मज़ा
हमसे से पूछता है जब कोई मोहब्बत का मज़ा ।
आँखे बन्द कर के अपने दिल पे हाथ रखते है ।।
©raman_writes
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86989 posts-
raman_writes 7m
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sajank 22m
अपने कल को तो अपनाया अबतक
और ज़िंदगी अगले पड़ाव पर जाने को तैयार खड़ी हैं,
यहाँ खुद को मैंने संभाला नहीं अबतक
और ज़िम्मेदारियाँ कंधों में आने को तैयार खड़ी हैं!!
©sajank -
terrybbrown 1h
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Sometimes my windows tell me stories
Although they're held within the walls they seem to know far more than ceilings will allow
©terrybbrown -
Rangoli pyar ka
Pyar ka rang bikhar ne lage .
Rangoli ki tarha pyar mujhnme udne lage !
__ pyar khudse v karne lage .
Tu motiki tarha mujhme chamakne lage .
__ pyar banke tu mujhme chhane lage .
Dhadkan banke dilme dhadak ne lage .
__ saans banke tu mujhme basne lage .
Av to Zeendagika hissa bangaye .
.
©greenpeace767 -
Mayushime dil ...
Dil khush hota hay ,
_ dilme rahne walla khush rahte .
Nahito a duniya aanjansi lagne lagte !
Dilme basne walla murjhaya huya ho to ?
_ sukhi huyi daliki tarha life lagne lagte .
Dilko chain rakhne walla paresan ho to ?
_ bin jalki shukhi nadi jaysa mehsoosh hota .
Harpal hasne hasane walla khamosh ho to ?
Bina kafanke las hu aysa mehsoos hota .
_ Mann ki aasha hay aap khush raha kare .
©greenpeace767 -
ankuaabha 3h
की कितना ही लिखूँ और क्या ही लिखूँ
की शब्द कम पड़ते है
दर्द बताने के लिए
की कितना ही रोऊ और कितना ही तड़पु
की आँसू काम पड़ते है
तुम्हें दिखाने के लिए।
की कितना ही भूलूं और कितना ही सह लूँ
की यादें कम पड़ते है
तुम्हें याद करने के लिए।
की शाम ढलते ही और दिन निकलते ही
याद आते हो तुम मुझे युँ ही।
की चाँद के आते ही और सूरज के जाते ही
तड़पाते हो तुम मुझे युँ ही।
©ankuaabha -
___shweta 3h
इश्क में रोई हुई आंखे उसकी देख
मां पल भर में जान जाती थी,
पूछती थी कुछ तो बता हुआ क्या है
कुछ नही हुआ
अक्सर ये कहकर टाल दिया करती थी,
मां फिर भी मुझको देख सब कुछ जान जाया करती थी
सुनना वो मेरे मुंह से चाहती थी
कैसे बताती मैं उसको
की उसकी गुड़िया इश्क में हार गई थी
मां सहन न कर पाती कभी
इसलिए कुछ नही हुआ मां
अक्सर ये कहकर
मैं उनकी बातो को टाल दिया करती थी...
श्वेता ✍️
©___shweta -
©_solitaire_
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hindiwriters 6h
@abhijitpoetic जी की ये बेहतरीन रचना पढ़ें, सराहें और इन्हें follow करके इनका मनोबल बढ़ाएँ :)
बहुत उम्दा लिखा है अभिजीत जी, यूँ ही लिखते रहें ।
आपकी रचना भी बन सकती है Post of the Day, बस ऐसे ही दिल से लिखते रहिये और @hindiwriters को अपने हिंदी लेखों के caption में ज़रूर tag करें ।
#hindi #hindiwritersHindi Post of the Day
एक शब्द जो अजन्मा है शायद
कुछ लोगों ने ढाई अक्षर कहा,
जिसपर उपन्यास लिखे गए, शब्द विन्यास भी हुआ
लेखक लिखते लिखते मर गए और लेखक आगे भी लिखेंगे
कवियों का गला बैठ गया, श्रोता जड़ बन गए
फिर भी परिभाषा अधूरी रह गई..
एक शब्द और है
यह भी महज़ ढाई अक्षर हैं
कइ बर्षों से यह अंधेरे में है
मुहल्ले के छोर पर बैठा है एक मठाधीश
जो बार बार जन्म लेता है
प्राचीन, मध्य और आधुनिक, तीनों इतिहासों में
इसका ज़िक्र है, जो हर बार इस शब्द को तोड़ता है
और कहता है कि यही इसकी परिभाषा है,
आंख पर काली पट्टी लगाए
मुहल्ले के लोग इसे मान जाते हैं..
इन दो शब्दों में पहले का पिता इश्वर है...
दूसरे का सम्भवतः: मठाधीश
पहले को प्रेम कहा गया....
और दूसरे को धर्म........!! -
वक़्त के चंद सियाह और कुछ उजले धागों के इख़्तियार से बनी एक कठपुतली हूं मैं... कभी सर्दियों की नर्म धूप सी तो कभी ख़िज़ा की शाम सी ढली हूं मैं!
©prakriti2005 -
व्यक्तित्व
शादियों में लड़कियों के गुण और व्यक्तित्व से पहले देखा जाता है,उनका "चेहरा"....
और लड़कों के व्यक्तित्व और गुणों से पहले देखा जाता है,उनका "वेतन"....
©kartik231 -
इश्क
हर गलतियों का अंजाम उसे पता है ।
मगर इश्क़ कमबख्त करवाए जा रहा है ।
©keneth -
ashish_says 9h
जब तुम चले जाओ
तो एक एहसान करना
दुआ तो दूर की बात है
ख़्वाबों में भी याद मत करना
©ashish_says -
_sabr_ 10h
#ख़ुद
ख़ुद गिरो ख़ुद उठो
खुदको ख़ुद सम्भाल लो,
ख़ुद रोउ फ़िर ख़ुद ही
ख़ुद को हंसना सीखा लो,
काफ़ी कर ली अँधेरों से दिल्लगी
अब चलो झाँको ख़ुद से बाहर,
कुछ नए से ख़ुद से मिलो
कुछ उजालों से इश्क़ फर्मा लो।
©_sabr_ -
aparna_shambhawi 11h
निशा की बिखरी धुँध
तुम्हारे चेहरे पर तुम्हें दुलारते हुए
करती है प्रतिद्वंद्विता बादलों से
जिसने एक माँ की भाँति
ढक लिया है चाँद को
ताकि गुज़रते हुए धूमकेतु
सेंध न लगा जाएँ
उसके दुलारे की निद्रा में!
मेरी खगोल विद्या के तुम चँद्र!
न जाने कितने ही निमेष
हर रात तुम्हारी आँखों की गहराई मापने के होड़ में
ले जाते हैं तुम्हें स्वप्न देश
जहाँ तुम कर सको निःसंकोच
अपनी वांछाएँ पूरी
और तुम्हारी पलकें देती रहती हैं पहरा
जैसे नक्षत्र देते हो
आश्वासन बादलों को
चाँद की नींद का
कि वे रोक देंगे हर उल्का को
गति से परे
पर नहीं टूटने देंगे दुलारे की निद्रा।
हे चँद्र! जब तुम स्वप्न के आलिंगन में
सिकोड़ते हो भवें
तो एक ध्रुव पर बैठे चकोर की भाँति
मेरा मन हो उठता आह्लादित,
भावों के इन्द्रधनुष कर जाते
मेरे अंतस की रिक्तता को प्रतिस्थापित!
परिणामस्वरूप,
होता मन लालायित कि चूम लूँ तुम्हारे बिम्ब फल से अधरों को
या सहला जाऊँ केशों को
ताकि स्वप्न देश में मिल जाए तुम्हें एक ठंडा झोंका हवा का!
तुम्हारी प्रतीक्षा में
मेरे हृदय से प्रति क्षण उठता ज्वार
हो जाता फिर शांत
जब बादलें हटा लेती अपनी लटें
तुम्हारे मुख से
और तुमसे आलिंगन की कल्पना में
बीत जाती निशा
और रवि-किरणें लिख देती
एक लघु वियोग हमारी नियति में,
पुनः एक बार!
~ अपर्णा शाम्भवी -
..
©manisha_baranwal -
प्यार में बेसुध, अधीर ना रहिये
प्यार सब्र से ही मुकम्मल किजीये
चाँद हर दिन बढ़े..थोड़ा थोड़ा
सब्र से... पूरे चाँद में तब्दील होता
बेसब्र हम,चाह में सब्र कहां
हम आज में जीते हैं... कल जो भी हो
पूरा चाँद चाहिए, प्यार चाहिए.. क्यों न
फिर.. हर रात अंधेरों में हो धसना
प्यार हुआ तो प्यार तुरंत चाहिए
नये ज़माने से हैं हम, हक़ तो है ना
©vipin_vn -
हर बात जो सर चढ़ कर बोले
कोई दीवाना कहता है,
हर बात जो दिल में घर कर जाए
कोई दीवाना कहता है,
हर बात जो हर कोई सोच भी न पाए
कोई दीवाना कहता है,
हर बात जो दुनिया को बदल दे
कोई दीवाना कहता है,
हर बात जो नज़रिया पलट दे
कोई दीवाना कहता है,
हर बात जो दूरियां मिटा दे
कोई दीवाना कहता है,
हर बात जो मोहब्बत फैला दे
कोई दीवाना कहता है।
©antarraal -
शे'र
आंखों के सामने थी मंजिल फिर भी लोग परेशान थें,
बिन मांगे ही सब कुछ दे दिया ये उसी के एहसान थें ।
©neighbour_667 -
abhi_mishra_ 7h
शमा - मोमबत्ती, दिया
हर्फ - अक्षर
शाद - खुश, प्रसन्न
हसरत - ख्वाहिश
आब - पानी
शब - रात
क़फ़स - पिंजरा
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उठ उठ कर हर रात, शमा आबाद करता हूँ,
अब तुम लौट आओ मैं तुमको बहुत याद करता हूँ।
खोजता हूँ तुमको अक्सर किस्से में, कहानी में,
कुछ पन्ने और कुछ वक़्त भी मैं बर्बाद करता हूँ।
मुस्कुराती हो तुम, मेरे हर हर्फ़, हर लफ़्ज़ में,
तुम्हें देख कर इस दिल को अपने शाद करता हूँ।
उठती है इस दिल में जब जब इश्क़ की हसरत,
हर ख़्वाब को तेरे आब, अश्कों को खाद करता हूँ।
हर शब को लौट आता है फिर क़फ़स में परिंदा,
हर सुबह को मैं फिर उसे आज़ाद करता हूँ।
©abhi_mishra_