इश्क़ में अपनी जिंदगी वो बर्बाद करता है अपनी नाशाद जिंदगी को वो नौशाद करता है
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piu_writes 8h
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ashish_says 13h
बहुत गुफ़्तगू हो गई दूसरों से
अब कुछ देर मौन हो जाता हूँ
सारी दुनिया से छुप कर अब एक
संतोषजनक संसार बनाता हूँ
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ashish_says 1d
जब तुम चले जाओ
तो एक एहसान करना
दुआ तो दूर की बात है
ख़्वाबों में भी याद मत करना
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piu_writes 2d
पकडण्डी
क्या देखी है तुमने पकडांडिया ??? मुड़ती थी जो गली गावं कस्बों बस्ती की ओर , छोटी छोटी खर पतवार से घिरी , बारिश में भीगी किचड से सन्न , गर्म धूप में छाँव देते पेड़ पौधे इनके दोनों तरफ , सुस्ताते राहगीर इनपर खेलते बच्चे , क्या देखी है तुमने पकडांडिया ? इक्के दुक्के सायकिल सवार इनपर , कभी भूले से बड़ी गाड़ी जो चलती इसपर , तो लग जाता था लोगों का तांता , देखने मुहल्ले में किसके घर आया है कोई राईसजादा , क्या देखी है तुमने पकडांडिया ? हंसती बतियाती इनपर सहेलियाँ , क्या देखी है तुमने पकडांडिया , गली में छेड़ते शोहदे , इनपर चलती प्रेम कहानियां , क्या देखी है तुमने पक डांडिया ? इनपर खड़े होकर घंटों तक स्वजनों का इंतजार , रूठना मनाना स्नेह दुलार मान मनुहार , अब कहाँ मिलती है पकडांडिया ??? अब तो सीमेंट की सड़कों पर है सिर्फ रफ्तार
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ashish_says 2d
हर मुस्कान के पीछे यहाँ कई राज छुपे हैं
कुछ मामूली तो कुछ बहुत ही गहरे हैं
आदि हो गए हम झूठी मुस्कान के इस कदर
कि हर दर्द को हम कमजोरी समझने लगे हैं
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piu_writes 3d
बन जाऊँ तेरी आंखे और देखूँ तो मैं मेरे ख्वाब कभी तू देखता है के नहीं
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ashish_says 3d
किसीसे ना कोई उम्मीद नहीं है
ना ही है किसी पर भरोसा है
ठोकर खा कर सीखा है कि
बस खुद से ही प्यार करना है
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ashish_says 4d
खुद से गुंजाईश थी तो दूसरों से बैर कर लिया
और इसी तरह अहंकार ने इंसानियत को हरा दिया
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ashish_says 5d
इच्छाओं के भवसागर में
कुछ इस कदर कैद हो गए
कि अब अपने ही उन्हें
नासूर बन चुभने लग गए
वक्त की मार ही अब
सही अहमियत बताएगा
जब एक दिन ऊंट भी
पहाड़ के नीचे आएगा
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तुम्हारे दिल से भी मेरे अक्स को देख कर ये सदा उठे , और कुछ नहीं , फिर भी दिल से कभी तो एक आह उठे
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ashish_says 1w
क्या हो गया अगर तुम्हारी खुशबू खो गई
क्या हो गया अगर तुम अपनों से दूर हो गए
गुलाब हो तुम बस इतना याद रखना
गुलदस्ता ना सही तो गुलकंद बन जाना
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ashish_says 1w
पिंजरे में कैद परिंदे को
आसमान की चाहत है
मन में दबी इच्छाओं को
पूरा करने की ख्वाहिश है
ना जाने किस बात का डर है
जो तुम खुद में ही उलझे हो
छलांग लगा दो पहाड़ों से तुम
उड़ने की काबिलियत है तुझमें
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ashish_says 1w
कोरे कागज़ सी इस दुनिया में
लाखों मिलते है स्याही लिए हाथों में
पर उन लाखों में भी बस कुछ ही होते हैं
जिनकी काबिलियत होती कुछ कर दिखाने की
बाकी गुमनाम से रहते हैं इसी दुनिया के कोने में
सारी दुनिया रहती है बिल्कुल ही अनजानी उनसे
पहचान बनानी है तो कुछ अलग करना होगा
अपनों और गैरों के आंखों में खटकना होगा
तभी सुनेगी ये बेहतरी दुनिया उस शख्स को
जिसने पीछे छोड़ दिया हो बाकी सब को
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ashish_says 1w
खुद को भुला कर दूसरों को चाहने वाले
कभी अपनी जिंदगी में खुश नहीं रहते हैं
रात को दिन और दिन को रात कहते हैं
और खुद को मृगतृष्णा में खोए रखते हैं
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जख्मो ने इतना तराशा दिल संगमरमर हो गया चेहरे पर अशको के बूंद गिरते रहे चेहरा मेरा पैकर हो गया
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ashish_says 1w
माना तू खुदगर्ज़ है
तो मैं भी कोई खुदा नहीं
तेरी हर गलती को माफ़ कर दूँ
ऐसी तो कोई वज़ह नहीं
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piu_writes 1w
जिंदगी एक ठंडी सी छाँव मेरे लिए भी रखना जिंदगी एक सपनों का गावं मेरे लिये भी रखना जिंदगी एक टुकड़ा तो धूप मेरे लिये भी रखना जिंदगी कुछ छोटे छोटे सुख मेरे लिए भी रखना जिंदगी कुछ मखमली सी घास मेरे लिए भी रखना जिंदगी कुछ मोह बंधन पाश मेरे लिए भी रखना जिंदगी कुछ स्वच्छंद उन्मुक्त हवा मेरे लिए भी रखना जिंदगी कुछ दर्द की दवा मेरे लिए भी रखना
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ashish_says 1w
कमजोर को दबा कर जो तुम
खुद को बलवान समझ रहे हो
डूबते सूरज को दिखा कर जो तुम
सवेरा होने का दावा कर रहे हो
झूठ फरेब ये तुम्हारा एक दिन
बाहर आ जाएगा निष्पक्ष हो कर
और तुम रह जाओगे खड़े अकेले
बस अपने हाथों को मसलते
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ashish_says 2w
शब्दों के बीच छुपे मतलब को समझने लगे अब तुम
समझदार नहीं ब्लकि अब मतलबी हो गए हो तुम
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होली गीत
हो ओ ओ हो ओ ओ होली आयी रे ले मनभावन रंग बिरंगी टोली आई रे देखो देखो मतवारो की टोली आई रे
भैया खेले नन्दी खेले खेले भौजाई रे
देखो देखो रंग बिरंगी होली आई रे
आरारा आरारा भर पिचकारी किसने मारा भीगी मोरी चुनरी सारी मैं शरमायि रे
हो ओ ओ हो ओ ओ होली आयी रे
घूम रहा हू गली गली मैं तो बन के जोगी कहा छुपी है मेरी जोगनिया कोई गली तो होगी
और ना सता ये तो बता प्रेम ने ली अंगड़ाई रे
देखो देखो मन भावन होली आयी रे
हो ओ ओ हो ओ ओ होली आई रे
रंग है गुलाल सब करें धमाल हाथों में पिचकारी छत पे चढ़ कर गुब्बारों से दे दनादन मारी
गली मुहल्ले में रंगों की बौछारी आयी रे मीठे पकवानों की खूशबू से मुह में पानी लायी रे
कहीं कहीं देखो भैया घुट रही है भंग लोक लाज सब छोड़ कर देखो रचाया कैसा स्वांग
प्रेम बढ़ाओ प्रीत निभाओ मत दो गारी रे संग कान्हा के राधा रानी वारि वारि रे
हो ओ ओ हो ओ ओ होली आयी रे
हो ओ ओ हो ओ ओ होली आई रे
©piu_writes (original composition)