अनजान रास्ते
मैं क्यों अनजाने राह पर चल रही हूं
कदम कदम पर धोखे खाए
अंगारों सा दहक रही हूं
कभी निहारु प्रकृति की ओर
कभी निहारु आकाश की ओर
शांति की खोज में भटक रही हूं
अनजानो की बातों से बहुत रही हूं
अपने मार्ग से भटक रही हूं
अनजान रास्तों पर चल रही हूं
पता नहीं कौन अपना कौन पराया
सबको अपना कर चल रही हूं
वह कौन सी आज लिए आगे बढ़ रही हूं
शांति की तलाश लिए दर-दर भटक रही हूं
शांति मिले या ना मिले ठोकरे खा रही हूं
जीवन की धूप छांव सब सो रही हूं
क्यों अंधेरी गलियों में भटक रही हूं. ।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale
#jyotiparmale
20 posts-
5 1
पृथ्वी
पृथ्वी है जीवनदायिनी
अग्नि, जल, अन्न , वायु धन प्रदायिनी ,
पृथ्वी ने सभी खुशियां दी
बदले में उसने कुछ भी ना लिया ,
हम मानव ही नित्य कर रहे विनाश उसका
हरी भरी धरती सुख रही है आज,
तालाब नदी नाले सब सुख रहे आज
जीव जंतु क्या पशु-पक्षी भी व्याकुल,
पर्वत पहाड़ घटिया हो रही है विघटित
प्रकृति का विनाश हो रहा है आज,
पृथ्वी का हाल बेहाल हो रहा है आज
पृथ्वी मां है उसे संभालो व उसे सुरक्षित रखो,
कौन हमें इतना प्यार वह खुशियां देगा
पृथ्वी जगत है यह नहीं तो कुछ नहीं।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale5 0ख्वाइश
पापा मेरी एक है रव्याईश
एक गुडिया ला देना,
नाम उसका मै रानी रखूंगी
उसके साथ दिनभर रहूंगी,
बाहार ना निकलूगी
घर पर ही मैं रहूँगी ,
पर एक गुड़िया ला देना
उसके संग मै खेलूंगी,
जब आप और माँ काम पर जाते हो
मै दिन भर उदास रहती हूँ ,
बर्तन, खाना, झाडू सब करके
फिर भी उदास मैं रहती हूँ,
किससे बोलू किससे खेलू
कोई नहीं घर पर मेरे शिवाय।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale5 0" पिता महान "
पिता ज़मीर है पिता जागीर है ,
पिता एक उम्मीद है एक आस है ,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सक्त अंदर से नर्म है,
उनके दिल में दफन कई मर्म है ,
हर दर्द की दवा है पिता,
जीवन मे पिता सबसे खास होते हैं
इस लिए वो दिल के पास होते हैं
पिता के सिर पर कई जिम्मेदारी - लदी हैं
पिता परिवार के नीवं होते है
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale9 0पिता
पिता श्री आप, महान
छायादार वट वृक्ष समान
शीत धप से बचाकर
हमको दिया जीवनदान
कष्टों को सह सह कर
खुद सम्हले हमे सम्हाला
पिता श्री आप महान
वटवृक्ष छायादार समान
पैदा होने से लेकर
बालन होने तक
बचपन से जवानी तक
हमेशा पाया खुशियाँ
आपके आगोश में
आशीषों से भरा आपका साथ
पिता श्री आप महान
वटवृक्षा छायादार समान
जीवन की कठिन परिस्थियों में
भर दिया भर दिया आपका साथ खुशियों से
पहचान हुआ आज जग मे मेरा
आपकी बदौलत नाम हुआ मेरा
आप मेरे गुरु हो भगवान हो
जीवन को सम्हाला, संजोया, सुसंस्कृत
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale11 0लाली
लाली हूं मैं लाली हूं
सब को भाने वाली हूं
हर मुश्किल आसान कर दो
पल में यह फैसला कर दो
देखकर खुशियां गम ले लूं
बनके बादल बरखा दे दूं
देख कर सब को फूल मैंने
कांटे ही बटोरे हैं मैंने
लोगों को खुशियां बांटते
बनकर आंखों की ज्योति।
©jyotiparmale10 0देश प्रेम
ये देश हमारा है, जो जान से प्यारा है,
जिस भारत में हम रहते, वह स्वर्ग हमारा है,
वो सपनो से प्यारा, भारत देश हमारा,
ये जग से न्यारा, प्यारा देश हमारा,
वीर शहीदों से भरा, ये देश हमारा,
एैसा सुन्दर और सपनों से प्यारा
संत, साधुओं का लगे कुम्भ का मेला,
सबसे अच्छा और प्यारा लगे ये बेला
ये भारत देश है सबसे न्यारा हमारा
गगन चूमती है इनकी विचारधारा न्यारा
अनेकता में एकता ये दशे हमारा
करे शत्रुओं का नाश ये फर्ज हो हमारा
देश की सुरक्षा, ये प्रथम कर्तव्य हो हमारा
देश के खातिर मिटजाये, ये सोच हो हमारी
देश के लिये रक्त का कण -कण देना चाहते है
पवित्र भूमि तुझे हमेशा खुश देखना चाहते है
तेरे सम्मान के लिये खुद मिट जायेंगे,
पर तुझ पर आॉच ना आने देगे हम
ये प्रतिज्ञा सदैव हम करते हैं देश के लिए
दीप प्रज्वलित कर अंतिम सासों तक लड़ेगे
बुझे ना दीप अमन का सदैव पहेरा देगें हम
देश प्रेम की खातिर सब समर्पित करना चाहते हैं
सभी से भाई चारे का संबंध रखते है हम
तन, मन, धन, देश को अर्पित करना चाहते हैं
हमें गर्व है अपनी देश ,अपनी धरती पर सदैव।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale9 1दोस्ती
जिन्दगी विराम सी हो गई
जब छुटा साथ आपका
क्या कहे हालात कैसी हो गई
जीते जी हमारी मौत हो गई
जमाने को क्या दोष दे
किस्मत ही ऐसी थी।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ़
©jyotiparmale10 12021 की बिदाई
वर्ष 2021 की अंतिम बेला है
हम सब नव वर्ष के आने के इंतजार मे थे
वर्ष 2021 तु हँसते मुस्कुराते चली जा
अब हम तुझे करने लगे अलविदा
बहुत जख्म दिये है तुने इस वर्ष
इतिहास ही गढ़ दिया तुने महामारी का
बहुत कुछ बदला क्या प्रकृति क्या रिश्ते
मानव मानव से ही डरने लगा
ना मिला किसी से गले दूर रहने लगा
करोना महामारी हमारे परिवार को ही नही करोड़ो परिवार को ग्रसित किया
बहुतो को अपनो से बिछुड़ाया और साथ छुड़ाया
इस पीढ़ी से उस पीढ़ी ने भी कभी ऐसा
महामारी का मंजर नही देखा था
करोना ने मौतो का इतिहास गढ़ दिया
2021 मे सब भयभीत होकर अपना दिन गुजारते रहे
फिर भी करोना से पीड़ित हुए
कुछ खो गये कुछ बच गए
इतना भयानक ये 2021 वर्ष रहा
बहुत कुछ सिखाया व समझाया
करोना ने जिन्दगी को बदल दिया
नये सिरे से जीना सीखा दिया
हर व्यक्ति डरा - डरा सा रहने लगा
खुद को हर तरह से बचाता रहा
खुशियाँ कम, गम ही गम रहा 2021 वर्ष
कभी ना आना ऐसा वर्ष दुखों भरा
जा चले जा खुशी खुशी
नये वर्ष की शुभ बेला लेकर आ
खुशियो का पैगाम लेकर आ ।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale10 2-
k_charchit
Hi dear writer,
We are glad to see your posts, that's very unique and creative, would you like to work with us in our next anthology?
The book will be published internationally with your name on the front cover and copies of it will be give to you.
Contact us for more details.
Thank you
If you are intrested kindly contact with us
Charchit khandelwal
Instagram- k_charchit
Mail id - charchit@hatcheggpublication.com
whatsApp (only) - 91+ 8178985509 - miraquill_assistant Welcome to Miraquill!😊
_ चलो कही चले_
देखा था मैंने एक सपना,
होगा भारत से अपना,
सुबह हुई नींद खुली,
आसमान में सूरज निकला,
पक्षियों ने ली अंगडाई,
मुर्गों ने बाग लगाई,
चारों ओर यही हनचल,
चलों और कहीं चले,
नही चाहिये मार काट,
ये आंतक ये भष्टाचार,
ये खून खराबा,
ये आपस में लड़ाती ,
जाति भेद पर मरते कटते,
ये आंतकी के लोग,
नही चाहिये ऐसा साथ,
चलो और कहीं चले |
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale307 0बदलता समय
हर दिन एक जैसा नहीं होता यहाँ
हर रात सुहानी नहीं होती यहाँ
कभी हंसी मिलती है
तो कभी गम यहाँ
कभी रोशनी मिलती है
तो कभी अंधेरा यहाँ
कभी फूल मिलते है
तो कभी कोटे यहाँ
कभी दोस्त की वफाई
तो कभी बेवफाई मिलती है यहाँ
हर दिन एक सा नहीं होता है
मेरे दोस्तों यहाँ ।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale308 0" कैसा साथ "
जिन्दगी चली जायेगी यू ही
न कोई आयेगा आपके पास,
वक्त गुजर जायेगा यूँ ही
न देगा कोई आपका साथ,
वक्त न ठैहरा है न ठैहरेगा
ये भी साथ छोड़ चला जायेगा,
विश्वास है अपनी परहाई पर
किंतु वो भी चली जायेगी कही पर,
किस चीज पर विश्वास करते हो इस जहाँ में
हर चीज है नाशवान इस जहाँ में।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale305 0कविता मेरी पहचान
मैं और मेरी कविता
सदैव साथ होते हैं
चाहे सुख हो या दुख हो
चोली दामन का साथ,
हमेशा होता है,
कविता मेरे जीवन की ज्योति
तो मेरी सपनों की रानी
वो मेरी दिल की मोती
वो मेरी सुबह की हरियाली
वो मेरी शाम की रोशनी
वो मेरी आँखो की ज्योति
वो मेरी खुशियो की बाहार
वो मेरी अजीज सहेली
मै और मेरी कविता ही सिर्फ
मेरी पहचान हैं ।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale307 0बेनाम
दर्द, ही आराम है मेरा
गमों, से राहत है मुझे
वरना, जिन्दगी आग सी है
दर्द ही, साहारा जिन्दगी का
गमों का हमेशा साथ है
क्यों हैं इनसे प्यार मुझे
कांटों से है प्यार मुझे
धुप से है राहत मुझे
'सपनों से लगाव है मुझे
'अधियारों से प्यार है मुझे
दुश्मनों से प्यार है मुझे
"अपनों से ना एतबार है मुझे
बेवफाई का साथ है मुझे
यही सच्चे दोस्त है मेरे
हमेशा रहते पास मेरे
क्यों है इनसे प्यार मुझे ।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale309 0बेटी होने की सजा
लड़की होने की सजा पा रही हूँ मैं,
जो गुनाह किया ही नही, उसकी सजा पा रही हु मै ,
माँ की कोख से ही, पहली सजा पा रही हु मै,
बाहर आते ही सजा की, गुनेहगार हो गई हूँ मैं ,
अपनों से प्यार पाने की , मोहताज हो गई हूँ मैं ,
लड़की होने की सजा पा रही हूँ मैं,
ये ना कर- वो ना कर क्योकि 'मै लड़की हूँ,'
तुझे हद में रहना है, हर समस्या से जुझना है,
क्योंकि मै लड़की हू, लड़की होने की सजा पा रही हूँ मै ,
क्या बेटी होना गुनाह है, इस समाज में,
अगर बेटी ना होगी तो, काहाँ से लाओगे बहन और बहु,
ये ही बेटी आगे बढ़ कर बहन, बहु और माँ बनेगी।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale3011 1-
k_charchit
Hi dear writer,
We are glad to see your posts, that's very unique and creative, would you like to work with us in our next anthology?
The book will be published internationally with your name on the front cover and copies of it will be give to you.
Contact us for more details.
Thank you
If you are intrested kindly contact with us
Charchit khandelwal
Instagram- k_charchit
Mail id - charchit@hatcheggpublication.com
whatsApp (only) - 91+ 8178985509
" करोना वक्त "
ये कैसा बचपन है मेरा
स्कूल है ना ट्यूशन है मेरा
बस घर पर ही कैद रहना है
न ही दूसरो के साथ खेलना है
दूरी बनाकर व मास्क लगाकर रहना है
ऑनलाइन पढ़ाई से बोर हो गए है
स्कूल ड्रेस पहना है स्कूल जाना है
ये कैसा बचपन है मेरा
कही नही जाना कुछ नही करना
बस घर पर ही रह कर डाट खाना है
ये कैसी बिमारी आई है,जो हमे रुलाई है अपनो से दूर रहना व कुछ न कहना
टी.वी और मोबाइल भी बोर लगता है
बस अब दोस्तो से मिलना है
स्कूल हमे जाना है घर से बाहर जाना है
पहले छुट्टी अच्छी लगती थी
अब हर दिन स्कूल खुले ऐसा लगता है
ये कैसा बचपन है
उदास हर बच्चे का मन है
न कोई खुशी न कोई खेल है
बस शांत वातावरण है
कब होंगे आजाद हम
कब लौटेगी स्कूल की खुशिया
न फोन चाहिए, न टी.वी चाहिए
हमे बस स्कूल जाने की इजाजत चाहिए।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale306 0अमृत धारा
जीवन का अस्तित्व पानी है
बहता पानी अमृत धारा सा,
जल ही जीवन है,
जल है तो कल है,
जल ही जीवन अमृत धारा
जल ही कल है जल बिना कल नही
जल जग कि जरूरत है
जल बिना जीवन नही है
जल धरती कि ही नही आकाश की भी जरूरत है,
जल बिना कुछ नही और जीवन,
जल नही तो मानो पशु पक्षी नही,
सम्पूर्ण जगत जल बिना शुन्य है
जल ही जगत का श्रोत है
जल ही जीवन अमृत धारा ।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale306 1" नव वर्ष "
नव वर्ष की हर्ष बेला है आई
जन जन मे नव चेतना है जगाई ।
जिन्दगी हर्ष व उल्लास से भर लाई
नव वर्ष चारो तरफ खुशिया छाई ।
दिलो मे राग , रंग, उमंग है छाई
देखो खुशि का पैगाम है लाई ।
बिछड़े दिलो मे स्नेह व प्रेम है जगाई
नई सुबह नई उमंग नई है ऊर्जा लाई ।
मिल कर रहो अब न कोई है, तन्हाई
करो स्वागत नव वर्ष नवंरग है लाई ।
2021 वर्ष अपना रंग दिखाया गम्भीर घाव लगाई लगाई
दे दो 2021 को अब बिदाई ।
देखो देखो नव वर्ष नूतन हर्ष लेकर आई
करो सब स्वागत देश के बहन और भाई।
स्वरचित
ज्योति परमाले
रायपुर छत्तीसगढ
©jyotiparmale306 0कान्हा
कान्हा कन्हैया तेरी याद सताये
रह रह आखिया नीर बहाये
दरस के लिए व्याकुल है सखियाँ
जहाँ जहाँ पे पड़े थे कदम तुम्हारे
वहाँ -वहाँ पे आखियाँ ढ़ूढ़े रे कान्हा
गोपिया व्याकुल हो रही है रे कान्हा
अब तो दरस दिखाओ कान्हा
अब और ना सताओ कान्हा
तुम बिन ना सुहाये कोई काज
तुम बिन सब लागे सूना सूना
तुम बिन पूरा ब्रज है सूना
तुम बिन कोई और ना दूजा
छोड़ गये जब तुम हम सबको
स्तम्भ कर गये तुम हम सबको
नर नारी क्या पशु पक्षी हो गये मूक
दिन रात बहाये चूप चूप नीर रे कान्हा
कान्हा तेरी याद सताये आ भी जाओ,
कान्हा तेरी याद सताये आ भी जाओ ।
©jyotiparmale30
We are glad to see your posts, that's very unique and creative, would you like to work with us in our next anthology?
The book will be published internationally with your name on the front cover and copies of it will be give to you.
Contact us for more details.
Thank you
If you are intrested kindly contact with us
Charchit khandelwal
Instagram- k_charchit_official
Mail id - charchit@hatcheggpublication.com
whatsApp (only) - 91+ 8178985509