Noone is forever, so let that person go.
aditi_ashi
Knows the art of Hiding the scars behind the innocent smile CA FINALIST
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aditi_ashi 101w
I cried and cried,
For you I lied
To Mumma to frnds,
Bcz I was on other end,
I broke the promises i did while tying those frndshp bands,
In your arms holding your hands,
The place was same, but it seems like dreamland,
The prince with the princess
Closed eyes and kisses.
But
The word LOVE got defined,
Nothing was going fine,
Dreamland is a dream,
But in reality i screamed,
The promises, the spoken word, those gliterring eyes,
They all lied.
Reel love is different from the real one,
Moon seems more beautiful, but not a bigger one,
I njoyed, I lived my life,
But at the end I forgot to survive,
Without love, without the person,
All I left with unanswered questions?
What I did?
What fault was mine?
To be with you?
To belive your words or
M I a person with no mind?
Or is it bad to have a good heart,
Or not to be fake, when I m filled with emotions lake.
Is it bad to speak all that I think?
Or to tell you everything in a blink.
What was my fault?
That you played with my emotions.
I m not angry just frustrated or I just started to evaluate my worth.
And reached to conclusion,
Love is not a pillar but a barrier to your growth.
You will alwys be a person I loved, but not the person who makes me believe in love.
©aditi_ashi -
वक्त वक्त की बात है,
जिन हरकतों से कभी तुझे प्यार हुआ था,
आज वो मुझे छोड़ने की वज़ह बन गयी।।
©aditi_ashi -
अभी तो बात कुछ दिनों की है,
तुझसे दूर रहने की और मेरा दिल घबरा रहा है,
ना जाने ये जिंदगी तुझ बिन कैसे बीतेगी।।
©aditi_ashi -
What's lovely and shocking at the same time???...
When he came close to you to hug, but then he kisses you.
Specially when you are not prepared for it and start making weird faces.
©aditi_ashi -
सुकून
सुकून तलाश रही हूँ
कभी लोगो में
कभी किताब में
कभी किसी की बातों में
तो कभी खुद में
बस सुकून तलाश रही हूँ
एक पल सब अपना होता है
दूरसे ही पल सब पराया
जिन के साथ की उम्मीद ज़िन्दगी भर की लगाई थी
जिनमे मुझे मेरा सुकून देखता था
आज वो कहीं खो से गए हैं
और मैं
सुकून तलाश रही हूँ
बीते पलों की यादों को सज़ा रहीं हूँ
मैं बीते पलों की दीवाली मना रही हूँ
मैं सुकून तलाश रही हूँ
वादे कसमें
उन ना छोड़ने वाले शब्दों
की मैं कविता बना रही हूँ
और उस कविता की सच्चाई जान रही हूँ
हां मैं सुकून तलाश रही हूँ
पहले तो सुकून माँ की गोदी में सोने में मिलता था
पापा की उंगली पकड़ कर रोड क्रॉस करने में मिलता था
भाई से रिमोट छीन ने में मिलता था
लगता है वक़्त के साथ सुकून भी महँगा हो गया है
आसानी से नही मिलता
फिर भी मैं उस का इंतजार कर रही हूँ
हाँ मैं सुकून तलाश रही हूँ
जो खो सा गया है मेरे पास हो कर भी
जो साथ नहीं है मेरे साथ हो कर भी
हज़ारो विचारों के साथ में
सुकून तलाश रही हूँ
सुकून मुझे मिल गया
दिल की बात कह कर
उसे कविता बना कर
पर अभी भी
कुछ तो बाकी है
कुछ तो कमी
अभी उसे तलाश रही हूँ
हाँ शायद वो सुकून नहीं मिला
इसलिए मैं अब भी
सुकून तलाश रही हूँ
©aditi_ashi -
aditi_ashi 149w
याद तो अभी भी आता है तू मुझे,
बस,
तुझे बताना बंद कर दिया है।
©aditi_ashi -
aditi_ashi 149w
Voice
He: Y did u call me???
She: wrote a new poem....so... . Wanted to make u listen
"She made another excuse to listen his voice"
©aditi_ashi -
aditi_ashi 152w
I Know this all will get over tomorrow.
And just for one more night all I want to be yours.
©aditi_ashi -
aditi_ashi 152w
U will fall in love with me.
The day I won't open my eyes.
©aditi_ashi
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At the age of 22
I can only opine of making money
That i can profer everything to my Mom Dad ,
& To my future self.
But I do recognise your love for me,
It's just , I'm so engrossed in grind
And i hardly have time to give what u deserve.
©himanshu_seth_official -
Not in his love , but in his memories she writes.
Everyday while writing , with her own feelings she fights.
©harpreet_31 -
priyadubey 175w
मैं अब थमना चाहती हूँ
उस हाँ और ना के बीच खुद को रखना चाहती हूँ
जो खुद को समझने में असमर्थ है ,
आज मुझे नासमझ कहते हैं
रास्तों की नहीं मंज़िल की तलाश में रहते हैं
उन्ही रास्तों पर अपने व्यक्तित्व को समेटना चाहती हूँ
मंज़िल का जूनून नहीं है मुझे
मैं तो बस खुद को तराशना चाहती हूँ
जब जब आंसू गिरे हैं
स्वाभिमान भी साथ गिरा है
गिरने से पहले अब सम्भलना चाहती हूँ
रुकना मेरी फितरत के परे है
मैं तो बस थमना चाहती हूँ
©priyadubey -
officialhimanshu 176w
शहीद का घर भी देख लो
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बुझती साँसे सूनी अँखियाँ कुछ ऐसे ही होते हैं मंज़र
आओ तुमको मैं दिखलाता हूँ मेरे गाँव में इक शहीद का घर
इक माँ दरवाजे पर बैठी है बेटे की राह निहारा करती है
सोते जागते उठते बैठते वो दिन रात पुकारा करती है
इक दिन वापस आएगा वो उसका अब तक विश्वास है
मुर्दा सा जिस्म है जिसका फौलादी उसकी हर सांस है
इंतज़ार में बेटे के कटते हैं उसकी रात दिन आठ पहर
आओ तुमको मैं दिखलाता हूँ मेरे गाँव में इक शहीद का घर
इक बाप है अंदर कमरे में खामोश घड़ी वो तकता है
शायद अपने बेटे की याद लेकर बहुत ही तड़पता है
बेटे की यादों में ही अब यूँ वक़्त गुज़ारा करता है
ख़्वाबों में उससे मिलता है सोते में नाम पुकारा करता है
काश कि वो अब कह सकता बेटा दो पल थोड़ा और ठहर
आओ तुमको मैं दिखलाता हूँ मेरे गाँव में इक शहीद का घर
इक बहन हाथ में राखी ले तस्वीर को देखा करती है
कहाँ गए हो प्यारे भाई मेरे ये अक्सर ही पूछा करती है
रक्षा करने का जो वादा था क्या खूब तूने निभाया है
मातृभूमि की रक्षा में भाई तूने अपना शीश कटाया है
कुछ तो पूण्य किया होगा जो तुझ सा भाई पाया है
तेरे होने से ही तो लगता था मुझको ये मेरा सा घर
आओ तुमको मैं दिखलाता हूँ मेरे गाँव में इक शहीद का घर
बच्चे अब भी पापा को ऐसे घर में तो ढूंढा ही करते हैं
वो मासूम हैं वो क्या जानें शहादत किसको कहते हैं
इक जोड़ी आँखें हैं जिनका पानी भी तो अब सूख गया
उसका जो सबसे अपना था बिन बोले ही वो रूठ गया
वो औरत शहीद की बेवा है उसका कितना बड़ा कलेजा है
खुशियों से वो मिलती नहीं है ज़िंदा सी है पर दिखती नहीं है
इस राष्ट्रभक्त ने भी यौवन पर देश प्रेम का श्रृंगार किया
इक शहीद के बदले में अपने दो बेटों को तैयार किया
पति की वर्दी देख देख कर काट रही है अपनी उमर
आओ तुमको मैं दिखलाता हूँ मेरे गाँव में इक शहीद का घर
आओ तुमको मैं दिखलाता हूँ मेरे गाँव में इक शहीद का घर
- हिमांशु श्रीवास्तव -
neha_netra 176w
#RIP
#14thFeb2019
#BlackDay
शायद जाते-जाते उसने यही कहा होगा...
"हर लाल को तुम मुझ जैसा बनाना
कुछ इस तरह से तुम देश के काम आना"Tribute to Pulwama martyrs (RIP)
विदाई पे मेरी आँखों में अश़्क ना लाना;
हाथों में तिरंगा उठा तुम गर्व से फहराना।
श्रंद्धांजलि देना बस इतनी सी मुझें;
देश के हर लाल को तुम मुझ सा बनाना।
©neha_netra -
#14 फरवरी
लोगों ने सबूत मोहोब्बत की,
देकर लाल गुलाब पेश किया।
मगर वो देश के जाबाज़ सैनिक थे,
जिन्होंने लाल लहू देकर प्रेम दर्शा दिया।
गर्वित होगी माँ भी वह आज,
जिसने ऐसे जाबाज़ को जन्म दिया।
था वो भी सज्ज देश के रक्षा को,
अपने परिवार का दामन तक छोड़ दिया।
बच्चे, बीवी और बूढी माँ बैठी थी,
वह पलके बस यही सोच बिछाये।
कब जल्द से लौटेगा बेटा मेरा,
खुशियों से अपना चेहरा चमकाये।
मगर धन्य होगया रूह भी वो,
साथ ही वो देह भी आज।
जो लौटा था घर को अपने,
करके तिरंगे से सज्जो-साज।
©_pankaj_ -
karishmanegi___ 177w
Thand bohat hai, aaj phir humne unki yaadien jalaayi hai !!
©karishmanegi___ -
काश! मैं भी होती
किसी शायर की शायरी।
काश! मुझें भी कोई चाहता
अपने लफ़्ज़ों से बढ़कर।
©neha_netra -
मन्नत....
" ज़ुबान काली , तबीयत ज़र्द, आंखो को नीला कर आया हूं ,
घुटन होने लगी थी मेरी क़ुर्बत में उन्हें, मैं मन्नत का धागा ढीला कर आया हूँ,
~शाबीर
©shabir_ -
madjoker 177w
में तुजे लिखता रहा रात भर
तूने एक दफा मुजे पढ़ना भी लाजमी ना समजा
©madjoker
