वो ऐसी है जो किसी से डरती नहीं है,
किसी के भी कहने पर ठहरती नही हैं...
वो आज़ाद पंछी है , इस शहर की एक ,
किसी के पहलू भी में ठहरती नहीं है..।
कुछ भी कहने से पहले उसको ,
तुम्हे सर को झुकाना पड़ेगा ,
हृदय को उसके रिझाना पड़ेगा ,
फ़लक पे जो चांद सजा है,
जमीं पर उसको लाना पड़ेगा...।।
वो कहती नहीं है कुछ अपनी ज़ुबाँ से
दिख जायेगा, नज़रों में उसके है सब
कहना क्या हैं ? करना है क्या?
बिन कहे खुद ही समझ जाना सब।।
अगर की हो तुमने भूल से ग़लती कोई
मांग लेना माफ़ी, अपनी गरदन झुका के,
अगर जो मिलाते रहे तुम उससे नजरें ,
कर के कौड़ी तेरा ग़ुरूर , फ़ेंक देगी उठाके।
©deepvishu
deepvishu
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deepvishu 5w
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deepvishu 19w
नदी के जैसे किनारे बदलने लगे हैं अब
खास दोस्त याराने बदलने लगे हैं अब ।
डिक्शनरी से निकालें थे लफ़्ज यारो के नाम ,
कमबख्त वो भी मायने बदलने लगें है अब ,
देख खुद का अक्स आइने में अय्यार डरकर
सब के सब , आईंने बदलने लगे हैं अब ।
देती थे जो दुहाई ईश्क में वफाओं की हर वक्त
उन महबूबों के भी, दीवाने बदलने लगे हैं अब।
बुजुर्गों ने बनाई जो मिल्कियत खून से अपने ,
नए वारिस उनके , घराने बदलने लगे हैं अब ।
जिन ख्वाबों को दिया , मेहनत का रंग हमने ,
टूट कर सब रंग पुराने बदलने लगे हैं अब।
कभी मैखाने ,कभी मंदिर तक जाने लगे हैं
गम सारे मेरे ठिकाने बदलने लगे हैं अब ।
©deepvishu -
deepvishu 43w
इश्क करने को ,
परदे से जैसे पूरा बदन निकला हो ,
कफन से जैसे ,
किसी के मरने का फन निकला हो ,
@deepvishu -
deepvishu 53w
लिबास
लिबास कुछ भी पहना हो , सादगी लगनी चाहिए
मुलाकात जब भी हो उससे , ख्वाब सी लगनी चाहिए ,
रिश्ता तो यूं उस मोहतरमा से कुछ ख़ास सा नहीं है अभी ,
साथ जब भी हो हम , जमाने को ,आग सी लगनी चाहिए
©deepvishu -
deepvishu 53w
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मामूली हूं मैं क्या , रकीब अजूबा लगता है क्या , .
इस शक्श की बरबादी में ,कोई दूजा लगता है क्या ?
नाकाम हुआ जो इश्क में तेरे , शहर रो पड़ा सारा ,
दोस्त पूछते हैं , इश्क करने में भी कलेजा लगता है क्या ?
©deepvishu -
deepvishu 53w
चराग़ों का घराना चल रहा है
हवा से दोस्ताना चल रहा है
जवानी की हवाएँ चल रही हैं
बुज़ुर्गों का ख़ज़ाना चल रहा है
मिरी गुम-गश्तगी पर हँसने वालो
मिरे पीछे ज़माना चल रहा है
अभी हम ज़िंदगी से मिल न पाए
तआ'रुफ़ ग़ाएबाना चल रहा है
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
वही दुनिया वही साँसें वही हम
वही सब कुछ पुराना चल रहा है
ज़ियादा क्या तवक़्क़ो हो ग़ज़ल से
मियाँ बस आब-ओ-दाना चल रहा है
समुंदर से किसी दिन फिर मिलेंगे -
deepvishu 55w
आज उनसे फिर बात नहीं हुई ,
तूफ़ान आया आज और फिर बरसात हुई ...
©deepvishu -
deepvishu 57w
किए हुए वादों से , मुझे मुकरना नहीं था
तेरे सिवा दुनिया में मेरा कोई अपना नहीं था ,
मालुम है ,जाने से तू नाराज होगी बहुत मुझसे ,
पर मां ,मजबूरी थी कुछ ,मुझे मरना नहीं था,
©deepvishu -
deepvishu 57w
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deepvishu 57w
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sandy_s 54w
मंज़िल का पता नही
मगर सफर पे चल पड़े है
रुख ज़िन्दगी ने कुछ इस तरह मोड़ा है
के तू साथ होके भी साथ नही है।
©sandy_s -
sandy_s 53w
इंतेहा ना पूछ मुझसे मेरे इंतज़ार की
तेरी सोच से भी ज्यादा
तेरा इंतज़ार करते है
माना नादान है ज़रा इश्क़ में
यक़ी मानो
हम दिल से तुझे प्यार करते है।
©sandy_s -
You scratched a scar in a poet's heart,
Darling,
don't you know the poet will decorate this as a metaphor?
©inked_selenophile -
When nobody heard her silence,
she dipped her soul in the ink,
Only to transform as a piece of art
©inked_selenophile -
abhi_mishra_ 62w
लहज़ा - Accent, tone
इत्मीनान - धैर्य
गवारा - Acceptable
ज़बान - ज़ुबान
संकरी - Narrow, पतली
#hindi #hindiwriters #abhimishra️
लहज़े में आदमी को, इत्मीनान रखना चाहिए,
गवारा है गर चुप हो, पर ज़बान रखना चाहिए।
बेशक हमसफ़र हो, इस सफ़र का मगर,
गली संकरी है, कम सामान रखना चाहिए।
©abhi_mishra_ -
komal1982 59w
पुराने दिन
ओका बोक्का तीन तलोक्का,
फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का।
फगुआ कजरी कहाँ हेरायल,
अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।।
नया जमाना; नयके लोग,
नया नया कुल फईलल रोग।
एक्के बात समझ में आवै,
जइसन करनी वइसन भोग।।
नई नई कुल फइलल पूजा,
नया नया कुल देबी देवता।
एक्कै घर में पांच ठो चूल्हा,
एक्कै घरे में पांच ठो नेवता।।
नउआ कउआ बार बनउवा,
कवनो घरे न फरसा झऊआ।
लगे पितरपख होय खोजाई,
खोजले मिलें न कुक्कुर कउआ।।
एहर पक्का ओहर पक्का,
जेहर देखा ओहर पक्का।
गांव क माटी महक हेराइल,
अंकल कहा कहा मत कक्का।।
कहाँ गयल कुल बंजर ऊसर,
लगत बा जइसे गांव ई दूसर।
जब से ई धनकुट्टि आइल,
कउनो घरे न ओखरी मूसर।।
कहाँ बैल क घुंघरू घण्टी,
कहाँ बा पुरवट अऊर इनारा।
कहां गइल पनघट क गोरी,
सूना सूना पनघट सारा।।
शहर गांव के घीव खियावै,
दाल शहर से गांव में आवै।
शहरन में महके बिरियानी,
कलुआ खाली धान ओसावै।।
गांव गली में अब त खाली,
राजनीती पर होले चर्चा।
अब ऊ होरहा कहाँ भुजाला,
कहाँ पिसाला नीमक मरचा।।
कबो कबो सोंचीला भाई,
अब ऊ दिन ना लौट के आई।
अब ना वइसे कोयल बोलिहैं,
वइसे ना महकी अमराई।।
©komal1982 -
garima_mishra 70w
ना ही देश द्रोही ,ना ही गद्दार हूँ,
कुछ ज़िम्मेदारीया हैं कन्धे पर ,निभाने में लाचार हूँ,
यूँ उछालना नहीं हमें भी देश की गरिमा को,
क्या करें साहब बेबस हूँ,बेरोजगार हूँ||
©garima_mishra -
REAL
Allow yourself to feel and accept the reality.
©lassie thevar -
बनारस, इश्क़ और तुम
पर्यायवाची से लगते हो!
©tooli_singh -
मै कौन?
मै न कोमल कली कन्या हूँ।
मै न बेगानी बेचारी बिटिया हूँ।
मै एक सुदृढ़ सशक्त सुपुत्री हूँ।
मै अपने फैसले लेने मे अच्छी हूँ।
मै ईश्वर के प्रति सच्ची हूँ।
मै अब न नासमझ बच्ची हूँ।
©himanshibajpai
