ये हाल - ए -अक़ीदत, ये शाम -ए -परवाना.
होती नहीं हर एक के मुयस्सर में.
जिसे होती है ज़हे मुयस्सर ज़िन्दगी में.
बीतती है हर एक रात अक़ीदत -ए -तकलीफ में.
©akshikatiwari
akshikatiwari
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akshikatiwari 87w
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akshikatiwari 89w
.बीती यादें..
नहीं है तेरे लौट आने की आरजू -ए -तमन्ना.
बस यही है मंजर-ए -दिल को समझना.
नहीं चाहती अब तेरे यादों में बसना.
बस यही दुआ है दूर रहुँ तेरी यादों से जीतना.
नहीं देखना चाहती अब वो बड़े ख्वाबों का सपना.
क्यूंकि हर ख्वाब का है टूट के बिखरना.
नहीं थी कोई चाहत तुझसे बस ये समझना.
बस चाहिए थे दो कदम तेरे साथ चलना.
अब क्या लिखुँ तेरी यादों का वो हर लम्हा.
शब्द कम पड़ जाए तेरी यादें हैं इतना गहरा.
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akshikatiwari 100w
ये रिश्ते.
यूँ गहराइयों में तो ना गिरी थी.
जब गिरी तो सारे रिश्ते समझ आ गया.
यूँ दोस्ती में ये दिल इस कदर तो ना डूबा था.
डूब जाने पर सारे यार का मतलब समझ आ गया.
यूँ वर्षो से भ्रम में पली थी रिश्ते होते हैं दिल से.
पर यहाँ तो पैसों का व्यापार समझ आ गया.
यूँ हर रिश्ते बनने लगे अब औकात देखकर.
तू गरीब है तो गैर है अमीर हुआ तो हर लबो पर तेरा नाम आ गया.
यूँ मन में एक उमंग भरा चाहत जगा.
चला ये दिल इन फ़रेबियो के मेलों में ढ़ूढ़ने कोई अपना
फिर इन चाहतों ने चाहतों को गलत ठहरा दिया.
यूँ गहराइयों में तो ना गिरी थी.
जब गिरी तो सारे रिश्ते समझ आ गया.
©akshikatiwari -
akshikatiwari 100w
था कुछ इस तरह से मुझपर उसका साया.
जैसे तपती धूप में पेड़ों की छाया.
खुद को भुला कुछ इस तरह उसे चाहा.
बस यही बात अपनों को न भाया. -
akshikatiwari 104w
,ज़िन्दगी तू ही बता.
क्या खता हो गई
जो तू रुस्वा हो चली.
सिर्फ अपनो को ही पाने की तो चाह थी मेरी
फिर क्यों तू मुझे छोड़ चली.
मर्जी की मालिक होकर भी तेरे सामने मजबूर हो गई.
ऐ ज़िन्दगी !! तू ही बता क्या खता हो गई.
©akshikatiwari -
akshikatiwari 104w
जानती हुँ नहीं पहुँचेगी मुराद अर्श तक मेरी
फिर भी हर दुआ में फरियाद करती हुँ तेरी.
जानती हुँ तू नहीं तेरी यादें हैं बस पास मेरी.
फिर भी खुद में तलाश करती हुँ परछाई तेरी.
©akshikatiwari -
akshikatiwari 104w
मतलबी लोग
कोशिश की थी मैं भी हो जाऊ उन मतलबियों जैसा
फिर ख्याल आया हममे और उनमे फर्क रह जाएगा एक जैसा.
©akshikatiwari
