कैसी कैसी बुरी आदतों में हैं हम
जानी ,
बदनाम नामों और सियासतों में हैं हम
जानी..
©deepvishu
deepvishu
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deepvishu 65w
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deepvishu 66w
उदास आँखें ग़ज़ाल आँखें
जवाब आँखें सवाल आँखें
हज़ार रातों का बोझ उठिए
वो भीगी पलकें वो लाल आँखें
वो हिज्र के मौसमों से उलझी
थकी थकी सी निढाल आँखें
न जाने क्यूँ खोई खोई सी हैं
बुझी बुझी पुर-ख़याल आँखें
अगर निगाहों से मिल गईं तो
करेंगी जीना मुहाल आँखें
छुपे हुए हैं हज़ार जज़्बे
बला की हैं ये कमाल आँखें -
deepvishu 67w
जिंदगी में जियादा कुछ नी ,बस इतनी तरक्की की मैंने ,
जिस लड़की से मोहब्बत थी , उस से दोस्ती की मैंने ,
वक्त जब भी आया दीदार का , मुलाकात कम की मैंने ,
जब भी पूछा हाल मिरा, जानबूझकर बात कम की मैंने ,
©deepvishu -
deepvishu 67w
मोहब्बत में न जाने क्या क्या सितम बन गया ,
निशाना पीठ थी , फिर भी उसका सीना तन गया ,
पढ़ता रहा वो अय्यारों को चुप रहकर ,हुआ यूं कि फिर
अल्हड़ सा गुर्जरो का छोरा फिर शायर बन गया ।
©deepvishu -
deepvishu 70w
घर का बेटा बड़ा हूं मैं ,
जिम्मेदारिया हैं सर पे मेरी सबकी ,
बात ये और मुझको रुकने नी देती ,
कुछ बनने की होड़ में लगा लूं ,
मजबूरियां हैं कुछ सबके जैसी मेरी भी ,
बनने की कुछ सोच मेरी ,
अब मुझे रुकने नी देती ,
धीरे धीरे उम्र के उस पड़ाव पे हूं ,
जहां सबकुछ मेरी हिस्से में आ जाना था ,
झुरियां आने लगीं है बाप के चेहरे पर ,
बात ये मुझको ठहरने नी देती ,
कुछ तो जरूर छिपाती हैं मां मुझसे ,
चेहरे पर साफ दिखता है मुझको ,
रिश्तेदारियों में कैसे कैसे ताने कसे जाते होंगे ,
बात ये मुझको बिखरने नहीं देती ,
©deepvishu -
deepvishu 70w
वक्त रहते , जरा सा सम्हाला था खुद को ,
मैं अभी बदला थोड़ी न था,
लड़ना , झगड़ना और बिछड़ना, किया गया हादसा था ,
कोई आत्मघाती हमला थोड़ी न था ,
©deepvishu -
deepvishu 72w
जहां जहां जिक्र होता है उसका ,
सुन के नाम ,कहा सुकून रहता है फिर,
मुलाकात जिस जिस से वो करती है ,
दोस्त हो जो , कहा दोस्त रहता है फिर ,
अफ़वाह फ़ैला दी किसी ने कि शराब बहुत पीते हैं ,
जुदाई ए गम में उसके , नशेड़ी हैं ,
कौन समझाए अब मुहल्ले वालों को ,शराब छोड़े ,
याद करके पानी भी पीले, तो होश कहा रहता है फिर ।
©deepvishu -
deepvishu 72w
मेरी प्यारी मां भी ,
क्या कमाल सा कर रखती है ,
खुद भूखी रहती है ,
मेरा खाना निकाल कर रखती है ,
एक मैं हूं
कि वक्त , बात , मुलाकात ,
पैसे सब खर्च कर देता हूं ,
इक वो है
कि खुद के लिए छोड़ ,
मेरे लिए सब सम्हाल कर रखती है
©deepvishu -
deepvishu 72w
जब तेरी जान हो गई होगी ,
जान हैरान हो गई होगी ,
शब था मेरी निगाह का बोझ उसपर ,
वो तो हलकान (परेशान) हो गई होगी , -
deepvishu 72w
मैं जिद पे जो आ जाऊंगा , शाह को दास बनाऊंगा ,
दरिया क्या? , मैं तो समुंदर से अपनी प्यास बुझाऊंगा
सफ़र में मुझे अभी कई जलजलों से गुजरना होगा ,
जहा से भी गुजरूंगा , वही एक नया इतिहास बनाऊंगा ,
©deepvishu
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उत्तर प्रदेश
यूपी की बात निराली है, यह भूमि इतिहास की वाणी है।
रघुकुल की है रीत यहाँ
कृष्ण की है प्रीत यहाँ
आजादी का आगाज यहाँ
हिंदी है आवाज़ यहाँ
ताजमहल का स्थान यहाँ
बनारस का पान यहाँ
कुंभ का निवास यहाँ
लट्ठमार है खास यहाँ
अवध के थे नवाब यहाँ
लखनऊ के कवाब यहाँ
यूपी की बात निराली है, यह भूमि उपजने वाली है
यह भूमि मुझको प्यारी है, यह भूमि मुझको प्यारी है।
©himanshibajpai -
शायरा की ख़ल्वत और अल्फ़ाज़ों की कशिश,
इक टीस,कुछ दर्द और नर्म एहसासों की तपिश,
मानिंद बारीक कढ़ाई के नक्काशी होती रहती,
कभी हिज्र ओ वस्ल की,कभी उकेरती ख़लिश।
Jignaa
©jignaa___ -
garima_mishra 81w
हमनें भी इश्क किया ,बेशक़ हमारा इश्क भी सच्चा है,
फर्क इतना है की वो कोई सख़्श नहीं ,बस चाय का चस्का है||
©garima_mishra -
।।।।
लोगो के पीछे तन्हाई छुपते है
खुशी के पीछे ऑंसू छुपते है
शायर कितना भी छुपाले दर्द अपना
दर्द-ए-दिल की शायरियाँ
अक्सर टूटे हुए दिल में छुपते है
©saanjhsharma -
swatisharma27 79w
।।।।
कभी सूरज के साथ रहना
कभी चंद से बगावत करना
अच्छा लगता है
एक हाथ मे चाय का कप पकड़ना
एक हाथ से कुर्सी को बालकनी में लाकर बैठना
अच्छा लगता है
रोते हुए किसी को याद करना
और अचानक से उसका सामने आ जाना
अच्छा लगता है
आसमान को छूने की इक्छा रखना
और एक सपने का साकार हो जाना
अच्छा लगता है
और जो अच्छा नही लगता
तो नही लगता हैं
©swatisharma27 -
_aradhana 81w
"आखिरी खत" कविता में मैंने एक सिपाही के मन की बात को व्यक्त करने की कोशिश की है; वह अपने आखिरी पल में अपने हर रिश्ते से कुछ न कुछ कहना चाहता है॥
कुछ यूं है उसका ये "आखिरी खत":-
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जब टूटने को हो मेरी सांस,
और ना हो मेरे बचने की कोई आस;
तो यारों,तिरंगे में लिपटे हुए उसके बेटे को,
तुम ले जाना उसकी माँ के पास॥
दरवाजे पर जाते ही कहना;
"देख माँ, तेरा बेटा आया है,"
बताना उसे मेरी वीरता की कहानी,
कि कैसे मैंने दुश्मनों को मार गिराया है;
बहुत रोएगी वो,उसे तुम संभाल लेना,
वो माँ है ना;उसका दुख तुम जरा बांट लेना॥
बाबू जी से कहना;
"मैंने अपना वादा निभाया है,
रख अपने भारत माता की लाज;
मैंने दुश्मनों को पीठ ना दिखाया है,
मर कर भी मैंने अपने तिरंगे को शान से लहराया है॥"
देखना थोड़ी दूर,मेरी मोहब्बत भी वहीं,
खामोश सी खड़ी होगी,
छुपा कर अपने दर्द,
वो बिल्कुल मौन पड़ी होगी॥
कहना उससे, कि "माफ़ कर दे मुझे,
वो कसमें,वो वादे ना निभा पाया मैं,
फर्ज के आगे आज उसका सिंदूर,
न्योछावर कर आया मैं ॥
मोहब्बत तो मुझे उससे बेपनाह थी,और रहेगी,
उसे तो बखूबी पता है मेरे एहसास;
वो बिन कहे अक्सर समझती है मेरे जज्बात,
तो आज खामोशियों में पढ़ ले मेरे अल्फ़ाज़॥"
मेरे हर रिश्ते से कहना,
कि "मैं मर कर भी जी गया,
कर अपनी जान को न्योछावर;
मैं आज शहीद हो गया॥"
और फिर घुमाना मुझे पूरे गाँव में,
और कहना,
"यारों मेरे मौत का मातम ना करना;
शान से जब भी लहराना उस तिरंगे को;
तो एक बार याद मुझे भी कर लेना;
तो एक बार याद मुझे भी कर लेना॥"
By-Aradhana Agrahari
Happy republic Day to Everyone ❤
#poetry#republicday#sacrifice#india#loveforcountry#watan#26january @writersnetworkआखिरी खत
फर्ज के आगे आज ममता मौन थामें खड़ी थी,
आखिर क्यों ना छलके किसी के आंसू,
आज फिर एक शहीद के विदाई की जो घड़ी थी॥
(Read full poem in caption)
©_aradhana -
garima_mishra 81w
हर बार मात दिया मैंने परेशानियों को जब भी मुझे आजमाती है ,
क्योंकि,
लड़ना मैंने पिता से सिखा और जीतना मेरी माँ सीखाती है||
©garima_mishra -
जिंदा दिलों को रूलाया जाता है
ऐसे ही दूनिया चलती है
ऐसे ही काम चलाया जाता है -
iamfirebird 86w
प्यार ना सही तुमने तो बात भी अधूरी छोड़ दी
हमने भी इंतजार में मायूसी की चादर ओढ़ ली
©iamfirebird -
छीन लेती हैं ख़ुशियाँ वो मेरी अक्सर
मेरी क़िस्मत ख़ुदा ने खुद नहीं लिखी
#arungagat
