मुद्दतों बाद मिले हो आज हमसे
तुम ही बताओ तुम्हें जी भर कर देखें
या तुमसे बात करें....
आज एक करार कर ही लें लगता है
प्यार को अब खत्म कर दें
या तुम्हें फिर से प्यार करें....
लौटा दें क्या वो सारे खत तुम्हारे
या डायरी वाला सूखा गुलाब दे कर
फिर से इश्क़- ऐ- इजहार करें....
तुम्हें अंदाज़ा तक तो है नहीं खता का तुम्हारा
क्या तुम्हारे बिना माफी मांगे ही
तुम्हें माफ करें....
हल्की सी मेहंदी तो दिख ही गयी तुम्हारे हाथों की
तुमसे मिलने की खुशी मनायें
या अब मेहंदी नजरअंदाज करें....
तुम्हें एक अजनबी घूर रहा है कबसे
अब तुम्हें दुपट्टा ओढ़ना सिखायें
या उससे बवाल करें....
कह तो दिया तुमने की ख्याल रखा करो अपना
तो बताओ तुमसे मुस्कुराना सीखें
या तुम्हारी बेवफाई पर बात करें....
तुमने बताया कि कुछ कर नहीं पायी मजबूर थी तुम
तुम्हारी ये बात मान जायें
या शादी वाली तुम्हारी हँसती हुई तस्वीर दिखा कर सवाल करें....
जो प्यार हमने करना सिखाया था वो किसी और से कर रही हो
अब खामोश हो कर सब देखें
या तुमसे कुछ हिसाब करें....
कुछ जल्दी थी आज तुम्हें घर जाने की
हक़ जता कर कुछ देर और रोक लें
या अब तुम्हें अलविदा करें....
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akhandpsb 100w
मेरी बहुत पुरानी कविता.....
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akhandpsb 131w
सबसे बड़ी तकलीफ यही है कि जब खुद को पता लग जाए कि आप खुद गुम चुके हो ।
@hindiwriterslink @hindiii @urdupoyetry @poetrycommunity @rekhta @writersnetwork @lekhankala @writersnetwork @hindiwritersखुद को तलाश रहा हूँ मैं
पर ये भी तो नहीं पता कि कहाँ खो गया हूँ मैं
पर सच तो ये भी है ना
कि खुद को कबसे मिल नहीं रहा हूँ मैं
खुद के गुम हो जाने का इश्तेहार किसे दूँ
कोई कैसे जान पायेगा की जानबूझकर कहीं गुम हो गया हूँ मैं
न अब बचपन की तस्वीर में दिखने वाला पहले जैसा हूँ
पूरी तरह से बेईमान नहीं हूँ पर हाँ अब मासूम भी तो नहीं हूँ मैं
सपनों के टूटने का गम है, पर सपनों के खातिर जरा भी तो नहीं चला मैं
पैसे बहुत हैं अब , पर गुस्से में मिट्टी का गुल्लक तो तोड़ चुका हूँ मैं
आईने से पूछ तो लेता हूँ कि कैसा दिख रहा हूँ मैं
पर डरता भी हूँ कि आईना न पूछ ले कि ऐसा कैसे हो गया हूँ मैं
वादे तोड़ने लगा हूँ , जुबान से फिरने लगा हूँ
खुद को खुद जैसा रखूँगा ताउम्र अब इस वादे से मुकरने लगा हूँ मैं
हर रिश्ते के खातिर मर मिटता था अब हर रिश्ते से डरने लगा हूँ मैं
मुझे चाँदनी रात पसंद थी अब चाँद तक से नफरत करने लगा हूँ मैं
डर है कि खुद को मिल न जाऊँ कभी मैं
सच तो ये है ना कि किसी कि तलाश में नहीं रहा मैं
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akhandpsb 135w
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इश्क़ भी सब के जैसे निकला ढंग से फैसला भी नहीं कर पाया न ढंग का फैसला दे पायाबुरा ये नहीं है कि रिश्ते का हश्र बुरा हुआ
फर्क इससे पड़ता है कि दोनों में से अफसोस किसे ज्यादा हुआ....
गौर इस पर क्या करें कि कौन ज्यादा रोया
देखना ये है कि आँसू किसके सूखे ये किसके हिस्से हुआ.....
कोई एक तमाम तो होगा ही हश्र-ऐ-इश्क़ में
बुरा तो तब हुआ जब किसी एक का तमाशा हुआ ....……
दिल को एक ने समझा लिया था कि जो हुआ वो रब की मर्ज़ी थी
कलेजा फट गया जब एक ने दुजे को कहते सुना कि जो हुआ अच्छा हुआ......
ये जो दोनों कह रहे थे अब कि खत्म दरमियाँ इश्क़ हुआ
तो क्या कहें ,दोनों में से एक के घर मे मिला था खत सहेजा हुआ ......…
कोई एक मरा बस नहीं और दूजा तो पहले ही जैसा है
ये कैसा हिसाब था इश्क़ का एक को नुकसान हुआ तो दुजे को क्यूँ नफा हुआ...
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akhandpsb 137w
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सिर्फ तुम्हारी वजह से मेरी मुझसे बात नहीं होती
और मेरी खुद से हुई दूरी की वजह भी तुम होमेरी पकड़ कमजोर हो रही है
तुम मुझसे छूट जाओ न......
अब तुम्हें मनाने से क्या फायदा
ऐसा करो अब तुम मुझसे रूठ जाओ न.....
पहले तुम चाँद थी मेरे लिए
अब तारा हो ऐसा करो अब टूट जाओ न....
यूँ मेरे खत जला कर क्या दिखा रही हो
जो पायल दी थी मैंने उसे लौटाओ न ....
सुना है कोई और मिल गया है तुम्हें
मुझे हँसना है खुद पर ,उससे कभी मुझे भी मिलवाओ न....
तुमने बताया था तुम्हें उड़ते परिंदे पसंद हैं
कभी अपने घर के पिंजरे का तोता उड़ाओ न .....
ये जो मुझे हर बात पर घर बसाने का सपना दिखाती हो
जरा कागज पर घर लिख कर दिखाओ न....
तुम्हारी वजह से एक शक़्स से बात नहीं होती मेरी
हो सके तो मेरी मुझसे बात करवाओ न....
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सच ये है कि मेरे साथ कुछ बुरा होगा ये जानता था
पर इतना कुछ होगा इस बात का सच में अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल थाआखिर में बस उसने एक ही सच कहा था
कि , अब तक उसने जो भी कहा था वो सच नहीं था ............…....
किराये के घर को ज्यादा सजा कर गलती कर दी
किराये का मकाँ था आखिर , वो मेरा घर नहीं था ................…..
उसके खिलाफ जो थे सारे सबूत खुद मैंने ही मिटा दिये थे
फिर मान लिया उसे बेकसूर मैंने ,आखिर पास मेरे कोई सबूत भी तो नहीं था.............…..
मेरे साथ कुछ तो होगा ये सोच रखा था मैंने
मेरे साथ इतना कुछ हो जाएगा ये मैंने सोचा नहीं था ..........…...
तेरे जाने के बाद लगा था मर जाऊँगा
जिंदा हूँ मैं ,अब ये सोच रहा हूँ मैं मरा क्यूं नहीं था..................
तय हुआ था कि जब भी मिलूँगा उसे देख कर मुस्कुरा दूँगा
ताज्जुब ये हुआ कि मुस्कुराना तो दूर उसे देख मैं रुक तक नहीं था...……......
ये कैसा ताजा अखबार था सुबह का
कल दिल टूटा मेरा मैं बर्बाद हुआ ,इतनी बड़ी बात का इसमे जिक्र तक नहीं था.............
पहले मेरा था फिर मेरे ही रहते हुए किसी और का हो गया वो
अरे मैं बेकार में परेशां था जो मेरा न हो सका वो तो किसी का नहीं था -
तमाम कोशिशें बेकार हो रही हैं
हर रोज जीने के चक्कर में खुदखुशी हो रही है...
मेरे मुताबिक तो अब मैं खुद भी नहीं हूँ
अब तो लगता है खुद से खुद के खिलाफ साजिश हो रही है...
जिसने लंबी उम्र की दुआ दी उसे बता भी नहीं पाया
कि अरे ! मुझसे यही उम्र काटे नहीं कट रही सब जाया हो रही है...
वो जो कहती थी कि जीना मुश्किल होगा मेरे बगैर उसका
आज खुश देखा उसे , लगता है पूछ लूँ बताना जरा मेरे बिना जी क्यूँ रही है...
देखो थोड़ा-थोड़ा कर के जिंदा बस हैं आज हम
हाँ ,हम वही हैं जिसकी किताब "जीने-के -नुस्खे" बहुत मशहूर रही है...
किसी ने पूछा - अकेले जीने में दिक्कत नही जाती?हमने कहा अकेले कहाँ हैं,
माथे को किराये पे दिया है ,शिकन अच्छी किरायदार रही है....,....
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akhandpsb 145w
क्या खोया क्या पाया इसका हिसाब नहीं लगा पाये न
अंदर ही अंदर टूट चुके हो ये बात किसी को बता नहीं पाये न....
पहले तो सारे अश्क़ बहा दिए तुमने और अब बड़ी बात पर रोते तक नहीं हो
सब पत्थर समझ रहे हैं ,पर तुम गहरे हो गए हो ये किसी को दिखा नहीं पाये न
बचपन में बूढ़े हो गए और जवां जैसे जवां रहे ही नहीं कभी
मजबूरियों ने दबा दिया था तुम्हें, वजन बहुत था ग़मों का ये जता नहीं पाये न..
जैसा जिसने चाहा तुम वैसे हो लिए , जहाँ जिसने चाहा तुम वहाँ हो लिये
खुद के मुताबिक ही तो रहना था तुम्हें , तुम जरा सा भी रह नहीं पाये न........
जिस शख्स को तुम खुद का समझते थे,वो किस-किस का निकला
उस शख्स की वजह से ,और किसी के भी हो नहीं पाये न..…..
औरों के हर ख्वाब पूरे किए तुमने , और खुद के ख्वाब कुचल दिये
और अब ख्वाबों से ऐसा डरे , कि फिर कभी सो नहीं पाये न.......
सुना है अब भी तलाश जारी है तुम्हारी किसी के लिए
खैर क्या होगा इससे ? तुम कभी किसी की तलाश तो हो नही पाये न......
सब रौंद कर तुम्हें, समझ रहे थे कि तुम कुछ समझे नहीं
तुम सब समझ चुके थे, ये किसी को समझा नहीं पाये न.......
तुम अब खुद के नहीं रहे नौबत ये है
ऐसी नौबत आ जायेगी ये अंदाज़ा नहीं लगा पाये न
©akhandpsb -
akhandpsb 145w
उनके सिर को रात भर थपथपाया था
और फिर मुझे ये हाथ का दर्द मुबारक .......
यूँ जो तुमने सफर में ऐसे छोड़ दिया हमे
तो हाँ हमें बचे हुए हम मुबारक ........
थाली में ऐसे खाना छोड़ देना अच्छी बात नहीं
पर क्या ! हमें मुफ्त में मिला तुम्हारा झूठा मुबारक.......
यार सारे मेरे मयख़ाने को गए हैं
खैर हम अकेले को तुम्हारी अफीमी यादें मुबारक..…......
कंघे में फसें तुम्हारे कुछ बाल रख लिये हैं मैंने सम्हाल कर
तुम भले संवर कर खुश हो , मुझे तो मिला खजाना मुबारक.....….
अब जो किसी और का घर बसाने चले हो तुम ,तो होगा उसे घर मुबारक
लेकिन मुझे भी अब मेरा मकाँ और तुमसे हो रही नफरत मुबारक....…......
©akhandpsb -
akhandpsb 149w
देखो थोड़ा-थोड़ा कर के जिंदा बस हैं आज हम
हाँ हम वही हैं,जिसकी किताब "जीने - के - नुस्खे" कितनी मशहूर रही है
©akhandpsb -
akhandpsb 150w
खुद पर खुद की पकड़ सच मे कमजोर हो गयी...
@hindii @hindiwriters @hindiwriterslink @hindilekhanहालत ऐसी है कि हालात काबू में नहीं आ रहे
पकड़ इतनी कमजोर हो गयी कि अब हम खुद से सम्हाले नहीं जा रहे...
कभी पानी से फर्श में, पेड़ों पे इतना जो तेरा नाम लिख दिया
कि अब खुद का नाम तक सही नहीं लिख पा रहे...
उसको अब जो समझा तो जाना कि वो फरेबी निकला
पर आलम ये है कि , ये बात हम किसी को बता नहीं पा रहे...
दरवाजे ,खिड़कियाँ, रोशनदान सब हमने खुद से बन्द किये थे
और अब परेशान भी हम ही हैं ,कि जरा भी उजाले क्यूँ नहीं आ रहे...
कभी जुबान दे दी खुद को ,कि इश्क़ को बीच में नहीं छोड़ेंगे
अब जुबाँ से मुकरने को तरस रहे हैं,पर हम ऐसा कर क्यूँ नहीं पा रहे...
मैंने बदलते रिश्तों के फर्क को देखा है
आखिर ये कैसी चीज़ है जो हम बगैर चश्में के देख पा रहे...
हम मशहूर थे सब में क्योंकि वक़्त के पाबंद थे
अब सुइयों की टिक-टिक से डर लगता है घड़ी से नजर भी नहीं मिला पा रहे..
©akhandpsb
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parulsri 145w
@himalayan_pride @aashuuuu @akhandpsb @vickyprashant_srivastava
I never see this couple repeating vows of love or even saying I love you. Yet the love they have, it is evident from their every action. Like it is something natural to them, as if it is a habit of them to love each other.No, we don't say that
No, we don't say 'I love you'
It is the heart that skips
The face that lits
The blood that gushes
The breathe that rushes
No, we don't say 'l love you'
It is the smile that broadens
The time that has been trodden
The hands that care
The heart that dares
No, we don't say 'I love you'
It is the quarrels that end
The broken pieces that mend
The distance that inflames
The feelings that are mire
No, we don't say 'I love you'
And you know why?
'cause
It can never fathom the fear of losing you
The missed messages, and the haunting that I lost fortuity of having you
The calls that need perpetuity
The togetherness that wants eternity
So
No, we don't say 'I love you'
©parulsri
