हर्ष
पल-पल कर के जीवन के बीते कितने वर्ष,
जो हरि दर्शन हो जाये हृदय को मिले हर्ष।
बस और न कुछ मैं चाहूं मेरे प्रभु जी तुमसे,
प्रभु चरणों की रज बनूं यही है मेरा उत्कर्ष।।
अर्चना तिवारी तनुजा ✍️
©archanatiwari