जब भी ख़त लिखूंगा याद वो मंजर आयेगा !!
इतना प्यासा हूँ मेरे ख्वाबों मे समंदर आयेगा !
खुदकुशी मे होंठों से लगाकर पी लूंगा जो ज़हर ,
जिगर से होता हुआ रग रग के अन्दर आयेगा !!
पहले मिरी इक आहट पे भी मिलने आता था वो,
अब मैं दूँ आवाज भी तो वो ठहर कर आयेगा !!
मैं उसके हुस्न की तपिश मे निखर कर आया हूँ,
देखना वो भी मिरे इश्क़ मे संवर कर आयेगा !!
पहले उसकी आँखों मे डूबने की हसरत थी मुझे
लेकिन मजा तो उसके हिज्र मे जलकर आयेगा !!
यहाँ तिरगी मैं बैठा हूं उसके ख्याल-ए-तन्हाई मे,
पर क्या वो चाँद की मानिंद निकल कर आयेगा !!
उसकी गली से मैं रोज़ सौ मर्तबा गुज़रता हूँ,
किसी दिन वो भी मेरे घर तक चलकर आयेगा !!
डर मत अश्कों की कहानी मे न होगा जिक्र तेरा,
हर अश्क मेरी आँख से बाहर छनकर आयेगा !!
आम की शाख़ पर फल लगने की देर है "धर्मी"
देखना हर सिम्त से कोई न कोई पत्थर आयेगा !!
©dharmi09
dharmi09
अधूरा मत पढ़ना मुझे
-
-
प्रकृति मे रहकर मात्र जनहित का लक्ष्य होना,
हे मानव इतना भी सरल कहाँ है यहाँ वृक्ष होना !!
मौन खड़े रहकर अपने पर्ण-पल्लवो का त्याग,
फिर भी सब कुछ सहकर पूर्णतः तटस्थ होना !!
हे मानव इतना भी सरल कहाँ है यहाँ वृक्ष होना !!
अपने फलों पर पत्थरों का आघात सहते हुऐ भी,
सबके लिये एक समान उपयोगी एवम सुयोग्य होना !!
कुल्हाड़ी से शाखायें तने से अलग भी हो जायें तो,
किस ने देखा है वन उपवन मे मासूम वृक्षों का रोना!!
हे मानव इतना भी सरल कहाँ है यहाँ वृक्ष होना !!
पल दो पल के लिये अपनी श्वास रोक कर देखो !
वृक्षों के बिना सम्भव कहाँ है जीवन का सत्य होना !!
वृक्षों के संसार को सहजने मे मावन असमर्थ रहे तो,
इस धरा पर रहने का अधिकार मानव तुम्हे कभी हो ना !!
हे मानव इतना भी सरल कहाँ है यहाँ वृक्ष होना !!
©dharmi09 -
जब उससे इश्क़ बरमला हो गया
गोया इश्क़ न हुआ मसला हो गया !!
मै कल तक सौदाई लगता था उसे,
न जाने आज कैसे मै भला हो गया !!
पहले जो अदब से लेते थे मिरा नाम,
मै आज उनके लिये ही फलां हो गया !!
सोचा एक आध बार मिलकर देखूं उसे,
फिर तो ये रोज का सिलसिला हो गया !!
हम थककर जब नींद मे सोये पड़े थे ,
ठीक उसी वक्त हम पर हमला हो गया !!
जिस बस्ती को जलने से बचाया था मैने,
मिरी जान का दुश्मन वो मोहल्ला हो गया है !!
उसकी छुअन का एहसास बराबर वही है,
बस जहन मे उसका अक्स धुंधला हो गया !!
मैने उसके नाम से लिखी फिर जो भी ग़ज़ल,
हर किसी को पसंद उसका मतला हो गया !!
©dharmi09 -
अपनी अपनी ग़ज़ल मे नजीर अपनी अपनी है,
इस जहाँ मे हर किसी की तकदीर अपनी अपनी है !!
वो मुझे दिलरूबा लगी और शायद मै उसे बेवफा,
दोनो के जहन मे इश्क़ की तस्वीर अपनी अपनी है !!
पहले उसने पर्दा किया फिर मैने बनाई उससे दूरियाँ
इस बेवफाई की वजह भी आखिर अपनी अपनी है !!
उसके ख़्वाबों का तर्जुमा मै किस हक से कर देता,
अपनी आँखों के ख्वाबों की ताबीर अपनी अपनी है !!
हसरत-ऐ-इश्क के मंका मे एक ही कमरा था दोनो का,
ग़म-ऐ-इश्क मे सल्तनत और जागीर अपनी अपनी है !!
दिल बहलाने के लिये मुस्कुराते है जब भी मिलते हैं,
मगर अब भी दोनो के सीने मे पीर अपनी अपनी है !!
©dharmi09 -
इस इश्क़ ने मिरा जीना मुहाल कर रखा है,
इस दीवानगी ने मिरा क्या हाल कर रखा है !!
उसने फाड़ कर उडा दिया हर खत टुकड़ों मे,
मैने ख़त का पुर्जा-पुर्जा सम्भाल कर रखा है !!
उसकी बेवफाई से तंग आकर उसे भूला न दूं ,
मैने जुबां पर जिक्र उसका निकाल कर रखा है !!
यादों की तड़प अश्कों मे बहा ले जाती ही नही,
मैने ज़िस्म को ये कौन से सांचे मे ढाल कर रखा है !!
मै अपने लबों को न जाने कब हरकत मे लाऊं,
इसी तमन्ना मे उसने मिरी तरफ गाल कर रखा है !!
गुजरे जमाने का आशिक नही कि जुल्म सह जाऊं
मैने अपने लहू को ज़िस्म मे उबाल कर रखा है !!
कासिदों ने बताया है कुछ ऐसा जलवा उसका,
उसकी गली मे हर कदम देख-भाल कर रखा है !!
©dharmi09 -
dharmi09 156w
#mirakeeworld #mirakee #Hindiwriters #Hindi #writer #urdu #gazal #maa #माँ #प्यार
माँ मुझे कहानी सुनाती रही रात भर
परियाँ ख़्वाब मे आती रही रात भर !!
दिन तितलियों और गुलों के साये मे बीता
बाहर चाँदनी झिलमिलाती रही रात भर !!
आम की शाख़ पर झूला झूलता बचपन,
माँ की लोरियाँ दिल लुभाती रही रात भर !!
कौन सी मुश्किल का सामना कैसे करना है,
गोद मे बिठाकर माँ समझाती रही रात भर !!
माँ की तस्वीर से लिपटकर तब खूब रोया,
जब माँ की हर बात याद आती रही रात भर !!
मै चाहता था कि मेरा ख़्वाब और लम्बा हो,
माँ मेरे ख़्वाब मे यूं ही आती रही रात भर !!
©dharmi09 -
dharmi09 157w
अब नारी सशक्तिकरण के नाम पर
तुम पुरूषों को नीचा दिखना बंद करो
पहले आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
देवी तुल्य नारी का पुरूष सदा उपासक रहा है
आदि अनादि काल से यूं ही नारी का पूरक रहा है
किन्तु आज पुरूष के सिर थोपी जाने वाली,
तमाम झूठी कमियों का उलहाना बंद करो !!
पहले आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से,
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
जिसने गिरिराज गोवर्धन उठाया वो भी एक पुरूष था
जो द्रोपदी की चीर बचाने आया वो भी एक पुरूष था
क्यों भूल गये कंस का वध और कुरूक्षेत्र का गीता ज्ञान
पुरूषों की कमियों की झूठी बंशी बजाना बंद करो !!
पहले इन आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
जनक नंदिनि का वरण हो या द्रोपदी का हो स्वयंवर,
धनुष तोडने वाला राम और अर्जुन भी तो पुरूष था !
जो पाषाणों का सेतू बनाकर क्षीर सागर से पार उतरे,
उनके नाम सीता की अग्निपरीक्षा का उलहना बंद करो !
पहले इन आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
#mirakeeworld #mirakee #Hindiwriters #hindipoem #Hindi no #writers #social #issue #man #womanअब नारी सशक्तिकरण के नाम पर
तुम पुरूषों को नीचा दिखना बंद करो
पहले आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
देवी तुल्य नारी का पुरूष सदा उपासक रहा है
आदि अनादि काल से यूं ही नारी का पूरक रहा है
किन्तु आज पुरूष के सिर थोपी जाने वाली,
तमाम झूठी कमियों का उलहाना बंद करो !!
पहले आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से,
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
जिसने गिरिराज गोवर्धन उठाया वो भी एक पुरूष था
जो द्रोपदी की चीर बचाने आया वो भी एक पुरूष था
क्यों भूल गये कंस का वध और कुरूक्षेत्र का गीता ज्ञान
पुरूषों की कमियों की झूठी बंशी बजाना बंद करो !!
पहले इन आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
जनक नंदिनि का वरण हो या द्रोपदी का हो स्वयंवर,
धनुष तोडने वाला राम और अर्जुन भी तो पुरूष था !
जो पाषाणों का सेतू बनाकर क्षीर सागर से पार उतरे,
उनके नाम सीता की अग्निपरीक्षा का उलहना बंद करो !
पहले इन आधे अधूरे परिधानों की झिल्लियों से
देवी तुम अपनी पावन देह दिखाना बंद करो !!
©dharmi09 -
बेटे की ज़िन्दगी बन जाये वगर्ना ऐसा करता भी कौन है ?
माँ बाप के सिवा बेटे की ख़्वाहिशों पे मरता भी कौन है ?
औरों ने पढ़ा मगर महज माँ ने ही सौ बार चूमा ख़त को ,
माँ के आलावा ख़त के अहमियत समझता भी कौन है ?
चाँद तो पूनम के बाद फिर सिमटनेे लगेगा अपने दायरे मे,
इश्क़ के गम के सिवा दिन ब दिन और बडता भी कौन है ?
हिज्र तो बस वक्त बेवक्त ले आता है गुजरे लम्हों की याद,
वस्ल के सिवा नस नस मे इज़्तिराब भरता भी कौन है!?
सब झूठी वाह वाही करते है मानो ये तमाशे का मंजर हो कोई
इन पढ़े लिखों के शहर मे धर्मी तेरी ग़ज़ल समझता भी कौन है ?
©dharmi09 -
dharmi09 157w
नारी
जिसने राम-कृष्ण को पाला ,
जिसने असुरों का वध कर डाला !!
जिसका राधा-मीरा सा सुकोमल मन है
सती-शक्ति सी जो धधकती ज्वाला !!
जिसके भीतर सृजन-अमृत है,
जिसके अधरों मे है मधुशाला !!
जिसके प्रेम मे गंगा-यमुना,
जिसकी घृणा मे है मृत्यु हाला !!
सृष्टी का जो सृजन करती है,
सूर्य रश्मि का भोर उजाला !!
महादेव की कण्ठ भुजा पर,
मानो विषधर वासुकि की सर्पमाला !!
शीतल-धवल सी शोभा इसकी,
जैसे हिमाच्छादित श्रेष्ठ हिमाला,
तीनो लोक मे जयघोष है जिसका,
उस नारी ने संसार सम्भाला !!
उस नारी ने संसार सम्भाला !!
©dharmi09 -
dharmi09 158w
कल मिरे ख्वाबों मे वो आई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल,
मैने कोई धुन प्यार की गाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
उसने प्यार से देखा तो हर्फ़ यूं चूमने लगे मिरी कलम
वो पलकें झुका कर शरमाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
राधा ने जब रास रचाया तो शायद बहर मे झूमी होगी,
फिर कान्हा ने बंसी बजाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
राम ने दश़्त-ऐ-सहरा घूम कर गाये होगें गीत हिज्र के
सीता ने प्रीत अनोखी निभाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
हीर की पीर पर बने है यहाँ न जाने कितने अफसाने,
रांझे ने ठोकरे दर दर की खाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल!
इश्क़ मे लैला का तड़पना याद किया तो मालूम हुआ हमें,
मजनु ने हिज्र मे जो उम्र बिताई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
आज कई पुराने ख़त हाथ लगे तो जख़्मों से रिसने लगा लहू,
हाथों मे तिरी तस्वीर पुरानी आई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
#mirakeeworld #mirakee #gazal #Urdu #shayari #writer #Hindiwriters #hindiकल मिरे ख्वाबों मे वो आई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल,
मैने कोई धुन प्यार की गाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
उसने प्यार से देखा तो हर्फ़ यूं चूमने लगे मिरी कलम
वो पलकें झुका कर शरमाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
राधा ने जब रास रचाया तो शायद बहर मे झूमी होगी,
फिर कान्हा ने बंसी बजाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
राम ने दश़्त-ऐ-सहरा घूम कर गाये होगें गीत हिज्र के
सीता ने प्रीत अनोखी निभाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
हीर की पीर पर बने है यहाँ न जाने कितने अफसाने,
रांझे ने ठोकरे दर दर की खाई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल!
इश्क़ मे लैला का तड़पना याद किया तो मालूम हुआ हमें,
मजनु ने हिज्र मे जो उम्र बिताई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
आज कई पुराने ख़त हाथ लगे तो जख़्मों से रिसने लगा लहू,
हाथों मे तिरी तस्वीर पुरानी आई तो मुक्कमल हुई है ग़ज़ल !!
©dharmi09
-
सुनों! मत पूछा करो कैसी हूँ मैं..
बिल्कुल अपने पापा जैसी हूँ मैं!!
उनकी लिखी एक कहानी हूँ मैं..
बेफिक्र बहते दरिया का पानी हूँ मैं!!
मस्ती में चूर एक रवानी हूँ मैं..
अपने पापा की जिन्दगानी हूँ मैं!!
उनके जीवन भर की पूँजी हूँ मैं..
आज उनका सहारा बनने चली हूँ मैं!!
©diksha_chaudhary -
endlessword_mrsoni 156w
भड़का रहे हैं आग...
भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम;
ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम;
कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ;
मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम;
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है;
क्यों देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके;
कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।
©Endlessword_mr.soni
@endlessword_mr.soni
#qpdidiqpdidi #nojotowriters @YourQuoteApp #yourquote #quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry #instawriters #writersofinstagram #writersofig #writersofindia #igwriters #igwritersclub
Follow more such stories by #EndlessWords__Mr.Soniभड़का रहे हैं आग...
भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम;
ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम;
कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ;
मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम;
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है;
क्यों देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके;
कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।
©endlessword_mrsoni -
shayraanshy_ 156w
❤ मुझे प्यार करना है ❤
मुझे उसकी आँखों में डूबना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसके बालों को सहलाना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसके लबों को चूमना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसकी बाँहों में आराम करना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसका दिल बनके धडकना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसकी रूह में समाना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसका सर अपनी गोद में रख के सुलाना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे उसे बेवजह परेशान करना है
हाँ ! मुझे उससे प्यार करना है ,,
मुझे सिर्फ उसी से मोहब्बत करना है
हाँ ! मुझे सिर्फ उसी से प्यार करना है !!
©shayraanshy_
❤❤❤मुझे प्यार करना है ❤
©shayraanshy_ -
hima_writes 156w
हर कोई पहली मोहब्बत बन जमाने में मशहूर होना चाहता है,
तुम हमें अपनी आख़िरी मोहब्बत बना खुद में मशग़ूल कर देना !
©hima_writes -
jazz_baaatt 156w
जिस्मों के धागे थे बंधे जब तक
इश्क भी था मेहरबां तब तक
आकर मिलूंगा फुर्सत से तुमसे
दिल को दिलासा है वक्त का कबसे
ख्वाबों की आदतें कुछ यूं बिगड़ी हैं
चले जा रहे उल्टे हर घड़ी हैं
ख्वाबों की आदतें कुछ यूं बिगड़ी हैं
चले जा रहे उल्टे हर घड़ी हैं
इश्क को किनारा दिखाना है
बस अब सुकूँ निभाना है
यादों के गुब्बारे फुलाके
यादें सारी उड़ाना है
जिंदगी से रखले याराना रे
जिंदगी से रखले याराना
जिंदगी से याराना…याराना...
बिछड़ना रूह से लाज़मी ना लगे
तड़पना बस अब काग़ज़ी सा लगे
बिछड़ना रूह से लाज़मी ना लगे
तड़पना बस अब काग़ज़ी सा लगे
इश्क को किनारा दिखाना है
बस अब सुकूँ निभाना है
यादों के गुब्बारे फुलाके
यादें सारी उड़ाना है
जिंदगी से रखले याराना रे
जिंदगी से रखले याराना
जिंदगी से याराना…याराना…
©jazbaaatt_rlpanwar -
_aahana_ 156w
#mirakee #dishu @diksha_chaudhary #pdspc
Jhel liyo chotu thoda over ho gaya hai
देखकर आंखों में प्यार ये जहां पा लिया
कैसे बताएँ खुदाया क्या क्या ना पा लिया
है इल्तजा़ वक्त से ये थम जाये बस यहीं
बाँहो में आपकी सुकूं जन्नत सा पा लिया
ये लहराते गेसू हटाये जो गालों से आपने
सरगोशियों मे इनकी हसीं समाँ पा लिया
क्यूं न लड़खडा़ना चाहेंगे हम सौ दफा
सँभालने को मेहरबाँ जो आपसा पा लिया
ये तब्बसुम ये नूर ये रौनकें सब चेहरे की
पाकर आपको कैसा रूप अपना पा लिया
है इजाजत नही इन पलकों को झपकने की
खुली आँखो में ख्वाब मुकम्मल सा पा लिया
©riyabansalदेखकर आंखों में प्यार ये जहां पा लिया
कैसे बताएँ खुदाया क्या क्या ना पा लिया
है इल्तजा़ वक्त से ये थम जाये बस यहीं
बाँहो में आपकी सुकूं जन्नत सा पा लिया
ये लहराते गेसू हटाये जो गालों से आपने
सरगोशियों मे इनकी हसीं समाँ पा लिया
क्यूं न लड़खडा़ना चाहेंगे हम सौ दफा
सँभालने को मेहरबाँ जो आपसा पा लिया
ये तब्बसुम ये नूर ये रौनकें चेहरे की
पाकर आपको कैसा रूप अपना पा लिया
है इजाजत नही इन पलकों को झपकने की
खुली आँखो में ख्वाब मुकम्मल सा पा लिया -
sanjeevshukla_ 156w
चटक जाए वो जो एक खोल शीशा चूर हो जाये..... मुख़्तसर वक्त में गुमनाम एक मशहूर हो जाये.....
न जाने गहरी खानों में दबा रहता है क्यू ज़ाहिल , तराशे बस जरा कोई तो कोहिनूर हो जाये......
नहीं मिलता किसी से खल्वतों से गहरा रिश्ता है , जो शिरकत करे तो हर महफिलों का नूर हो जाये.....
जलजला कौन सा है जाने उस काफिर के सीने में , खुदारा खैर उभरा बस्ती घर सब चूर हो जाये......
जुबां पे बर्फ आँखों में दहकते शोले रखता है , नज़र डाले समंदर भाप बन मज़बूर हो जाये.....
फूटते सोते पत्थर से जो सुनले दास्ताँ उसकी , मिले जो एक बार फना तमाम गुरूर हो जाये......
मनाया लाख मिटटी का नही लोहे का है शायद , सितारों की हो आतिश गर दुआ मंज़ूर हो जाये.....
©sanjeevshukla_ -
दोस्ती
जिंदगी की किताब में दर्द लिखने ही वाली थी,,
दोस्तों ने दस्तक दी और अल्फ़ाज़ बदल गए...
©सीमा कप्रवान -
diptianupam 158w
पैदाइश है इंसानों की कुछ ख्वाहिश है इंसानों सी
धरती का आँचल धानी हो ये अम्बर आसमानी हो
इंसानों का भी पेट भरे चिड़ियों को दाना पानी हो
ये कोशिश हमको करनी है आख़िर मसला नस्लों का है
आने वाली पीढ़ी का है उगने वाली फसलों का है
छोटी छोटी लौ मिलकर ही तो बड़ी मशालें बनती हैं
थोड़ी थोड़ी कोशिश कर के ही बड़ी मिसालें बनती हैं
आओ सब मिलकर चलते हैं
सूरत हर ओर बदलते हैं .....
©diptianupam -
rudrii 157w
।।।।।
तुम्हारी बात बड़ी कर दी है
मैंने खुद ही को मात दी है
आईने में दो-एक रंग भर कर
खुद को नई शक्ल दी है
ले गए थे विदा सबसे
फिर किसने अब ये सदा दी है
वफ़ा का तुमने भरम तोड़
आँखों को तसल्ली दी है
बे-मन से फिर मुस्कुराना होगा
कैसी तुमने रुसवाई दी है
मैं तो मौत के इंतिजार में था
ये किसने ज़िंदगी को हवा दी है ?
ज़ब्त किये हुए थे नब्ज़-ए-दिल
आज ज़ब्त को भी रिहाई दी है
हाल-ए-दिल पे आज खुलकर रोये
यार ने अजीब ही विदाई दी है
Röh!7
