। कितना साहस का काम होता है लिखना। और उस साहस को जुटा पाने के लिए पहले खुद टूटकर बिखरना पड़ता है।
पर कभी कभी हारकर हम इतना थक जाते हैं की लिखने से कई ज़्यादा आसान एक बेबस लाचार इंसान की तरह रोना लगता है।
मन उब जाता है कलम, स्याही और अकेलेपन से। खीजकर कई बार पेन की नोक टूट जाती है और पन्नों में छेद हो जाता है।
आखिरी बार तुम्हे दूर जाते देखकर, हमारे गले की टीस कब रिसकर आंखों से बहने लगी इसका कुछ पता ही नहीं चला। उस वक़्त लगा था तुम्हारा हाथ पकड़ कर रोक लें, कहें, चलो ना फिर से शुरू करते हैं और इस बार कोई गलती नहीं होगी।
पक्का।
पर तब तक तुम काफी दूर जा चुके थे। और अच्छा ही हुआ की तुमने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वरना हमें रोते देखकर क्या सोचते हमारे बारे में भला? लगता कि हम कमज़ोर हो गए हैं तुम्हारे बिना। सच में हो गए हैं क्या?
हमारे में से कुछ टूटकर गिरा था उस दिन, आवाज़ बहुत हल्की सी आई थी। पर भीतर खोखलापन इतना भरा हुआ था कि आज भी चीख सी गूंजती है।
और पता है, शांति इन आवाजों को उग्र कर देती हैं। अकेलेपन में काटने को दौड़ती है। फिर लिखने के बहाने तुम्हारे गोद में सिर रखकर, तुम जा चुके हो ये भुलाने की कोशिश करने के सिवा और कोई चारा नहीं बचता है।
अच्छा सुनो ना, रिहा करदो हमें अब इस सबसे। लिखना कठिन होता जा रहा है अब। और ना लिखो तो दम घुटता है। तुम्हारे जाने के बाद, तुम्हे खुदके इतना करीब रखना और कुछ नहीं पर सिर्फ हमारा मोह है।
और तुम्हे कलम से छूकर अमर कर देना हमारा स्वार्थ।
-अनन्या
#tengohindi
14 posts-
68 72 22
- parana_de_rio @tengoku sir k liye shukriya, post kr dena.
- abhi_mishra_ ❤️❤️
- happy_rupana Aap Bahut sunder likhte Ho ❤
- parth_101 ये बहुत सुंदर लिखा है
बारिशों में बरामदे की ठंडी फर्श पर बैठकर, तुम्हे हमारी हाथों कि लकीरों को तराशना बहुत अच्छा लगता था। हर बार, लकीरों में खुदको देखकर तुम हल्का सा शरमाते थे और बस, हमारा दिन बन जाता था। लेकिन हां, तुमने हमें कभी बताया नहीं की तुम्हे बिजली की आवाज़ से डर लगता है। पर जैसे ही बिजली कड़कती थी, तुम्हारे हाथ हमारी हथेली को ज़रा कसकर पड़ लिया करते थे। हम भी दुबककर तुमसे लग जाते थे और तुम्हारा डर हमारा हो जाता था।
तुम कहते थे, हमारी आंखों में तुम्हे खुदा दिखता है। शायद इसीलिए तुम्हे हमारी बातें सुनने से ज़्यादा, हमें निहारना भाता था। बिना किसी रोक-टोक के। और इसका एहसास हमें तब होता था जब हम सारी बात कर चुके होते थे।
"सुन भी रहे हो तुम हम तबसे क्या कह रहे हैं?"
तुम धीरे से आंखों पर आए हमारे बालों को कान के पीछे करते और हल्का सा मुस्कुराते थे। जैसा चांद को थोड़ा और करीब से ताकने के लिए खिड़की पर लगे पर्दे को सरका रहे हो।
"हां बाबा सब सुना"
"अच्छा जी! क्या सुना?"
"वहीं जो तुमने कहा"
"हां तो हमने क्या कहा?"
"तुमने कहा कि हम तुम्हारे और तुम हमारी।"
"कुछ भी? जाओ हम नहीं करेंगे अब से बात!"
"ओफ्फो!"
फिर कुछ घंटों तक हमारा रूठना और तुम्हारा मनाना चलता था। लेकिन हां, तुमने हमें कभी ये नहीं बताया कि हमारी आंखों में तुम खुदको भी देखा करते थे। हमारी आंखों के खुदा होने का अर्थ है, उनमें तुम्हारी झलक दिखना। सिवा तुम्हारे खुदा पत्थर मात्र है।
खैर अभी तो बहुत सी यादों को उड़ेलना बाक़ी है, अभी तो हमे तुम्हे और भी लिखना बाक़ी है।
अच्छा सुनो ना, हाल ही में एहसास हुआ कि तुमने कितना कुछ छुपाया था हमसे, नहीं बताया कभी। आज जब उस छुपे हुए को ढूंढने, लिखने बैठते हैं तो खुदको थोड़ा और बारीकी से जान लेते हैं। मानो जैसे तुम्हारी खोज में निकलें हों और रास्ते में खुदको पा लिया। आज कल तो फुर्सत से बैठकर खूब रोते हैं उसके साथ, पर कभी नज़रें नहीं मिला पाते उससे।
फिर अंत में उस छुपे खुदको तुम्हारे पास उसी मोड़ पर छोड़कर, वापस आ जाते हैं। तुमसे दूर, खुदसे दूर।
-अनन्या56 39 18- devil_cloud @tengoku wts tengoku
- tengoku @dark_horse1 It means, 'apne kaam se kaam rakh'
- devil_cloud Abe nikl chutiya
- eurusgrey Kuch time pehle tumhara yeh post aur aaditya ka koi gave me inspiration to write a hindi one. Felt like saying thank you xd ❤️
- eurusgrey Couldn't help but read upar wale comments arey arey
कभी कभी हमारी आँखें घर की चौखट पर बैठकर घर की याद में रिस दिया करती हैं। आंसू से तर हुई हथेली अपनी मुठ्ठी में उस घर की महक को भरने में नाकाम हो जाती है। आखिर घर महकता कैसा था? ये सवाल दिमाग में आते ही, आम सी महकती उस कमीज़ की खुशबू इर्द गिर्द मंडराने लगती है। गर्मी की उस जलती हुई दोपहर में, जब सब सो जाया करते थे तब बिस्तर के नीचे बिछे आम के ढेर में से सबसे पका हुआ आम चुना जाता था, दोपहर की दावत के लिए। फिर घर के सबसे शांत कोने में किसी पुराने पेपर पर बैठकर, कमीज़ के पीला हो जाने तक आम खाया जाता था। रात को मां से चिपककर सोते वक़्त, माँ आम महक लेती थी और फिर अगली सुबह बाबूजी दो किलो और लाकर ठीक उसी जगह रख दिया करते थे।
ये दीवारों की दरारें कितने किस्से और ये छत की सीलन कितनी बरसाते अपने भीतर छुपाए रहती हैं। दिल करता है किसी कागज़ की कश्ती पर बैठकर उन्हीं बरसातों में वापस लौट जाए जहाँ संसार की सारी खुशी एक पानी से भरे गड्ढे में समाई होती थी। बरसात के मेंढ़क को उछलता देखकर ना जाने कौनसा सुख मिलता था। कभी मोर का पंख तो कभी डेयरी मिल्क का सुनहरे रैपर किसी किताब के बीच दबा मिलता है तो लगता है, खुशी की परिभाषा पहले कितनी महीन हुआ करती थी।
ठंड हमें आधी माँ की शॉल सी और आधी आग पर भुने हुए आलू मटर सी महकती नज़र आती है। स्कूल से आते वक़्त ठंडी हवा अपनी मुट्ठी में भरे लिया करते थे और घर आकर माँ के गालों पर सारा गुलाबी रंग उड़ेलकर दौड़ जाते थे। फिर वह मेरे पीछे भाग पड़ती थी और उसकी खिलखिलाहट की आवाज़ में हमारा घर हो जाता था।
कहाँ गया वह घर? कितना रोने पर उसकी ओझल हुई तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी? क्या कभी वापस उस घर का आना, इस चारदीवारी में हो पाएगा? इन सवालों के साथ गालों पर चिपकी आंसू को निसहाय हथेलियों से पोछ दिया करते हैं। उन दिनों सा महकता था घर हमारा। वह महक अब किसी पल में नहीं रही।
-अनन्या52 27 21- shaiz_fs Bhaavuk hogaya mai ye padhkar
-
tengoku
@jerry_21 3 idiots dekh rahe.
Nayi baat bata bey - _firefly ╥﹏╥
- _firefly Kya likhti hai rey tu
- happy_rupana Itna jyda khoobsurat... man karta hai k baar baar padhu ❤❤
"वी कैं स्टिल बी गुड फ्रेंड्स। नो?" जाते जाते तुमने ठीक ऐसा ही कहा था ना? सिर तो धीरे से हमने भी हां में हिला दिया था पर सच कहें तो अब हम अजनबी होना ज़्यादा पसंद करेंगे। ऐसे अजनबी जो एक दूसरे को थोड़ा बहुत जानते हैं। ऐसे अजनबी जो एक दूसरे को कभी कभी याद करके रो लिया करते हैैं, शायद।
दोस्ती प्रेम की चौखट होती है। और प्रेम से निकालने के बाद इस चौखट पर ठहर जाना, बर्बादी का दूसरा नाम। बेहतर होता है चौखट के इस पार, अजनबी बनकर रह जाना। हालांकि अक्सर दोनों में से किसी एक को, अजनबी से मोहब्बत रह ही जाती है।
"ओफ्फो! और कितनी देर?"
"बस बस आ ही गए।"
हमारे कमरे कि खिड़की से तुम अपनी बाइक पर साफ दिखाई दिया करते थे। हमें देखने की राह देखते हुए।
हम भी जल्दी जल्दी बालों को बनाते, हल्का काजल लगाते और तुम्हारी फेवरेट छोटी बिंदी।
तुम्हारी भूरी आंखें ही हमारा आयना हुआ करती थी।
"कैसे लग रहे?"
ये सुनते ही तुम्हारी आंखें मुस्कुरा दिया करती थी। मानों जैसे कह रही हों 'आज काजल जच रही हैै तुम पर।' फिर क्या, हमारा लुक हो जाया करता था वेरीफाई।
तुम्हारे लिए सुन्दर दिखना हमारा काम था। हमें सुन्दर महसूस कराना, तुम्हारा।
खैर, अब बालों को संवारना और काजल लगाना हमें पसंद नहीं। और ना ही अब हम इन बेजान शीशों में खूबसूरत महसूस करते।
अंत में, लौटाने को तो सब कुछ लौटा दिया था तुम्हें। पर सच कहें तो, तुम्हारे भेजे गाने अभी भी प्लेलिस्ट में कहीं पड़े हुए हैं। हिम्मत नहीं हो पा रही, ना तो डिलीट करने की, ना दुबारा सुन पाने की। नफ़रत नहीं उन गानों से। बस वो तुम्हारी तरह हो गए हैं, जाने अजनबी से।
अच्छा सुनो ना, प्रेम कोई ऐसा गाना नहीं, जिसे दो बार लूप पर सुनने से मन उब जाए। प्रेम एक ऐसी उपन्यास होती है जिसके ख़तम होने के बाद भी, एक बार, दो बार या पांच बार पढ़ने के बाद भी रोज़ रात अपने सिरहाने रखने से अच्छा लगता है।
-अनन्या90 70 34-
gelukzoeker
ps why am i tagging you on your own post💀
-_- -
tengoku
@gelukzoeker
*Touchwood*
Umm I understand.
Haha yea xd I realized later. - tengoku @gelukzoeker Happens xd
- gelukzoeker Yes, take care❤️
- happy_rupana Waah... Last lines took my heart ♥
tengoku 63w
हम हमेशा से सिर उठाकर क्लास में लेट घुसने वालों में से थे। वहीं तुम, फर्स्ट आने के बावजूद चुप चाप एक कोने में दुबककर बैठने वाले। कहां हम कैंची सी खुली ज़ुबान और कहां तुम शर्ट की सबसे ऊपर वाली बंद बटन। हम जितने बड़े राउडी, वहीं तुम उतने ही बड़े नर्डी। सारे कॉलेज में चर्चित रहते तो दोनों ही थे। बस फर्क इतना सा रहता था कि तुम होशियारों की लिस्ट में सबसे ऊपर और हम, खैर जाने दो अब उस बात को। दोनों का ही कोई दोस्त नहीं था। हम सो-कॉल्ड फ्रेंड्स से घिरे रहते और तुमसे तो दोस्ती करने के काबिल कोई था ही नहीं।
दोनों ही आखिरी सीट पर बैठते थे। हमारी सीट तुम्हारे सीट से बिल्कुल लगके थी, पर शायद ही पहले सेमेस्टर तक हमने आपस में कभी आई कॉन्टैक्ट जैसा कुछ किया होगा। हां, पर हम तुम्हें देखते ज़रूर थे। ज़्यादातर किताबों में घुसे। या खिड़की के बाहर ना जाने कौनसे बादल को देखते हुए। बिना किसी सुध-बुध के।
उस दिन भी महिमा मैम के अटेंडेंस लेते वक़्त तुम अपनी ही दुनिया में लीन थे। मैम के तुम्हारा रोल नंबर दो बार बोलने के बावजूद भी जब तुम्हारा ध्यान ना पड़ा तो हमने बिना कुछ सोचे ज़ोर से प्रेज़ेंट मैम चिल्ला दिया। बस इतना ही होना था कि सारी क्लास हमें ऐसे घूरने लगी जैसे हमने कौनसी बड़ी गाली सबके सामने दे दी हो। और तुमने भी हड़बड़ाकर एकदम से हमारी तरफ देखा। मैम ने चश्मा उठाकर तुम्हे एक पल को देखा, और फिर सब नॉर्मल हो गया।
दो प्रैक्टिकल क्लास के बीच में बीस मिनट का ब्रेक हुआ करता था। जब सारी क्लास बाहर कैंटीन में होती थी, सिवाय तुम्हारे। पर उस दिन किसी वजह से हम भी रुक गए थे। अब किस वजह से, वो हमें याद नहीं।
"थैंक यू।" तुमने धीमी आवाज़ में कहा।
"हम? हमसे कुछ कहा क्या?"
"हां, तुमसे ही। थैंक यू।"
पता है? तुम्हारी आंखें भूरी हैं, ये उसी वक़्त पता चला। जब पहली बार तुमने सीधा हमारी आंखों में देखा था।
"किस लिए भला?"
"अरे वो अटेंडेंस के लिए।"
#tengohindi"वैसे तुम देख क्या रहे थे बाहर?" तुमने शायद सिर्फ वेलकम एक्सपेक्ट किया था।
"अरे वो...तुम्हे पता है? वो सामने एक शीशम का पेड़ है। उस पर ना एक बुलबुल ने घोंसला बनाया है। उसके तीन बच्चे हैं। वो इतने प्यारे हैं की क्या ही बताएं।" इतने सारे शब्द एक साथ कहते हुए हमने तुम्हे पहली बार देखा था। अचानक से हमें चुप देखकर तुम्हे भी इसका एहसास हो गया।
"किधर?" थोड़ी देर बार हमने जिज्ञासा से पूछा।
तुम थोड़ा मुस्कुराए फिर खिड़की में से पेड़ के एक कोने की ओर इशारा कर दिया। हमारी गर्दन ठीक तुम्हारी उंगली के साथ साथ पेड़ की ओर चली गई , और नज़रें घोंसले पर।
बाकी के बचे कुछ मिनट दोनों बाहर पेड़ पर ही देखते रह गए।
उस दिन के बाद से हमने भी ब्रेक में बाहर जाना बंद कर दिया। नोट्स या डाउट्स के बहाने थोड़ी बात कर लिया करते थे तुमसे। तुम्हारी आंखों ने कभी इनकार नहीं जताया तो हमने भी संकोच नहीं की।
क्लास के लड़कों के देखने पर हमें उतना ही बुरा लगता था जितना तुम्हारे ना देखने पर। ट्रुथ देयर में "हु इज़ योर क्रश?" जैसे बेकार से पर्मानेंट सवाल पर हर वक़्त तुम्हें देख "नो वन" कहकर हंस दिया करते थे।
पर तुम शायद क्रश से भी कई ज़्यादा थे। तुम्हे देखते ही ना जाने क्यूं ज़ुबान लड़खड़ाने लगती थी। कुछ का कुछ बोलने लगते थे। तुम्हारे सामने तो अपनी इमेज एक बेवकूफ पागल लड़की की बना रखी थी।
खैर, दिल की बात कभी बोल नहीं पाए हम तुमसे। रिजेक्शन से काफी डर लगता हमें। ऊपर से सुन और देख रखा था, प्यार को ज़िंदगियां बर्बाद करते। अगर बाय चांस तुम हां कह देते तो?
अब जो भी है, ठीक ही है। जाने दो।
ऐसे ही क्या पता कितने ही दो तरफा प्यार रिजेक्शन, या यूं कहें कि प्यार के डर से एक तरफा होकर ही रह जाते हैं।
सच कहें तो बड़ा ही खूबसूरत होता है ये। बिना प्यार का इज़हार किए, किसी से बेशुमार प्यार करना और उसको इसकी भनक तक ना लगने देना।
बस फर्क इतना सा रहता है कि दो तरफा में दो ज़िंदगियां बर्बाद होती हैं, और एक तरफा में सिर्फ एक।
-अनन्या84 135 34- tengoku @gunjit_jain Bhai dekh maine gaali de deni hai. I'm already fucking crying.
- gunjit_jain Aree yrr. Sorry, but ye or mood kharab krne ko nhi bola m
-
gunjit_jain
Sorry
And college ki is journey ke liye all the best once again!
Zindagi ka ek aham hissa hai. Khoob jiyo, mje kro. -
gunjit_jain
Or thand badh gyi hai ab,
Kahi aisa na krna raat me neend na aaye mann na lge to bahar ya chhat pr bhatakne chle jao
Sardi lg jayegi. -
gunjit_jain
Aisi hidayate deta rhunga m
Tata. Dhyaan rkho. Shubh ratri.
tengoku 65w
हमारा अथेइस्ट होना उसे रत्ती भर भी नहीं भाता था। इसी वजह से हर मंगलवार ज़बरदस्ती हाथ खींचकर मंदिर को ले जाया करती थी हमें। हम भी मुंह बिचकाकर चल देते थे।
'ओफ्फो! जाना ज़रूरी है क्या?'
'जी। बिल्कुल ज़रूरी है।'
'पर क्यूं? प्रिया को देखो सिनेमा देखने जाती है राहुल के साथ। और एक तुम हो!'
'हम प्रिया नहीं। और नाही आप राहुल।'
'धत्त।'
स्कूटी की सीट खोलकर पहले तो अपना हेलमेट हमें पहनाती और फिर गंभीरता से समझाती,
'ध्यान से बैठिएगा।'
हम भी उसे इतना ही कसकर पकड़कर बैठते थे जितना उसकी स्पीडोमीटर की सुई 20 को।
#tengohindiमंदिर के बाहर भीड़ देखते ही, हमारा बायां हाथ अपने दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया करती थी। और हमें कहती
'हाथ मत छोड़िएगा। कहीं खो मत जाइएगा।'
आदत थी उसकी, पहले तो फूलवाले से दो रुपए का डिस्काउंट लेने पर पूरे रस्ते इतराती।
'देखिए, ऐसे खरीदारी होती है।'
'अच्छा जी।' हमसे हसीं ना रुक पाई।
'हंसने की क्या बात है इसमें भला? इन लोगों से थोड़ा बहस ना करो तो लूट ही लेंगे! आपको कुछ नहीं पता।'
'हां बाबा। ठीक कहती हो तुम।'
'हुंफ़!' और हमारे हंसने पर चिढ़ जाया करती थी।
उसके हाथ जोड़ते और आंखें बंद करते ही, हम एकटक उसे देखने लगते। ना जाने वह क्या मांगती थी इतना लीन होकर। बीच बीच में कुछ बुदबुदाती, फिर चुप हो जाती। हम भी उसके आंखें खोलने से पहले, झट से आंखें बंद कर लेते।
'क्या मांगा?' आंखें खोलते ही हमसे पूछा।
'उम्म.. हम क्यूं बताएं?'
'बताइए ना!'
'लै? दुआ को ही बता दें क्या दुआ मांगी?'
ये सुनते ही लजा के मुस्कुरा दिया उसने।
मंदिर के बाहर पानी का एक कुण्ड था। थोड़ी देर दोनों वहां बैठा करते थे। हमारे लिए ये पल सबसे हसीन होता था।
इतने में उसने धीरे से हमारी दाई कलाई अपने हाथ में ली और लाल धागा बांध दिया।
'अब ये किस लिए?'
'अब हम हर वक़्त तो होंगे नहीं आपके पास, तो ये धागा होगा। मान लीजिए हम ही हैं। हां ये ठीक है। हर वक़्त आपके साथ।'
'तुम ना, थोड़ा सिनेमा कम देखा करो। पागल कहीं की।' ये कहकर हम हंस दिए।
'हां ठीक है। हुंफ़!'
अंत में घर जाते वक़्त दोनों ने दस का गोलगप्पा खाया। नहीं नहीं! हमारे दस के गोलगप्पे में से पांच का तो वह ही खा गई थी। हमारी स्पीड उसके जितनी नहीं थी ना।
खैर, आज भी मंगलवार है। बैठे हैं मंदिर के बाहर। कुण्ड के पास। अकेले, उसके बिना।
हर हफ़्ते आते अब। आदत जो हो गई है अब।
हां अथेइस्त तो अभी भी हैं। फर्क बस इतना होता है कि अब, दुआ मांग लिया करते हैं, अपनी दुआ के लिए।
और हां, वो लाल धागा थोड़ा कमज़ोर हो गया,
ना जाने कब टूट जाए,
हमारी आस की तरह।
हां पर है बंधा अभी भी,
हमारी आस की तरह।
-अनन्या96 43 30- toobakhan This
- toobakhan ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
-
wannabecreative
arre yeh wala toh! jab padha tha n...sachhi uff nikali thi! ek smile bhi thi aur dil mai dard bhi.... matlab ek hi post mai love, comedy, tragic....yeh kaise? kaise kar leti h tu????
this is literally magic what you do - eshaandpen I love everything you write ❤️❤️ you write magic ananya
- creatworld Love you yrr.....Mtlb itna khoobsurat ❤️❤️❤️
प्रेम कभी मरता नहीं। कभी नहीं। बस कभी कभी, समय के साथ साथ महीन हो जाता है। हवा सा महीन। फरवरी की ठंड सा महीन। इतना महीन के शायद प्रेम में पड़े किसी एक साथी को ही इसका एहसास होना बंद हो जाता है। एक साथी, प्रेम के महीन और पुराने होने से संतुष्ट होता है वहीं दूसरे को उसके दिखाई ना देने की घबराहट होती है। यही घबराहट कुछ समय बाद, कब उसे प्रेम के ना होने का विश्वास दिला देती है, कुछ पता ही नहीं चलता।
तुम्हारी घबराहट साफ दिखाई दी थी हमें। फिर एक दिन एकदम से सब कुछ शांत हो गया था। ऐसा लगा था जैसे तुम्हारी सारी बेचैनी हमने खुद में ले ली हो। हमेशा के लिए।
खैर,
लोगों की कुछ यादें काफी ज़िद्दी होती हैं। प्रेम के महीन होने के बाद भी, सालों तक, कहीं किसी कोने में छिपी रहती हैं। शायद प्रेम में बचे अकेले साथी को, प्रेम के अधूरे और जीवित होने का एहसास दिलाने के लिए।
जैसे देखो, आज भी हमारी कुल्फी की लास्ट बाइट का आधा हिस्सा तुम्हारा ही होगा। हालांकि हमने तुम्हारे जाने के बाद से खाई नहीं। शायद खाए भी ना कभी। पर फिर भी।
तुम्हारे नाम की रातें अब खुदके साथ बितानी काफी मुश्किल लगती हैं। फिर भी, आज भी हम पूरा दिन इंतज़ार करते हैैं, इन रातों का। बस फर्क सिर्फ इतना होता है कि इंतज़ार तुम्हारे साथ समय बिताने के बजाय तुम्हे याद करने का होता है।
"मन करता है तुम्हारे पास आऊं।"
तुमने उस रात फोन पर कहा था। कौनसी रात थी? देखो अब हमें कुछ याद भी नहीं रहता।
"फिर?"
"और पास आऊं।"
"फिर!?"
"और पास।"
"आगे?"
"और फिर तुम्हारी आंखों में.."
"हां?"
"..संतरे का छिलका निचोड़कर भाग जाऊं।"
"पागल कहीं के।"
ना जाने कब तक हम दोनों साथ में हंसे थे उस रात।
आज भी वो रातें याद कर हंसी आती है। फर्क बस इतना होता है कि, आंखों में नमी और तुम्हारा पास ना होना, साथ रहता है।
अच्छा सुनो ना,
तुम्हारी यादें अब कुछ कुछ स्याही सी महकने लगीं हैं। कभी फुर्सत हो तो आके पढ़ जाना। क्या पता महीन प्रेम के होने का एहसास हो जाए।
क्या पता।
-अनन्या102 71 36- tengoku @ek_pyari_si_billi Okay. Let me see then xdd kaafi badi bhi woh.
- creatworld @tengoku what is xdd???
- creatworld @tengoku btw it is very beautiful ❤️❤️
-
gumnami_baba
क्या पता उस महीन प्रेम का वो अनुभव जो इंसान को कभी हारने नहीं देता, आपकी स्याही की महक अनंत तक बिखेर दे ।
100th ❤️ and happy enough to find this.
tengoku 76w
दिसंबर का महीना था। तारीख कुछ ठीक याद नहीं। दोनों अस्सी घाट की सीढ़ियों पर ठीक वहीं बैठे हुए थे जहां हर इतवार को बैठा करते थे। पर उस दिन इतवार नहीं था। नाही इतवार वाला सुकून। नाही उसके हाथों में हमारा हाथ। और नाही उसकी कुल्हड़ वाली चाय और मीठी बातें।
"फोन पर पूछते पूछते रह गए हम पर तुमने तो चू तक नहीं की। यहां भी मन मसोसकर बैठे हो। ऐसी क्या बात है भला?"
"कुछ नहीं"
इतने सालों में जो चीज़ उसने नहीं सीखी, वो थी हमसे बातें छुपाना। कहने के लिए तो वो सारी दुनिया के सामने एक इंट्रोवर्ट था पर हमारे सामने सबसे बातूनी लड़का। जिसकी छोटी सी छोटी बातें हम अपने पास सहेजकर रखते थे। उसके अंदर एक छुपी खूबसूरत दुनिया थी जिसे देखने का हक सिर्फ हमारा था।
"अच्छा। ठीक है। चलो फिर। हम चले घर।"
"सुनो ना!" जैसे ही हम खड़े होने को थे, उसने हाथ पकड़कर कहा।
तब उस दिन पहली बार उसने ठीक हमारी आंखों में देखा। शायद सालों बाद उसे इतना उदास देखा था उस दिन हमने। न जाने कितनी मेहनत की होगी उसने बिना रोए कुछ बोलने की।
#tengohindi"अरे? क्या हुआ पहले बताओ तो सही"
"अगर हम मां को मना नहीं पाए तो तुम भूल जाओगी ना हमें?"
"हां बिल्कुल। ये भी कोई पूछने वाली बात है।" ये कहकर हम हंसी रोक नहीं पाए।
"मालूम था" उसने हाथ छुड़ाकर मुंह फेर लिया।
"इडियट! आई एम जोकिंग। क्यूं नहीं मानेंगी आंटी? तुम्हारी पसंद इतनी भी बुरी नहीं। हमें तो गोल रोटी भी बनानी आती है अब।" उसने हमारा धीरे से अंत में कहा 'शायद' सुना और मुस्कुराकर हमारा हाथ दुबारा पकड़ लिया।
सच बात तो ये थी कि उसकी मां को हम फूटी आंख नहीं सुहाते थे। वजह? उन्हें हमारा बोल्ड अंदाज़ पसंद नहीं था। और ऊपर से हम मांस मच्छी खाने वाले। तो उनके पास उनके खुदके ठीक ठाक कारण थे।
"अगर नहीं मानी तो!?"
"नहीं मानी तो उठवा लेंगे तुम्हे। ठीक है?"
" धत्त! पागल लड़की!"
"तुम टेंशन ना लिया करो। अच्छा नहीं लगता।" कहकर हमने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया।
'लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो' वाला माहौल बनाकर दोनों आखिरी शाम का खयाल अपने अपने ज़हन में लिए घर को चल दिए।
उसका लटका हुआ मुंह देखकर अब तो हमे भी फिक्र सी होने लगी थी।
रात के 1 बजे तक जब उसका फोन नहीं आया तो हमे उसकी मां का बड़ा सा 'ना' सुनाई देने लगा। अब नस काटकर खून से सूसाइड लेटर लिखना हमसे तो होता नहीं। सो हम अपना मन मनाने लगे थे। चाहते तो नहीं पर क्या कर सकते थे।
गूगल पर 'हाउ टू फॉरगेट योर लव' देखते और देवदास वाले गाने सुनते 2 बज गए। नींद और आंसुओं की दरस दूर दूर तक नहीं थी और अब तक तो सारी आस भी छोड़ दी थी हमने।
ढाई बजे के करीब देवदास गानों के बीच फोन की रिंगटोन सुनाई दी। जल्दी जल्दी हमने गाना बंद किया और फोन उठाया।
"हेल्लो?"
"सोई नहीं?"
"लगता तो नहीं"
"पागल लड़की"
हम्म कहकर थोड़ी देर दोनों चुप थे। सही बताएं तो उस वक़्त उसका हमारे साथ होना एक हसीन सपने सा लग रहा था हमे।
"अच्छा सुनो ना!"
"हां कहो"
"मां बोल रही थी कि रोटी थोड़ी टेढ़ी भी बनी तो चलेगा उन्हें"
वो ये कहकर हंसने लगा,
और हम रो पड़े।
-अनन्या153 200 55- _sad_ia_quad_ir_ And don't be sorry at all. In fact mention as much as you like, I would love to read all of it. I swear. And I loved this!
- hurrrrrrr Yaar, ek kaam karti hu mar hi jati hu
- hurrrrrrr Itnaa khubsurat
- hurrrrrrr XD roti to aunty ji ko gol hi milengi
- creatworld Kya likh diya gazab❤️❤️❤️
ठंड बढ़ गई है। आज वो ग्रीन हुड वाली जैकेट पहनी है जो तुम्हे आउट ऑफ फैशन लगती थी। और पता है? पॉकेट में तुम्हारी फेवरेट मिल्की बार का रैपर मिला जो हमने साथ खाई थी।
अभी भी याद है। बाप रे! भयंकर वाला रूठी थी तुम उस शाम। इतना की लड़ाई भी नहीं कर रही थी। उस दिन, देखकर ना ज़ोर से 'हाय' चिल्लाई थी। ना ही देखकर मुस्कुराई। चुप मारके पार्क की सबसे कोने वाली बेंच पर अकेले बैठी थी। हम सीधा गए और तुमसे लगकर बैठ गए।
'हटो यहां से!' थोड़ा दूर खिसकते हुए तुम बोली।
'क्यूं भला?' उससे थोड़ा सा ज़्यादा पास खिसकते हुए हम बोले।
सच बताएं तो रूठी हुई इतनी प्यारी दिख रही थी कि मनाने का दिल ही नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था, मानो सारी की सारी गुलाबी ठंड तुम्हारे गोरे गालों पर जा बैठी थी।
'कल सारा दिन कहां थे?'
'अरे वो असाइनमेंट कंप्लीट करना था ना। वरना तुम तो जानती ही हो शुक्ला सर को। ऐसे घूरते है जैसे हमने उनकी एक किडनी मांग ली हो।'
ये सुनते ही तुम थोड़ा सा मुड़कर मुस्कुराई। गुस्सा किया था ना तुमने, हंस कैसे सकती थी? पर हां, मुस्कुराई थी। है ना?
'काजल नहीं लगाई हो आज?'
'नहीं।'
'क्यूं?'
'भूल गए।'
'ऐसे कैसे भूल गई?'
'बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम फोन उठाना भूल जाते हो।'
'हाय दैया! इतना गुस्सा? अच्छा सॉरी।'
सॉरी के साथ साथ हमने चॉकलेट तुम्हारे सामने सरका दी।
'आगे से मत भूलना' अदब से कहकर तुमने चॉकलेट और हमारी सॉरी दोनों ले ली।
फिर क्या था। सारा गुस्सा फुर्र और लगी दो दिन की सारी कहानी सुनाने। दाहिने हाथ से चॉकलेट खाती और बाएं हाथ से हमारा ठंडा हाथ गरमाती। रह रहकर इशारों में एक बाइट के लिए पूछती और हम पागलों की तरह मुस्कराते हुए, ना में सिर हिलाते।
कितना हसीन लगता है ना अब भी ये सब।
तुम्हारे साथ यादें बनाना उतना ही आसान था जितना मुश्किल तुम्हारे बिना उन्हें जीना है।
देख रही हो? किस तरह सारा काम छोड़कर, कितनी फुरसत से बैठे है, सिर्फ तुम्हे याद करने के लिए।
वैसे तुम फोन करके देख सकती हो।
सच्ची, अबकी बार उठाना नहीं भूलेंगे। बिल्कुल नहीं।
-अनन्या129 166 47-
tengoku
@lines_of_coke Publish xD
Thank you so much. You made me smile. - tengoku @ek_pyari_si_billi Nahi aaya bechaare ko xD
- hurrrrrrr @tengoku merko number do mai karti hu
- hurrrrrrr Abhi tak phone nhi aaya
- creatworld Wow......Just wow❤️❤️
tengoku 84w
यहां ठहर ही गए हो तो आराम से पढ़ना, क्यूंकि काफी जल्दबाज़ी में लिखा है।
#tengohindi"अच्छा एक काम करो, तुम एक लेखिका बन जाओ और मैं तुम्हारा खयाल बन जाता हूं" जाते वक़्त तुमने ज़रूर ऐसा कुछ कहा होगा जो मैं सुन नहीं पाई।
पता है? तुम्हारे जाने के कई दिनों तक, मैं सिर्फ अनसुने सुनने की कोशिश कर रही थी। जो तुम शायद कहना चाहते थे पर किसी वजह से कह नहीं पाए।
थोड़ा झूठ सुना, थोड़ी दिलासा दी। थोड़ा सच सुना, फिर थोड़ा रोई।
तुम्हारी चुप्पी सुनी, तुम्हारी हिचकिचाहट सुनी। तुम्हारा गुस्सा सुना, तुम्हारी चाहत सुनी। फिर अंत में सुना तुम्हारा फैसला, जो तुमने काफी साहस से कहा और मैंने उतनी ही साहस से सुना।
काफी सवाल हैं मन में। सच कहूं तो, जवाब भी हैं मेरे पास। पर फिर भी तुमसे पूछने का दिल करता है। काफी नाराज़गी है खुद से, पर फिर भी तुम्हे मनाने का दिल करता है। काफी गम है अंदर, पर फिर भी तुम्हे हंसाने का दिल करता है।
अच्छा सुनो ना, यादों में बहुत खुश रखा है तुम्हे। कोई तकलीफ़ हो तो हकीकत में आकर बता जाना। पर ऐसा मत सोचना की मुझे तुमसे मिलने की चाह है। मैं तो रोज़ ही मिलती हूं तुमसे। बस इसी बहाने मुलाकात हो जाएगी तुम्हारी, मुझसे।
खैर छोड़ो वो सब। तुम्हें जान कर शायद अफसोस होगा, पर मैं लेखिका बन नहीं पाई। मैं कभी तुम्हे अपने ज़हन से निकाल कर किसी पन्ने पर रखना ही नहीं चाहती। अजीब है, की कितनी दूर हूं तुमसे, फिर भी कितना डरती हूं तुम्हारे दूर होने से।
शाम ढल गई। अभी भी बैठी हूं तुम्हारे साथ। पर देखो,
पन्ना फिर कोरा ही रह गया।
-अनन्या125 92 38-
seyfert
I'm in love with your hindi write ups Ananya
write more of them -
hurrrrrrr
Yado mai bohot khush rakha hai tumhe, koi takleef ho to hakikat mai bta jana.
THIS LINE. THIS LINE HAS MY HEART ❤️ - tengoku @seyfert I wrote one more par tu gayab hai. Dusht aurat kahin ki
- tengoku @ek_pyari_si_billi You made me smile so wide. Thank you so much. Means a lot :"))
- creatworld कितनी दूर हूँ तुमसे फिर भी कितना डरती हूँ तुम्हारे दूर होने से...... This line is my favourite one.....❤️❤️
तुम शीत सुबह की ओस हो,
मैं सूरज की जलती ताप प्रिये।
तुम मॉनसून की वर्षा हो,
मैं जल का केवल भाप प्रिये।
तुम धर्म की मधुर धुन हो,
मैं अधर्म का मौन विलाप प्रिये।
तुम मीरा भजन मृदु मग्न हो,
मैं मृत्युंजय का जाप प्रिये।
तुम परियों का वरदान हो,
मैं मानव का हूं पाप प्रिये।
तुम रूप अप्सरा का धरती पर,
मैं असुरों का हूं श्राप प्रिये।
-अनन्या147 98 45- smartsam Ahh!
- captain_blant Waah waah..
- captain_blant Mushkil hai apna mel priye...
- _firefly Sbse sundr likhti tum❤
- rahul_varsatiy_parmar Well one gazal